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नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा में लंबित सिक्का विधेयक में परिणात्मक और प्रारूपित बदलाव, जो भी जरूरी समझा जाए, करने के लिए वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। जुलाई 2009 में हुई बैठक में मंत्रिमंडल ने मौजूदा चार अधिनियमों– (1) भारतीय सिक्का अधिनियम 1906 (2) छोटा सिक्का (अपराध) अधिनियम 1971 (3) धातु टोकन अधिनियम, 1889 और कांस्य सिक्का (कानूनी निविदा, अधिनियम 1918 में मौजूदा वास्तविकताओं के आधार पर जरूरी संशोधन करने के प्रावधान के अतिरिक्त इन चारों अधिनियमों को मिलाने के लिए संसद में सिक्का विधेयक 2009 प्रस्तुत करने को मंजूरी दी थी।
सत्रह दिसंबर 2009 को इस विधेयक को लोकसभा में प्रस्तुत किया गया था और इसे परीक्षण के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेजा गया था। समिति ने लोकसभा को 31 अगस्त, 2010 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में सिक्का विधेयक 2009 में संशोधन करने की काफी संस्तुतियां थी। प्रमुख संस्तुतियों में सिक्कों को गलाने या उन्हें तहस-नहस करने पर दी जाने वाली सज़ा की मात्रा, सिक्का शब्द को विस्तारित कर एक रूपये के नोट को उसमें शामिल करना और मुद्रा अध्यादेश 1940 को निरस्त करना, विभिन्न मूल्य वर्ग के कौन से सिक्के कानूनी रूप से वैध हैं और इससे संबंधित परेशानियों का निवारण करने से संबंधित शामिल हैं।