स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
हैदराबाद।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 17 वें राष्ट्रमंडल विधि सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा है कि इस सम्मेलन का विषय उभरती अर्थव्यवस्थाएं- कानून का नियम: चुनौतियां और अवसर आज विशेष रूप से प्रासंगिक है, जब एक नई वैश्विक संरचना जगह ले रही है और कई विकासशील देशों की हवा में बेचैनी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 21 वीं सदी में नई अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को आकार देने में उभरती अर्थव्यवस्थाओं की क्षमता का निर्धारण एक बड़ी सीमा तक उनके द्वारा चयनित शासन पद्धति पर निर्भर होगा, साथ ही कानूनी और संस्थागत ढांचे को लागू करने के लिए अपनाए गए कानूनी नियमों पर भी यह निर्भर होगा।
उन्होंने कहा कि यह मेरा दृढ़ विश्वास है कि कई विकासशील देशों में पनपने वाली गरीबी की समस्या का सार्थक समाधान एक तेजी से विस्तृत अर्थव्यवस्था के ढांचे में ही प्राप्त किया जा सकता है, इसलिए तीव्र आर्थिक विकास, प्राथमिक आवश्यकता है। उन्होंने न्यायविदों और विचारकों के इस प्रतिष्ठित श्रोता वर्ग से आग्रह किया कि वो तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के ढांचे में लोकतंत्र के उदार संस्थानों और कानूनी नियमों की मज़बूती को सुनिश्चित करने के लिए व्यवहारिक और तथ्यात्मक तरीकों और साधनों को प्रतिबिंबित करे। उन्होंने 54 राष्ट्रमंडल देशों से हैदराबाद के इस ऐतिहासिक और खूबसूरत शहर में जुटे न्यायाधीशों, न्यायविदों और कानूनी दिग्गजों के प्रतिष्ठित श्रोताओं के साथ शामिल होने पर खुशी व्यक्त की और इस महत्वपूर्ण और सामयिक पहल के लिए आयोजकों की सराहना की।