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Wednesday 1 February 2017 01:16:24 AM
नई दिल्ली/ लखनऊ। उत्तर प्रदेश में वैश्य समाज के ताकतवर नेता और एक समय लंबे काल तक उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की राजनीति में अपना प्रभुत्व बनाए रखने वाले कांग्रेस हाईकमान के प्रिय, लखनऊ के मेयर और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ अखिलेश दास गुप्ता आखिर अपने घर कांग्रेस में वापस आ गए हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस मुख्यालय पर कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे तथा राज्यसभा में नेता विपक्ष एवं कांग्रेस कमेटी के महासचिव और प्रभारी उत्तर प्रदेश गुलाम नबी आजाद के समक्ष डॉ अखिलेश दास गुप्ता ने अपने समर्थकों के साथ फिर से कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के बाद डॉ अखिलेश दास गुप्ता की कांग्रेस में वापसी कई प्रकार से मायने रखती है, इससे उनकी जहां सक्रिय राजनीति में जोरदार वापसी हुई है तो उसका कांग्रेस और सपा को भी लाभ मिल सकेगा। मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव से भी उनके करीबी संबंध माने जाते हैं।
डॉ अखिलेश दास गुप्ता ने इस मौके पर कांग्रेस मुख्यालय पर कहा कि यह उनकी घर वापसी हुई है और उस वक्त कांग्रेस छोड़कर जाना उनकी भूल थी। उन्होंने कहा कि अब मैं पुनः अपने पवित्र घर में वापस आ गया हूं और जीवनपर्यंत कांग्रेस कार्यकर्ता की हैसियत से पार्टी की सेवा करूंगा एवं कांग्रेस को हर स्तर पर मजबूत करने का कार्य करूंगा। डॉ अखिलेश दास गुप्ता ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के प्रति गहरी निष्ठा एवं विश्वास व्यक्त करते हुए कांग्रेस में वापसी के लिए उनका आभार जताया है। उल्लेखनीय है कि डॉ अखिलेश दास गुप्ता कांग्रेस से बहुजन समाज पार्टी में चले गए थे, वे बसपा की तरफ से राज्यसभा सदस्य में भी रहे, लेकिन बसपा में वह कांग्रेस जैसी स्वतंत्रता से चल नहीं सके और एक समय बाद उन्होंने बसपा छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने अपने शिक्षण संस्थानों, समाज सेवा और अपने समाज को एकजुट करने पर ध्यान केंद्रित किया। डॉ अखिलेश दास गुप्ता को कांग्रेस हाईकमान से अवसर मिला और वे कांग्रेस में वापस आ गए। ज्ञात रहे कि उत्तर प्रदेश की कांग्रेस राजनीति में एक समय अखिलेश दास और नरेश अग्रवाल की जोड़ी बड़ी विख्यात रही है। नरेश अग्रवाल इस समय सपा के नेता हैं।
डॉ अखिलेश दास गुप्ता का खेल, राजनीति और शिक्षण संस्थानों एवं रियलस्टेट से गहरा रिश्ता है। उत्तर प्रदेश में ही नहीं, बल्कि एक समय देश के वैश्य समाज में अग्रणीय स्थान रखने वाले और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे बाबू बनारसीदास गुप्ता के वे पुत्र हैं, जिन्होंने अपने पिताश्री की राजनीतिक विरासत को संभालने और उसे सफलतापूर्वक बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वैश्य समाज यूं तो भाजपा से जुड़ा माना जाता है, मगर डॉ अखिलेश दास गुप्ता की भी वैश्य समाज में मजबूत पकड़ मानी जाती है। इस समय उनके देश-विदेश में तकनीकी एवं प्रबंधन शिक्षा के विख्यात शिक्षण संस्थान हैं। डॉ अखिलेश दास गुप्ता मूलतः कांग्रेस संस्कृति के ही राजनेता माने जाते हैं, लेकिन वे संबंधों के मामले में काफी उदार और समृद्ध माने जाते हैं। उनका पिछला राजनीतिक कालखंड काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है। उन्होंने बसपा से अलग होने के बाद यदि किसी राजनीतिक दल की ओर रुख किया है तो वह कांग्रेस है, जिसमें फिर से शामिल होने के बाद वह अपने को खुश पाते हैं। उल्लेखनीय है कि डॉ अखिलेश दास गुप्ता, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अत्यंत करीबी राजनेता रहे हैं। वह राजनीतिक रणनीतियों के अच्छे खिलाड़ी माने जाते हैं और अब देखना है कि वह कांग्रेस परिवार का वैसा ही विश्वास अर्जित करने में कितने सफल होते हैं।