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मोबाइल नंबर की पोर्टेबिलिटी के लिए 17 लाख अर्जियां

ट्राई ने की मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी लागू करने की समीक्षा

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नई दिल्ली। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने हाल में मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी की स्थिति की समीक्षा की। प्रतिवेदित आंकड़ों के अनुसार 5 फरवरी 2011 तक लगभग 17.11 लाख उपभोक्‍ताओं ने विभिन्‍न सेवा प्रदाताओं को अपने मोबाइल नंबर की पोर्टेबिलिटी के लिए निवेदन किया है। इन निवेदनों में से लगभग 2.29 लाख हरियाणा सेवा क्षेत्र से संबंध रखते हैं, जहां मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी को पहले लागू किया गया था।

देश के अन्‍य हिस्‍सों में मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी के लिए जोन-1 (उत्‍तरी और पश्चिमी क्षेत्र) में गुजरात (1.67 लाख) से सर्वाधिक निवेदन प्राप्‍त हुए, जिसके पश्‍चात राजस्‍थान (1.44 लाख) का स्‍थान रहा, जबकि एमएनपी जोन – 2 (दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्र) में कर्नाटक (1.16 लाख) से सर्वाधिक निवेदन प्राइज़ हुए, जिसके पश्‍चात तमिलनाडु सेवा क्षेत्र (1.14 लाख) का स्‍थान रहा। गौरतलब है कि 25 नवंबर 2010 को हरियाणा सेवा क्षेत्र में प्रायोगिक आधार पर मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) की शुरूआत की गई थी। इसके सफल रहने पर 20 जनवरी 2011 से इसे पूरे देश में लागू किया गया। देश में एमएनपी के लागू होने पर ट्राई लगातार इसकी निगरानी कर रहा है। प्राप्‍त की गई शिकायतों और प्रतिक्रियाओं के आधार पर ट्राई ने सेवा प्रदाताओं को एमएनपी के नियमों के प्रावधानों का सख्‍ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं।

यह पाया गया है कि पोर्टेबिलिटी के कुछ निवेदनों को सेवा प्रदाताओं ने अस्‍वीकृत कर दिया है। अस्‍वीकृत करने के प्रमुख कारक रहे हैं– पोर्टिंग फॉर्म में उपभोक्‍ताओं का गलत यूनिक पोर्टिंग कोड देना। मोबाइल नंबर को चालू हुए 90 दिन पूरा न होना, पहले से लागू अनुबंधात्‍मक बाध्‍यताएं और बकाया बिलों का निपटारा न करना। एमएनपी के और भी पहलुओं के विषय में उपभोक्‍ताओं को सर्तक किया गया है, जैसे- जब एक उपभोक्‍ता 1900 पर एसएमएस भेजता है, तो सेवा, प्रदाता आठ अंकों का एक यूनिक कोड प्रदान करता है। यूनिक पोर्टिंग कोड के पहले दो कोड अंग्रेजी वर्ण के होते हैं (जो कि सेवा प्रदाता के कोड और सेवा क्षेत्र के कोड के द्योतक हैं) और बाकी छह अंक '0' (शून्‍य) को छोड़कर संख्‍यात्‍मक होते हैं। पोर्टिंग फार्म में बिना किसी गलती के यूनिक पोर्टिंग कोड को भरा जाना चाहिए। अपना आवेदन सौंपने से पहले उपभोक्‍ताओं को एसएमएस से प्राप्‍त यूनिक पोर्टिंग कोड से फार्म में भरे गए यूनिक पोर्टिंग कोड का मिलान कर लेना चाहिए, ताकि गलती की कोई गुंजाइश न रहे।

पोर्टिंग के लिए उपभोक्‍ता तभी योग्‍य होगा, जब वो अपना मोबाइल कनेक्‍शन चालू होने के 90 दिन पूरे कर ले या फिर मोबाइल नंबर पोर्ट करने की अंतिम तिथि, जो भी लागू हो। पोर्टिंग के लिए आवेदन करने से पहले उपभोक्‍ता को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए। पहले से लागू अनुबंधात्‍मक बाध्‍यताएं जिसके संबंध में उपभोक्‍ता करार में एक्जिट शर्त दी गई हो, लेकिन उपभोक्‍ता के उसका पालन न किये जाने की स्थिति में सेवा प्रदाता पोर्टिंग के निवेदन को अस्‍वीकृत कर सकता है। पोर्टिंग के लिए आवेदन करने की तिथि से पहले उपभोक्‍ताओं के बकाया बिल या बिलों, जो भी स्थिति हो का भुगतान न करने पर सेवा प्रदाता पोर्टिंग का निवेदन अस्‍वीकृत कर सकता है। इसलिए उपभोक्‍ताओं को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि पोर्टिंग के लिए आवेदन करने से पहले उनके अंतिम बिल का पूरी तरह भुगतान हो चुका हो। पोर्टिंग के लिए इस बिल की प्रतिलिपि भी उन्‍हें सलंग्‍न करनी चाहिए। पोर्टिंग के लिए निवेदन करने से पहले उपभोक्‍ताओं को योग्‍यता मानदंड को ध्‍यान से पढ़ने की सलाह दी गई है, ताकि पोर्टिंग निवेदन के अस्‍वीकृत होने से बचा जा सके।

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