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Thursday 11 June 2020 12:08:47 PM
अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के गिर जंगल में राजसी एशियाई सिंहों की बढ़ती संख्या पर प्रसन्नता व्यक्त की है। प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा है कि दो बहुत अच्छे समाचार हैं, गुजरात के गिर जंगल में रहने वाले राजसी एशियाई सिंहों की संख्या में लगभग 29 प्रतिशत वृद्धि हुई है और भौगोलिक रूपसे वितरण क्षेत्र या फैलाव 36 प्रतिशत तक बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि गुजरात की जनता और वे सभी प्रशंसा के पात्र हैं, जिनके प्रयासों की बदौलत यह शानदार कार्य संभव हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्षों से गुजरात में सिंहों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है, इसे सामुदायिक भागीदारी, प्रौद्योगिकी पर जोर, वन्यजीव स्वास्थ्य सेवा, उचित पर्यावास प्रबंधन और मानव-सिंह टकराव को कम करने के लिए उठाए गए कदमों से बल मिला है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह सकारात्मक प्रचलन जारी रहेगा।
गिर वन्यजीव अभयारण्य भारत के गुजरात में राज्य का राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्यप्राणी अभयारण्य है जो एशिया में राजसी सिंहों का एकमात्र परिवास स्थल होने के कारण जाना जाता है। गिर अभयारण्य 1724 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जिसमें 254 वर्ग किलोमीटर में राष्ट्रीय उद्यान और 1153 वर्ग किलोमीटर वन्यप्राणियों के लिए आरक्षित अभयारण्य है। इसके अतिरिक्त पास में ही मितीयाला वन्यजीव अभयारण्य भी है जो 14.22 किलोमीटर में फैला हुआ है। ये दोनों आरक्षित विस्तार गुजरात में जूनागढ़, अमरेली और गिर सोमनाथ जिले के भाग हैं। सिंह दर्शन के लिए ये उद्यान एवं अभयारण्य विश्व में प्रवासियों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। विश्व में सिंहों की कम हो रही संख्या की समस्या से निपटने और एशियाटिक सिंहों के रक्षण हेतु सिंहों के एकमेव निवास स्थान समान इस विस्तार को आरक्षित घोषित किया गया था। विश्व में अफ़्रीका के बाद इसी विस्तार में सिंह बचे हैं। गिर के जंगल को सन् 1949 में वन्य जीव अभयारण्य घोषित किया गया था और इसके छह वर्ष बाद इसका 180.4 वर्ग किलोमीटर में विस्तार करके इसे राष्ट्रीय उद्यान के रूपमें स्थापित कर दिया गया।
गिर अभ्यारण्य का अब लगभग 256.71 वर्ग किलोमीटर तक विस्तार हो चुका है। भारत में प्राचीनकाल से सिंहों का महत्व रहा है और लोकवार्ताओं में सिंह को जंगल का राजा कहा जाता है। प्राचीन प्रतीकों में भी सिंह का उल्लेख मिलता है। सिंह की प्रजातियां न केवल भारत अपितु एशिया में विलुप्त होने लगीं थीं और सन् 1900 के आसपास केवल गुजरात क्षेत्र में मात्र 15 सिंह ही बचे थे, तब जूनागढ़ के तत्कालीन नवाब ने गिर क्षेत्र सिंहों के लिए आरक्षित घोषित करके सिंहों के शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया था। सिंहों के शिकार जंगलों के कटने, सिंहों के लिए सुयोग्य वातावरण प्राप्त न होने, पानी और भोजन आदि समस्याओं के चलते धीरे-धीरे भारत से सिंहो की प्रजातियां लुप्त हो रही थीं, जिनपर गुजरात सरकार ने ध्यान दिया और आज शेरों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।