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Saturday 14 April 2018 04:40:24 PM
लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज बाबासाहेब डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर की 127वीं जयंती पर आंबेडकर महासभा लखनऊ के कार्यक्रम में बाबासाहेब के चित्र और प्रतिमा पर पुष्प चढ़ाकर तथा अस्थिकलश के दर्शनकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा, ग्राम्य विकास राज्यमंत्री डॉ महेंद्र्र सिंह, अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री बलदेव ओलख, लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया, आंबेडकर महासभा के अध्यक्ष डॉ लालजी प्रसाद निर्मल और विशिष्टजनों ने भी बाबासाहेब को श्रद्धासुमन अर्पित किए। कार्यक्रम में आंबेडकर महासभा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सम्मान ‘दलित मित्र’ के रूपमें किया।
राज्यपाल राम नाईक ने इस अवसर पर कहा कि आंबेडकर महासभा के प्रांगण में आने पर नई चेतना मिलती है और कर्तव्यबोध का एहसास होता है, हमारा देश कहां है और आगे क्या करना है, इसकी प्रेरणा यहां आने पर मिलती है। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब ने अभाव के कारण पीड़ा के साथ अपनी शिक्षा पूरी की, विदेश में शिक्षा प्राप्त करके होनहार भारतीय कैसा हो, उसका परिचय पूरे विश्व को कराया, आज के दिन पूरा देश उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त कर रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष बाबासाहेब के सही नाम लिखने की बात उन्होंने कही थी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सरकारी कार्यालयों में डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर का चित्र लगाने की घोषणा की थी, इस बात का समाधान है कि दोनों बाते पूरी हुईं। राम नाईक ने कहा कि बाबासाहब के शब्द मार्गदर्शक हैं, उन्होंने स्वतंत्रता की रक्षा को एक विशिष्ट कर्तव्य बताते हुए कहा था कि स्वराज्य की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है, अपने समाज में किसी प्रकार की फूट पुनः हमसे स्वराज्य छीन लेगी, अतः हमें छोटी-छोटी बातों में उलझना नहीं चाहिए और यदि आपस में कोई मतभेद है तो उसे लेकर टकराना नहीं चाहिए, बल्कि सौहार्दपूर्ण वातावरण में उसका हल खोज निकालना बेहतर होगा।
राम नाईक ने कहा कि बाबासाहेब के विचारों का अध्ययन करना चाहिए, ताकि उनके सपनों को साकार किया जा सके। उन्होंने कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में हम संविधान को समझें और उसके अनुसार चलने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब महापुरूष थे सभी ऐसा मानते हैं, उनके नाम को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए, बल्कि उनके विचारों को आत्मसात करना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि बाबासाहेब को जाति विशेष की परिधि में नहीं बांधा जा सकता है, वे एक महापुरूष हैं, जिनके विचारों को आमजन तक पहुंचाने की जरूरत है। बाबासाहेब के विचारों के विभिन्न पक्षों को समझने के लिए सुप्रसिद्ध लेखक, अर्थशास्त्री एवं पुणे विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति तथा वर्तमान में राज्यसभा के सांसद डॉ नरेंद्र जाधव की संकलित चार पुस्तकों का एक-एक सेट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा को विधानसभा पुस्तकालय में विधायकों के वाचन हेतु और आंबेडकर महासभा के लिए डॉ लालजी प्रसाद निर्मल को दिया गया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब ने विपरीत परिस्थितियों में रहते हुए छुआछूत का दंश झेला पर संविधान के माध्यम से उन्होंने सभी भारतीयों को समानता, समरसता, भाईचारा और जीवन जीने का समान अवसर दिया। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर कहते थे कि शिक्षा के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक विषमता को दूर किया जा सकता है, सभी को समान अवसर व न्याय मिलना चाहिए। उन्होंने अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों के उत्थान के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं पर प्रकाश डाला। मुख्यमंत्री ने आवास, शिक्षा, शौचालय, छात्रवृत्ति, निःशुल्क विद्युत कनेक्शन, कन्या विवाह योजना, राशन कार्ड, दलित वर्ग के लोगों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए न्यायालयों का गठन, सर्वशिक्षा अभियान सहित कई योजनाओं की जानकारी दी। कार्यक्रम में डॉ सरिता सिंह, डॉ पुष्पलता शंखवार, डॉ प्रियदर्शी, अखिलेश कृष्ण मोहन, जयशंकर सहाय, अरविंद पहाड़िया, लालचंद सरोज, अब्दुल नासिर नसीर को उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए ‘आंबेडकर रत्न’ से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में आंबेडकर महासभा के अध्यक्ष डॉ लालजी प्रसाद निर्मल ने संस्था का संक्षिप्त परिचय दिया और दलित समाज की समस्याएं भी रखीं।