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स्वयंसेवक वंचितों के बीच जाएं-सीताराम केदिलाय

निवेदिता बालिका इंटर कॉलेज का वार्षिकोत्सव

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वार्षिकोत्सव-annual function

वाराणसी। निवेदिता बालिका इंटर कॉलेज के भाउराव देवरस सभागार में सेवा भारती काशी महानगर के वार्षिकोत्सव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख सीताराम केदिलाय ने समाज का मार्ग दर्शन करते हुए कहा है कि हमें समाज के वंचितों के साथ बैठकर उनकी आवश्यकताओं को समझना और उन्हें दूर करने का प्रयत्न भी करना पड़ेगा, इसी को सेवा कहते हैं। उन्होंने कहा कि सेवा से अहंकार का क्षय होता है, निरहंकार व्यक्ति शील एवं नम्रता से सद्गुण से पूर्ण होकर सहज लोकप्रियता प्राप्त करता है, इसलिए बिना भेद-भाव के विकलांग, अभावग्रस्त, निराश्रित, उपेक्षित, मातृ-पितृ विहीन बालक एवं व्यसनों से पीड़ित लोगों की सेवा जरूरी है। जिन व्यक्तियों के हृदय में समाज के प्रति बहुत प्रेम होता है, वे व्यक्ति अपने सही प्रेम को प्रकट करने के लिए वंचितों के साथ बैठेंगे और उनके आँसू पोछने का काम करेंगे तो तभी जीवन रचनात्मक रूप में परिवर्तित होगा।

सीताराम केदिलाय कार्यक्रम में मुख्य वक्ता थे। उन्होंने कहा कि माँ सेवा का ही प्रतिरूप होती है, सेवा और माँ के बीच में एक भावनात्मक संबंध है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवको और सेवा भारती के सहयोग से डेढ़ लाख से अधिक सेवा के प्रकल्प चलाये जा रहे हैं, जिसमें सबसे अधिक महिलाओं का योगदान है। मुख्य अतिथि शिशिर वाजपेयी ने कहा कि सेवा भारती के प्रकल्प को चलाने के लिए समाज के सहयोग की जरूरत है, समाज के जिन बंधुओं को ईश्वर ने शक्ति प्रदान की है उनको दीन-दुखियों के बीच जाना होगा तभी समाज शक्तिशाली होगा। विशिष्ट अतिथि डॉ प्रवोधिनी पंडा (श्रवण विद्या संकाय, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय) ने कहा कि वैदिक काल में छुआछूत नहीं थी, यज्ञ होता था, समाज के सभी बंधु उसमें सम्मिलित होते थे, इसलिए कि यज्ञ, समाज को जोड़ता है, कुछ अंतराल के बाद समाज में विकृति आई जिसके चलते छुआछूत बढ़ा। संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर ने छुआछूत को मिटाने के लिए समाज में जन जागरण किया, वे मोओवादी या ओसामा बिन लादेन नहीं बने, बल्कि अहिंसक तरीके से समाज में बदलाव लेकर आए। सेवा भारती के प्रांत अध्यक्ष राधाकृष्ण सोमानी ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

कार्यक्रम दीपप्रज्जवलन एवं पुष्पार्चन से शुरू हुआ। बालक-बालिकाओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम में सरस्वती वंदना, भारत माता की आरती, तेरी जय हो भारत माता, मेरा भारत वीरों का देश, सच्ची सेवा प्रभु पूजा है, इतनी शक्ति हमे देना देता, मेरे छोटे से भगवान, चंदन है इस देश की माटी सहित वंदेमातरम् की मनमोहक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के सेवा प्रमुख नवल किशोर, डॉ राज सिंह, डॉ रमेश, सत्यप्रकाश, डॉ कमलेश, रामचेला, रविंद्र कुमार, राजेश, रीता देवी, सीमा, ज्योति, सुनीता और अनीता सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन कृष्णमोहन ने किया।

लाजपत नगर पार्क से सैकड़ों बाल स्वयंसेवक पथ संचलन करते हुए लहुरावीर, संपूर्णानंद, तेलियाबाग, पटेल धर्मशाला होते हुए पुनः लाजपत नगर पार्क पहुंचे जहां कार्यक्रम का समापन हुआ। सीताराम केदिलाय ने बाल पथ संचलन में आये स्वयंसकों को संबोधित करते हुए कहा कि वे राष्ट्र निर्माण के लिए नई पीढ़ी में देशभक्ति की भावना भरने के लिए अनुशासित और भक्ति से ओत-प्रोत एवं संगठित जीवन मूल्यों के लिए समर्पित हों। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बाल्यावस्था में ही देशभक्ति के अंकुरों को रोपित करते हुए शाखा में कार्यक्रमों के माध्यम से व्यक्तित्व के सभी गुणों का निर्माण करता है। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक नित्य प्रति शाखा में आकर खेल खेलते हैं, योग, व्यायाम, आसन एवं सूर्य नमस्कार करते हैं। कदम से कदम मिलाकर चलने का अभ्यास करते हैं। देशभक्ति के गीतों से देशभक्ति की भावना स्वतः निर्माण होती है। भगवाध्वज को गुरू मानकर भारतमाता का मंत्र दोहराते-दोहराते एक अच्छे स्वयंसेवक बन जाते हैं। राष्ट्र के लिए जैसे लोगों की आवश्यकता है वैसे ही लोगों के व्यक्तित्व निर्माण के लिए शाखा योग्यतम उपक्रम है। बाल पथ संचलन की अध्यक्षता करते हुए महामण्डलेश्वर स्वामी संतोषदास महाराज ने बच्चों को आशीर्वाद दिया।

बाल पथ संचलन का रास्ते में जगह-जगह स्वागत हुआ। घोष की थाप के साथ नन्हे-मुन्हें बाल स्वयंसेवक ने सधे कदमो से संचलन किया। सबसे आकर्षण का केंद्र संचलन में शामिल झाकियां थीं। झांकियों में प्रमुख रूप से घोड़े पर सवार महारानी लक्ष्मीबाई, पंडित महामना मदनमोहन मालवीय, रविंद्रनाथ ठाकुर, स्वामी रामकृष्ण परमहंस एवं आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय के रूप में बाल स्वयंसेवक सजे थे। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना बाल स्वरूप के रूप में होती है। हमारी आने वाली संतति इन जैसे महापुरूषों से प्रेरित होकर चरित्रवान, देशभक्त बन सके इन्हीं सब विषयों को ध्यान में रखकर झांकियां बनाई गई थीं। इस कार्यक्रम का संचालन विभाग कार्यवाह दीनदयाल ने किया और धन्यवाद ज्ञापन त्रिलोकनाथ ने किया।

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