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नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि गुणवत्ता, विश्वसनीयता और उत्पादकता में सुधार लाने की तकनीकों का उपयोग प्रशासन को साफ सुथरा बनाने, सार्वजनिक सेवाओं की विश्वसनीयता में सुधार लाने और कृषि उत्पादकता में वृद्धि करने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय सांख्यिकी संस्थान आईएसआई उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, जो व्यापक पैमाने पर देश के लिए सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। प्रणब मुखर्जी आईएसआई और दो अन्य प्रमुख संगठन क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया और रक्षा अनुसंधान विकास संगठन डीआरडीओ की उत्पादकता, गुणवत्ता, विश्वसनीयता, श्रेष्ठीकरण और मॉडलिंग– आईसीपीक्यूआरओएम–2011 पर अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस का उद्घाटन किया था।
आईएसआई के संस्थापक प्रोफेसर पीसी महलानोबिस को याद करते हुए मुखर्जी ने कहा कि उन्होंने औद्योगिक प्रबंधकों, कार्यकर्ताओं, इंजीनियरों, टेक्नीशियनों और सरकारी अधिकारियों के वृहत पैमाने पर प्रशिक्षण के लिए एक सांख्यिकीय गुणवत्ता नियंत्रण आंदोलन शुरू करने की आवश्यकता महसूस की थी। मुखर्जी ने यह भी कहा कि वहनीय कीमत पर आईएसआई प्रदत्त प्रशिक्षण एवं समस्या समाधान सेवाओं से भारतीय उद्योग को काफी लाभ हुआ है। गुणवत्ता आंदोलन ने विश्वसनीयता, श्रेष्ठीकरण और मॉडलिंग तकनीकों समेत अनेक विषयों को एक साथ लाकर खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि इन तकनीकों को सफलतापूर्वक लागू करने से उद्योगों को अपने कार्य की गुणवत्ता में सुधार लाने में मदद मिलती है।
वित्त मंत्री ने कहा कि कुछ दशक पहले से अब स्थिति बदल गई है और अनेक क्षेत्रों में भारत को अब एक बड़ी ताकत के रूप में मान्यता मिली है। उन्होंने कहा कि समय के साथ-साथ गुण्वत्ता चुनौती का स्वरूप भी बदल गया है। गुणवत्ता अर्हताएं भी काफी कठोर हो गई हैं और विपणन एवं मानव संसाधन जैसे क्षेत्रों और अनेक सेवाओं पर अब ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए नई तकनीकों और दृष्टिकोणों को विकसित करने की आवश्यकता है और शोधकर्ताओं ने इस क्षेत्र में अनेक दृष्टिकोणों के साथ प्रयोग किया है। मुखर्जी ने कहा कि आईएसआई में अनेक क्षेत्रों में सांख्यिकीय प्रणालियों के उपयोग को बढ़ावा देकर इस क्षेत्र में एक महत्वूर्ण भूमिका का निर्वाह किया है।