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Friday 8 January 2021 01:39:27 PM
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी कार्यसमिति ने 7 दशक के लंबे इंतजार के बाद उन्हें नागरिकता का अधिकार प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया है। केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह को पश्चिमी पाकिस्तान शरणार्थी कार्य समिति के अध्यक्ष लब्भाराम गांधी ने यह ज्ञापन सौंपा है, जिसपर डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस साहसिक कदम से अब इन शरणार्थियों को भी वही अधिकार प्राप्त होंगे, जो भारत के किसी अन्य नागरिक को प्राप्त हैं, अब उनके बच्चे नौकरियों से लेकर सरकार के सभी अवसरों के भागीदार हो गए हैं। पाकिस्तानी शरणार्थियों के ज्ञापन में कहा गया है कि बीते 70 वर्ष में उनकी पीढ़ियों को तबाह और बर्बाद कर दिया गया है, उन्हें तत्कालीन जम्मू-कश्मीर सरकारों ने राष्ट्रीयता देने, जाति एवं अन्य प्रमाणपत्र देने से भी मना किया हुआ था, क्योंकि वह उन्हें एलियन मानते थे।
पाकिस्तानी शरणार्थी लब्भाराम गांधी ने कहा कि इन दस्तावेजों के ना होने के परिणामस्वरूप उनके बच्चे स्कूल-कॉलेज में दाखिला पाने, व्यवसायिक शिक्षण संस्थानों में प्रवेश पाने में असमर्थ रहे, यहां तककि हमें राज्य की विधानसभा के लिए मतदान का भी अधिकार नहीं दिया गया था। लब्भाराम गांधी ने राज्यमंत्री से अपनी आपबीती में कहा कि इससे पहले विभिन्न केंद्रीय और राज्य सरकारों को हम लोगों ने नागरिकता के लिए अनेक प्रस्तुतियां दीं, लेकिन किसी ने हमारी दुर्दशा को ठीक करने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाया। ज्ञापन में यह भी कहा गया कि अनुच्छेद 370 और 35ए को खत्म किए जाने तथा जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिए जाने से पश्चिमी पाकिस्तान से आए इन असहाय शरणार्थियों को स्वतः ही यह सभी अधिकार प्राप्त हो गए हैं। लब्भाराम गांधी ने कहा कि केंद्र सरकार के इस कदम से सभी शरणार्थियों में खुशी की लहर है और इसका सारा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है।
पाकिस्तानी शरणार्थी प्रतिनिधिमंडल से डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि उनके साथ यह न सिर्फ संवैधानिक अधिकारों का हनन था, बल्कि मानवाधिकारों का भी हनन हुआ और उन्हें 70 वर्ष के दौरान नागरिकता का अधिकार देने से इसलिए वंचित किया गया, क्योंकि उन्होंने जम्मू-कश्मीर में रहने के विकल्प को चुना था, जबकि ऐसे शरणार्थियों में से ही दो शरणार्थी भारत के अन्य भागों में बसे, जो बाद में प्रधानमंत्री बने जिनमें एक थे-इंद्र कुमार गुजराल और दूसरे हैं डॉक्टर मनमोहन सिंह। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस साहसिक कदम से अब इन शरणार्थियों को भारत के नागरिक अधिकार प्राप्त हो गए हैं। बॉर्डर संघर्ष समिति अरनिया की तरफ से हल्का त्रेवा पंचायत की सरपंच बलवीर कौर और अरनिया की सभासद ने ज्ञापन में नियंत्रण रेखा के पास रहने वाले लोगों की तरह ही अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले लोगों को भी आरक्षण का लाभ देने के लिए मोदी सरकार को धन्यवाद ज्ञापित किया।
जम्मू-कश्मीर के प्रतिनिधियों ने इन फैसलों को वास्तविकता में परिवर्तित कराने में डॉ जितेंद्र सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका की विशेष तौरपर प्रशंसा की है। प्रतिनिधियों ने अपेक्षा की कि केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की सरकार अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर रहने वाले लोगों की भलाई के लिए कुछ और राहत उपाय लेकर आएगी। प्रतिनिधियों ने अनुरोध किया कि सीमाओं पर लोगों के समक्ष उत्पन्न होने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए केंद्रशासित प्रदेश सरकार क्षेत्र में एक डिग्री कॉलेज की स्थापना करे और साथ ही बाकी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध कराए। पाकिस्तानी शरणार्थियों ने इस बात की खुशी जताई कि उनका यह सपना पूरा हुआ कि वे किसी देश के और वह भी आज भारत के नागरिक हैं, जबकि अनेक पाकिस्तानी शरणार्थी इसकी आस में दुनिया से चले गए।