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मीडिया में महिलाओं केलिए सशक्त आख्यान

सरकार और समाज समान भागीदारी केलिए एकजुट हों-नीरजा

सूचना और प्रसारण मंत्रालय की बहुहितधारक गोलमेज चर्चा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 12 March 2024 12:35:53 PM

empowering narratives for women in media

नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 'लैंगिक संवेदनशीलता-मीडिया में महिलाओं का चित्रण' विषय पर बहुहितधारक गोलमेज चर्चा की, इसके पैनलिस्टों में सूचना और प्रसारण मंत्रालय, प्रसार भारती, फिक्की, यूएन वुमन, नेटफ्लिक्स, वार्नर ब्रदर्स डिस्कवरी, यूनिसेफ, बीएजी फिल्म्स एंड मीडिया लिमिटेड, रेडियो मेवात, टाइम्स ऑफ इंडिया, इक्विलिब्रियो एडवाइजरी एलएलपी, फीवर एफएम के वक्ता, अभिनेत्री अनुप्रिया गोयनका प्रमुख थीं। चर्चा में 'पारिस्थितिकी तंत्र का विश्लेषण' और 'आगे की राह' पर दो विस्तृत सत्र शामिल थे। चर्चा के व्यापक क्षेत्रों में महिलाओं के वर्तमान मीडिया चित्रण और सामाजिक धारणाओं पर उनके प्रभाव, मीडिया में महिलाओं की सामान्य रूढ़िवादिता की पहचान और उद्योग में महिलाओं के सामने आनेवाली चुनौतियां शामिल थीं।
गोलमेज चर्चा निष्पक्ष और समावेशी रिवायत (नैरेटिव) और जवाबदेही रणनीतियां तैयार करने और लैंगिक रूपसे संवेदनशील भाषा के उपयोग के लिहाज से मीडिया संगठनों की जिम्मेदारियों पर केंद्रित थी। विविधता को बढ़ावा देने और रूढ़ियों को तोड़ने केलिए सर्वोत्तम तौर तरीके लागू करने और सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन लाने केलिए मीडिया की क्षमता पर विचार-विमर्श किया गया। मीडिया में महिलाओं केलिए सशक्त आख्यानों को बढ़ावा देने, सकारात्मक बदलाव के उद्देश्य से मीडिया संगठनों, समर्थक समूहों और कंटेंट क्रिएटर्स केबीच सहयोग के अवसरों की खोज करने पर विचारमंथन हुआ, जिससे सभी नागरिकों को उनकी क्षमता के अनुसार अवसर वाले एक समतापूर्ण समाज का निर्माण हो सके। सूचना और प्रसारण मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव नीरजा शेखर ने कहाकि सरकार और समाज को बदलाव लाने, कार्यस्थलों को सुरक्षित बनाने एवं सभी स्थानों पर महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी केसाथ एकजुट होना चाहिए।
नीरजा शेखर ने कहाकि सरकार मीडिया प्लेटफार्मों पर हितधारकों केसाथ चर्चा के माध्यम से बदलाव को प्रोत्साहित करना जारी रखेगी। पैनलिस्टों ने महिलाओं की दमदार कहानियों की आवश्यकता पर विचार-विमर्श किया, जिसे ओटीटी प्लेटफार्मों ने काफी हदतक सुविधाजनक बनाया है। दरअसल मजबूत कहानियां महिलाओं को रूढ़िवादी या ग्लैमराइज्ड भूमिकाओं में चित्रित करने का सहारा नहीं लेती हैं। गहरी जड़ें जमा चुके पूर्वाग्रहों को तोड़ने के उद्देश्य से मीडिया में भाषा के उपयोग और महिलाओं के चित्रण पर जोर देने केलिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की 'लिंग-समावेशी संचार पर मार्गदर्शिका' और भारत के सर्वोच्च न्यायालय की 'लैंगिक रूढ़िवादिता से निपटने पर हैंडबुक' पर चर्चा हुई।
प्राइमस पार्टनर्स प्राइवेट लिमिटेड की सहसंस्थापक और प्रबंध निदेशक चारु मल्होत्रा ने कहाकि यह सत्र मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र में लैंगिक परिदृश्य पर तमाम परिप्रेक्ष्यों से संबंधित दृष्टिकोण के लिहाज से खासा समृद्ध रहा। उन्होंने कहाकि महिलाओं को शक्तिशाली और सामान्य स्थान वाली भूमिकाओं में नियमित बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहाकि कला को जीवन में प्रतिबिंबित करने केलिए हमें महिला केंद्रित और पुरुष केंद्रित विषयों केबीच अंतर करने की आवश्यकता नहीं है और महिलाओं को मीडिया चित्रण में अपनी स्थिति केलिए दावा करना चाहिए। उन्होंने कहाकि पैनलिस्टों के सुझावों को मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र के नीति निर्माताओं के सहयोग से आगे बढ़ाया जाएगा। गोलमेज चर्चा का संचालन प्राइमस पार्टनर्स ने किया।

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