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अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस प्रदर्शनी

भारत की भाषाई विविधता का जश्न और सम्मान

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में 29 तक प्रदर्शनी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 24 February 2024 04:53:55 PM

international mother language day exhibition

नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की कलानिधि डिवीजन और अकादमिक इकाई ने 'अक्षर| शब्द| भाषा' की पेशकश की, जो भारत की भाषाई विविधता का जश्न मनाने और सम्मान करने वाली एक प्रदर्शनी है, साथ ही यह हमारी सांस्कृतिक विरासत को परिभाषित करने वाली भाषाओं, लिपियों और शब्दों की समृद्धि की खोज करती है। दो मुख्य दीर्घाओं दर्शनम I और II और गलियारों में एक जीवंत संवादात्मक दीवार में फैली यह प्रदर्शनी मातृभाषाओं की भावना और महत्व और समाज के क्रमिक विकास में उनकी सूक्ष्म भूमिका को जीवंत करती है।
दर्शनम II गैलरी में भारत की 22 अनुसूचित भाषाओं में 22 उद्धरणों का संग्रह है, जिसे प्रत्येक भाषा के बारेमें कुछ विशेष लाने केलिए तैयार किया गया है और कॉरिडोर के स्थान केसाथ दर्शनम I दर्शकों केलिए एक गहन और संवादात्मक अनुभव है। यह प्रदर्शनी 29 फरवरी 2024 तक चलेगी। 'अक्षर| शब्द| भाषा' प्रदर्शनी का उद्देश्य मातृ भाषाओं के महत्व को सामने लाना और लुप्तप्राय भाषाओं को संरक्षित करना है। इसे डिवीजन के अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस समारोहों के एक भाग के रूपमें कलानिधि डिवीजन, आईजीएनसीए केलिए अकादमिक इकाई, आईजीएनसीए द्वारा आयोजित किया गया है। भाषाई और सांस्कृतिक विविधता के बारेमें जागरुकता और बहुभाषावाद को बढ़ावा देने केलिए 17 नवंबर 1999 को हुई घोषणा केबाद से 21 फरवरी को यूनेस्को के अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूपमें मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस प्रदर्शनी का उद्घाटन संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव लिली पांडेय, सदस्य सचिव आईजीएनसीए डॉ सच्चिदानंद जोशी, वरिष्ठ लिंग विशेषज्ञ यूनेस्को क्षेत्रीय कार्यालय नई दिल्ली डॉ हुमा मसूद, निदेशक (प्रशासन) आईजीएनसीए प्रियंका मिश्रा और डीन (प्रशासन) प्रोफेसर रमेश गौड़ ने किया। वर्ष 2017 में स्थापित आईजीएनसीए की अकादमिक इकाई की शुरुआत भारतीय कला और सांस्कृतिक विरासत के दस्तावेजीकरण, संरक्षण, सुरक्षित रखने और प्रसार के आईजीएनसीए के अधिकार को बनाए रखने और संस्कृति के विशेष क्षेत्र में काम करने केलिए सक्षम पेशेवरों को प्रशिक्षित करने केलिए की गई थी। वर्ष 2017 में सांस्कृतिक सूचना विज्ञान, निवारक संरक्षण और बौद्ध अध्ययन में पीजीडी जैसे केवल 3 स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रमों केसाथ शुरू हुई शैक्षणिक इकाई आज 12 स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रमों और कई महत्वपूर्ण लघु अवधि प्रमाणपत्र पाठ्यक्रमों की सुविधा दे रही है।

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