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भारत की जनगणना में सभी सहयोग दें

जनगणना का दूसरा अंतिम चरण शुरू

जनगणना कर्मी आपके द्वार

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जनगणना-census

लखनऊ। राज्यपाल बीएल जोशी ने प्रदेश वासियों से आग्रह किया है कि वे जनगणना कर्मी को अपने परिवार के प्रत्येक व्यक्ति के बारे में सभी सूचनाएं उपलब्ध कराएं। उन्होंने आश्वस्त किया है कि जनगणना अधिनियम के अंतर्गत परिवार की सूचनाएं गोपनीय रखी जाएंगी जोकि सूचना के अधिकार कानून के अंतर्गत भी हासिल नहीं की जा सकती हैं। उन्होंने जनगणना कार्य में लगे अधिकारियों और कर्मचारियों से भी अपेक्षा की है कि वे इस कार्य को निष्ठापूर्वक और समय के साथ पूरा करें-यह राष्ट्रीय कार्य है।

भारत की जनगणना 2011 के दूसरे चरण का कार्य देशभर में 9 फरवरी से 28 फरवरी 2011 और जांच कार्य 1 मार्च से 5 मार्च 2011 के मध्य किया जाना है। इस जनगणना की संदर्भ तिथि 1 मार्च को 00.00 बजे होगी। जनगणना का कार्य प्रत्येक 10 वर्ष के अंतराल पर सन् 1872 से लगातार किया जा रहा है। भारत की जनगणना 1872 के बाद इस अबाध श्रृंखला की 15वीं और स्वतंत्र भारत की 7वीं जनगणना है। जनगणना, युद्ध, महामारी, प्राकृतिक आपदा, राजनैतिक असंतोष जैसी विपत्तियों के बावजूद भी सतत रूप से की जाती रही है, इस बात का इतिहास गवाह है। जनगणना में लोगों की भागीदारी से वास्तव में राष्ट्र की अनेकता में एकता की भावना की झलक मिलती है।

भारत की जनगणना का कार्य विश्व का सबसे बड़ा समयबद्ध रूप से किया जाने वाला प्रशासनिक कार्य है। राष्ट्र के भविष्य निर्माण में जनगणना के आंकड़ों का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है। इन आंकड़ों के आधार पर योजनाओं का निर्माण उनका क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण किया जाता है। जनगणना के आंकड़ों का विकास योजनाओं की समीक्षा के लिए बहुत उपयोग किया जाता है। जनगणना का कार्य जनगणना अधिनियम 1948 और इसके अंतर्गत बनाये गये जनगणना नियम 1990 (संशोधित अधिनियम 1993) के तहत किया जाने वाला शासकीय कार्य है और इस कार्य को करने वाला व्यक्ति सरकारी ड्यूटी पर माना जाता है। इसमें पूछे जाने वाले प्रश्नों को भारत सरकार एवं राज्य सरकार के राजपत्रों में भी प्रकाशित किया जाता है।

भारत की जनगणना का कार्य दो चरणों में किया जाता है। उत्तर प्रदेश राज्य में जनसंख्या की गणना के प्रथम चरण जैसे मकान सूचीकरण और मकान गणना एवं राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर संबंधी कार्य, माह 16 मई से 30 जून 2010 के मध्य किया गया था। प्रथम चरण में मकान सूचीकरण एवं मकान गणना अनुसूची के माध्यम से मकानों को सूचीबद्ध करने के साथ उनमें व्यक्ति के रहने की संभावना की सूचना एकत्रित की गई थी और परिवार के पास उपलब्ध सुविधाएं जैसा कि घर एवं उसकी सामग्री और उसकी स्थिति, दैनिक जीवन में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं के संबंध में सूचनाएं एकत्र की गई थीं, जिससे मानव बस्तियों, मकानों की कमी आदि की स्थिति का मूल्यांकन किया जा सके। प्रथम चरण का मुख्य उद्देश्य द्वितीय चरण अर्थात जनसंख्या की गणना के लिए गणना कार्य के लिए फ्रेम तैयार करना है और गणना में बिना किसी दोहराव और चूक के संपूर्ण कवरेज सुनिश्चित करना है।

भारत की जनगणना 2011 के द्वितीय चरण कार्य में भरी जाने वाली परिवार अनुसूचियों में कुल 29 प्रश्न पूछे जाने हैं, जिनमें परिवार में रहने वाले व्यक्तियों का विवरण, लिंग, आयु, वैवाहिक स्थिति, धर्म, भाषा, साक्षरता, किये जाने वाले कार्य-कलाप एवं उनका स्वरूप, निःशक्तता, प्रवास और प्रजननता संबंधी प्रश्न हैं। इन आंकड़ों का प्रयोग कर सरकार विभिन्न प्रशासनिक क्षेत्रों की आबादी संदर्भ तिथि पर, उसमें रहने वाले व्यक्तियों की आर्थिक, सामाजिक एवं जनसांख्यिकीय वर्गीकरण तैयार करती है जिनका उपयोग नियोजन, रोजगार सृजन, शिक्षा के विकास, मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता, जनसांख्यिकीय एवं प्रवास संबंधी सुविधाओं/विकास कार्यों के उत्थान के लिए किया जाता है।

देश की जनता के कल्याण के उद्देश्य से मजबूत नीतियों और कार्यक्रमों के विकास के लिए इन आंकड़ों की बार-बार जरूरत पड़ती है। शोधकर्ताओं, व्यापारियों, योजनाकारों और चुनाव अधिकारियों, आदि की जरूरतों को पूरा करने के अलावा यह आंकड़े प्रभावी और सफल लोक प्रशासन के लिए भी महत्वपूर्ण स्त्रोत हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से आम आदमी के हित के लिए पंचवर्षीय योजनाएं, वार्षिक योजनाएं और विभिन्न कल्याणकारी परियोजनाएं शुरू की गई हैं। इन सबके लिए बुनियादी स्तर के आंकड़ों की उपलबधता जरूरी है और जनगणना से यह आंकड़े उपलब्ध कराये जाते हैं।

क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है कि संसदीय/विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों, पंचायतों और अन्य स्थानीय निकायों की सीटों का निर्धारण किस प्रकार किया जाता है? इसी प्रकार ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं का सीमांकन किस प्रकार किया जाता है? इसका समाधान जनगणना के आंकड़े ही हैं। इन्हीं आंकड़ों के आधार पर ही सरकारें अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत विभिन्न प्रशासनिक इकाईयों में विभिन्न योजनाओं एवं विकास कार्यक्रमों के लिए राजस्व का आवंटन करती हैं। जनगणना में प्रत्येक व्यक्ति की गणना की जाती है चाहे वह व्यक्ति बेघर ही क्यों न हो। ऐसे बेघर परिवारों की गणना 28 फरवरी 2011 के सूर्यास्त के बाद मध्य रात्रि तक की जाती है और की जाएगी। जनगणना में नवजात शिशु से लेकर वृद्ध व्यक्ति चाहे वह किसी भी आयु वर्ग का हो, की गणना की जाती है। सैन्य एवं अर्द्धसैन्य या ऐसे स्थान जहां आम आदमी का प्रवेश वर्जित होता है, वहां पर भी इन क्षेत्रों के अधिकारियों के माध्यम से गणना की जाती है। जनगणना का मूल उद्देश्य है कि प्रत्येक व्यक्ति की गणना की जाए।

भारत में उत्तर प्रदेश सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है। उत्तर प्रदेश राज्य में 312 तहसीलें, 648 सांविधिक नगर एवं लगभग 1 लाख 6 हजार ग्राम हैं। उत्तर प्रदेश में वर्तमान जनगणना कार्य में लगभग 4.5 लाख जनगणना कर्मी लगाए गए हैं जोकि 9 फरवरी से 28 फरवरी 2011 के मध्य घर-घर जाकर इस राष्ट्रीय महत्व के कार्य को करेंगे। इसके लिये उत्तर प्रदेश राज्य में लगभग 2.5 हजार उच्च प्रशासनिक अधिकारियों को राज्यपाल ने अधिसूचित किया है, जिन पर इस कार्य को गुणवत्तापूर्वक निष्पादित कराने का उत्तरदायित्व होगा। उत्तर प्रदेश राज्य में इसके लिये जनगणना कर्मियों के विभिन्न चरणों के वृहद् प्रशिक्षण कार्य को पूर्ण कर लिया गया है और गणना कार्य प्रारंभ करने संबंधी तैयारियां कर ली गई हैं।

जनगणना में संकलित व्यक्तिगत सूचनाएं गोपनीय होती हैं जिन्हें किसी भी दशा में किसी भी व्यक्ति को उपलब्ध नहीं कराया जाता है और ना ही साक्ष्य के रूप में कहीं प्रस्तुत किया जा सकता है। यहां तक की सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत भी इसकी सूचना किसी को उपलब्ध नहीं कराई जा सकती है। यह कार्य जन सहयोग के बिना पूर्ण करना संभव नहीं है। इसमें जन-जन की भागीदारी अतिआवश्यक है। आम नागरिक से यह अपील की गई है कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी गणना कराकर इस कार्य को सफल बनाए। इसमें लगे जनगणना कर्मियों, अधिकारियों और राज्य के कर्मियों से भी निष्ठा एवं कड़े परिश्रम की आशा की गई है। राज्य के समस्त शासकीय एवं गैर शासकीय संस्थाओं के प्रमुखों से अपेक्षा की गई है कि वह इस कार्य में अपना योगदान प्रदान करें।

उत्तर प्रदेश राज्य में निवास करने वाले सभी गणमान्य नागरिक, नेता, अभिनेता, खिलाड़ी, कलाकार, पत्रकार, मीडिया, बुद्धिजीवियों आदि से अनुरोध किया गया है कि वे इस राष्ट्रीय कार्य में अपना अमूल्य सहयोग प्रदान करें जिससे राज्य एवं देश की तरक्की के इस मुख्य कार्य को सफलतापूर्वक संपंन किया जा सके।

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