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विश्व पुस्तक मेले में नंद चतुर्वेदी का स्मरण

नंद चतुर्वेदी की लघु पत्रिका 'साम्य' विशेषांक का लोकार्पण

'हिंदी काव्य आलोचना की दृष्टि व कवियों की प्रतिष्ठा बढ़ी'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 17 February 2024 12:50:08 PM

launch of special issue of nand chaturvedi's small magazine 'samya'

नई दिल्ली। सुपरिचित आलोचक ओम निश्चल ने कवि नंद चतुर्वेदी की जन्म शताब्दी पर दिल्ली में विश्व पुस्तक मेले में गार्गी प्रकाशन के स्टाल पर लोकार्पण कार्यक्रम में नंद चतुर्वेदी की विख्यात लघु पत्रिका 'साम्य' विशेषांक का लोकार्पण करते हुए कहाकि नंद चतुर्वेदी बड़े अंत:करण वाले मनुष्य और कवि थे, वे उन कवियों में से थे, जो सबको साथ लेकर चले। ओम निश्चल ने कहाकि अच्छा हैकि अब हिंदी कविता आलोचना की दृष्टि बदली है और हमारी भाषा के बड़े कवि के रूपमें उनकी प्रतिष्ठा हो रही है। उन्होंने कहाकि नंद बाबू केवल कवि ही नहीं कविता के सक्रिय कार्यकर्ता थे, अपने सादगीभरे शिल्प में नंद बाबू ने हमारी विडम्बनाओं को देखा-परखा।
उद्भावना के सम्पादक अजय कुमार ने कहाकि विस्मृति के इस दौर में 'साम्य' का यह अंक सचमुच उत्साहवर्धक है। उन्होंने हाल में आए उद्भावना के अंक में प्रकाशित नंद चतुर्वेदी की कविताओं का भी जिक्र किया। आलोचक प्रोफेसर हितेंद्र पटेल ने नंद चतुर्वेदी की कविताओं का उल्लेख करते हुए कहाकि यह बाज़ार का दौर है और इस दौरमें हमें अपनी स्मृतियों को बचाए रखने की चुनौती है एवं 'साम्य' विशेषांक का प्रकाशन बाज़ारवादी समय में कविता और संस्कृति का प्रतिकार है। उदयपुर से आए आलोचक माधव हाड़ा ने कहाकि मैं नंद बाबू का स्नेहभाजन रहा हूं और उन्हें याद करना मेरे लिए प्रीतिकर अनुभव है। माधव हाड़ा ने कहाकि नॉस्टेल्जिया यानी उदासी का जैसा रचनात्मक उपयोग नंद बाबू ने अपनी कविताओं में किया है, वैसा हिंदी के किसी दूसरे समकालीन कवि के यहां नहीं मिलता, उनकी कविता के कई आयाम हैं और वे हर बार अपना मुहावरा तोड़कर नया स्वर बनाते हैं।
आलोचक माधव हाड़ा ने नंद बाबू की कविता 'शरीर' को रेखांकित करते हुए कहाकि देह केलिए जैसा राग और स्वीकृति नंद बाबू के मन में है, वहभी कम कवियों में देखने को मिलता है। गार्गी प्रकाशन के अतुल कुमार ने बतायाकि ख़राब स्वास्थ्य के बावजूद साम्य के कंजकों का प्रकाशन सम्पादक विजय गुप्त की निष्ठा और समर्पण को दर्शाता है। कार्यक्रम के संयोजक आलोचक पल्लव ने नंद चतुर्वेदी के गद्य लेखन को महत्वपूर्ण बताते हुए कहाकि पिछली सदी के अनेक भुला दिए दिए लोग नंद बाबू की गद्य कृतियों में आजभी सुरक्षित हैं।

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