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भारत-मंगोलिया संबंध मील का पत्थर-रिजिजू

भगवान गौतम बुद्ध के अवशेष भारत से मंगोलिया ले जाए गए

मंगोलिया में बुद्ध पूर्णिमा प्रदर्शनी में शामिल होंगे बुद्ध अवशेष

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 13 June 2022 03:12:49 PM

relics of lord gautam buddha taken from india to mongolia

नई दिल्ली। मंगोलिया के लोगों केप्रति विशेष भावना प्रदर्शित करते हुए तथागत भगवान गौतम बुद्ध के पवित्र अवशेषों को 14 जून 2022 को मंगोलियाई बुद्ध पूर्णिमा के समारोहों के हिस्से के रूपमें वहां 11 दिवसीय प्रदर्शनी केलिए भारत से मंगोलिया ले जाया जा रहा है। केंद्रीय कानून एवं विधि मंत्री किरेन रिजिजू के नेतृत्व में पवित्र अवशेषों केसाथ एक 25 सदस्यीय शिष्टमंडल मंगोलिया केलिए रवाना हो गया है। पवित्र अवशेषों का प्रदर्शन गंदन मठ के परिसर में बटसागान मंदिर में किया जाएगा।बुद्ध के पवित्र अवशेष वर्तमान में राष्ट्रीय संग्रहालय में रखे गए हैं, जिन्हें कपिलवस्तु अवशेष के नाम से जाना जाता है, क्योंकि वे पहलीबार बिहार में खोजे गए एक स्थल से हैं, जिसे कपिलवस्तु का प्राचीन शहर माना जाता है। नई दिल्ली में इस बारेमें मीडिया को जानकारी देते हुए किरेन रिजिजू ने बतायाकि यह भारत-मंगोलिया संबंधों में एक और ऐतिहासिक मील का पत्थर है तथा यह दोनों देशों केबीच सांस्कृतिक एवं अध्यात्मिक संबंधों को और भी मजबूत बनाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2015 में मंगोलिया की यात्रा का स्मरण करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहाकि नरेंद्र मोदी मंगोलिया का दौरा करने वाले भारत के अबतक के पहले प्रधानमंत्री हैं और पवित्र अवशेषों को ले जाना हमारे उन देशों केसाथ संबंधों को पुनर्जीवित करने के विजन का विस्तार है, जिनके साथ हमारे सदियों पहले से सांस्कृतिक एवं अध्यात्मिक संबंध हैं। किरेन रिजिजू ने बतायाकि मंगोलिया और भारत एक-दूसरे को अध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक पड़ोसी देशों के रूपमें देखते हैं और इस समानता के कारण मंगोलिया को हमारा तीसरा पड़ोसी भी कहा जा सकता है, भलेही हमारी समान भौगोलिक सीमाएं नहीं हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहाकि भगवान गौतम बुद्ध के उपदेश आजभी प्रासंगिक हैं और ये मानवता को और अधिक शांति, सद्भाव तथा समृद्धि की ओर ले जाएंगे। किरेन रिजिजू ने कहाकि भारत शांति और सद्भाव में विश्वास रखता है तथा भगवान बुद्ध के उपदेशों, जो दुनिया को भारत का सांस्कृतिक उपहार हैके माध्यम से इस संदेश को विश्वभर में फैलाना चाहता है।
किरेन रिजिजू ने कहाकि मंगोलियाई नागरिकों में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों केप्रति बहुत विशिष्ट सम्मान है, एक विशेष उपहार के रूपमें ये अवशेष वहां 11 दिन की प्रदर्शनी केलिए ले जाए जा रहे हैं। केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन तथा डोनर मंत्री जी किशन रेड्डी ने कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहाकि भगवान बुद्ध न केवल भारत में, बल्कि विश्वभर में पूज्यनीय हैं। उन्होंने कहाकि इन अवशेषों का प्रदर्शन उसी मठ में किया जाएगा, जहां प्रधानमंत्री ने दौरा किया था। जी किशन रेड्डी ने बताया कि सरकार बौद्ध धर्म को न केवल देश के भीतर बढ़ावा देने के सभी प्रयास कर रही है, बल्कि पूरे विश्वमें भगवान बुद्ध के शांति तथा करुणा के संदेशों को फैलाने का प्रयास कर रही है, इसीके अनुरुप सरकार भारत में बौद्ध स्थलों, स्थानों तथा बौद्ध केंद्रों को विकसित करने केलिए कई परियोजनाओं पर काम कर रही है। उन्होंने कहाकि हाल हीमें कुशीनगर हवाईअड्डे का उद्घाटन एक ऐसाही उदाहरण है। अवशेषों को राजकीय अतिथि का दर्जा दिया जाएगा तथा उसी जलवायु नियंत्रण की स्थिति में रखा जाएगा, जिसमें राष्ट्रीय संग्रहालय में वर्तमान में रखा जाता रहा है। भारतीय वायुसेना ने पवित्र अवशेषों को मंगोलिया ले जाने केलिए एक विशेष हवाई जहाज सी-17 ग्लोब मास्टर उपलब्ध कराया है।
भगवान गौतम बुद्ध के पवित्र अवशेषों को मंगोलिया के संस्कृति मंत्री, मंगोलिया के राष्ट्रपति के सलाहकार तथा बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षुओं ने प्राप्त किया। मंगोलिया में उपलब्ध भगवान बुद्ध के अवशेषों कोभी भारत से आए अवशेषों केसाथ प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया जाएगा। दोनोंही अवशेषों केलिए भारतीय शिष्टमंडल द्वारा दो बुलेट प्रूफ केसिंग तथा दो औपचारिक कास्केट ले जाए जा रहे हैं। गौरतलब हैकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में गंदान मठ का दौरा किया था तथा हम्बा लामा को एक बोधिवृद्ध का पौधा भी भेंट किया था। दोनों देशों केबीच सदियों पुराने बौद्ध संबंधों की ओर इंगित करते हुए नरेंद्र मोदी ने मंगोलिया की संसद को संबोधित करते हुए भारत-मंगोलिया की अध्यात्मिक पड़ोसी के रूपमें व्याख्या की थी। भारत, मंगोलिया केसाथ सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक संबंधों का लंबा इतिहास साझा करता है और मंगोलिया सरकार के आग्रह पर इस साझीदारी को आगे लेजाने केलिए केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को 11 दिन केलिए मंगोलिया के गंदन मठ के भीतर बटसागान मंदिर में प्रदर्शित किए जाने की अनुमति दी है। भारत ने मंगोलियाई कांजूर के 108 खंडों की 75 प्रतियां छापी हैं और उन्हें मंगोलिया सरकार तथा वहां के विभिन्न बौद्ध संस्थानों को सुपुर्द किया है। कांजुर पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण का काम भी तेजीसे चल रहा है।
भारत में विभिन्न मठों और संस्थानों में मंगोलिया के लगभग 500 भिक्षु अध्ययन कर रहे हैं, जिनके लिए भारत ने पिछले कुछ वर्ष में उनकी यात्रा तथा वीजा की सुविधा प्रदान की है। आखिरीबार इन अवशेषों को वर्ष 2012 में देशसे बाहर ले जाया गया था, जब श्रीलंका में उनकी प्रदर्शनी आयोजित की गई थी और श्रीलंका के कई स्थानों पर उन्हें प्रदर्शित किया गया था। बहरहाल बादमें दिशानिर्देश जारी किए गए तथा इन पवित्र अवशेषों को उन पुरावशेषों तथा कला खजाने की एए श्रेणीके तहत रखा गया, जिन्हें उनकी नाजुक प्रकृति को देखते हुए देश से बाहर नहीं ले जाया जाना चाहिए। प्रतिनिधिमंडल में संस्कृति सचिव अमिता प्रसाद साराभाई, एडीजे नानू भसीन के नेतृत्व में आधिकारिक मीडिया टीम, राष्ट्रीय संग्रहालय के तकनीकी विशेषज्ञ, विख्यात गायक मोहित चौहान, जो भारत में मंगोलिया के सांस्कृतिक दूत हैं। उनके साथ इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कंफेडेरेशन के प्रतिनिधि भी हैं। संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव लिली पांडेय के नेतृत्व में संस्कृति मंत्रालय के अधिकारी, राष्ट्रीय संग्रहालय के क्यूरेटर भी शामिल थे, जिन्होंने 8 जून 2022 को पवित्र अवशेषों की आगवानी संबंधी व्यवस्थाओं की प्रदर्शनी केलिए राष्ट्रीय संग्रहालय तथा गंदन मठ केबीच एक एमओयू पर हस्ताक्षर करने केलिए मंगोलिया का दौरा किया था।

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