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नई दिल्ली। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि ढांचागत क्षेत्र में वित्तीय व्यवस्था काफी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि हमें आशा है कि 11वीं पंचवर्षीय योजना में ढांचागत क्षेत्र के लिए तय किया गया निवेश मुमकिन हो पाएगा, लेकिन 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए प्रारंभिक अनुमान में तय किए निवेश में 30 प्रतिशत की वास्तविक कमी का संकेत मिल रहा है।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि 12वीं पंचवर्षीय योजना में ढांचागत क्षेत्र में निवेश के लिए दस खरब अमरीकी डॉलर का लगभग आधा हिस्सा निजी क्षेत्र को करना है। वित्त मंत्री ने कहा कि निजी-सार्वजनिक सहभागिता जिसमें निजी क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्रों की मूलभूत चीजों का निर्माण कर रहा है, वो ढांचागत क्षेत्रों के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मुखर्जी ब्रिटेन के कारोबार, नवप्रवर्तन और कौशल विभाग के मंत्री विन्स केबल के साथ बुधवार को द्विपक्षीय बैठक में अपने विचार प्रकट कर रहे थे।
उन्होंने भारत-ब्रिटेन अवसंरचना समूह (बीआईआईजी) के गठन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि दोनों देश एक दूसरे के अनुभव से बहुत कुछ सीख सकते हैं। बीआईआईजी का गठन भारत में ढांचागत सुविधाओं के विकास की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है। ढांचागत परियोजनाओं को लागू करने में कौशल, श्रम शक्ति का अभाव देखा जा रहा है, वे चाहते हैं कि राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) विदेशी कंपनियों के साथ गठजोड़ करे ताकि बुनियादी क्षेत्र में उनकी सहभागिता को बढ़ाया जा सके।