कौन हूं मैं? आप मुझे दिनेश शर्मा कहते हैं। पत्रकारिता में मेरे नाम राशि और भी कई हैं, जो पत्रकारिता के महान मिशन और इस ज़माने में पेशेवर पत्रकारिता में अपनी कलम के जौहर दिखा रहे हैं, मगर मैं इनमें आपके लिए अनजान और सबसे छोटा हूं और अभी भी पत्रकारिता में खड़े होने और कलम पकड़ने की तमीज़ सीख रहा हूं।
ग्रामीण परिवेश में पला-बढ़ा हूं मैं और सौभाग्य से एक शिक्षक परिवार से हूं। हिमालय की तलहटी और ऋषि मुनियों की तपोभूमि, राजा दुष्यंत-शकुंतला के यशस्वी पुत्र भरत एवं पत्रकारिता क्षेत्र के दिग्गजों की जन्मभूमि कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश के जनपद बिजनौर की धरती पर मुझे इस खूबसूरत संसार को देखने और पत्रकारिता के महानतम पेशे को अपनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। नैतिक मूल्यों, कड़े अनुशासन और अत्यंत सादे जीवन के साथ एक आदर्श शिक्षक रहे पिताश्री ओमप्रकाश शर्मा का पुत्र होने मे मैं अपने को धन्य समझता हूं, यद्यपि उनके नैतिक मूल्यों के आगे मैं कुछ भी नहीं हूं। पत्रकारिता की ओर शुरू से ही मेरा झुकाव था, शुरुआती समय में पिताश्री मेरे भविष्य के प्रति काफी चिंतित रहे, मगर उन्होंने मेरा मार्ग रोका नहीं और मुझे मेरे कर्तव्यपथ पर चलने दिया।
पत्रकारिता की अहमियत और इसके बेहद रोमांचित करने वाले जोखिम मुझे निर्भीकता से चलते रहने की प्रेरणा देते आए हैं एक देश, एक समाज और एक पेशे में ईमानदारी से अपना काम करते जाने के लिए। मै बेहद खुश हूं कि मेरा शौक मेरा पेशा बना। मेरे लिए यह कहना बहुत ही कठिन और चुनौती भरा है कि मैं आपको अपने परिचय में पत्रकारिता के कुछ मनीषियों की संगत में रहने की खुशी और हिंदी पत्रकारिता में लंबे और अनवरत संघर्ष के अलावा और क्या बताऊं? सिवाय एक कलम के मेरे नाम भ्रमित कर देने वाले बाज़ार के अहंकारजनित तमगे या खास उपलब्धियां नहीं हैं, जिनका मै आपके सामने ढोल बजाते हुए बखान करुं। कुछ हिंदी समाचार पत्रों के साथ और कुछ समय दूरदर्शन के लिए काम किया। पांच जनवरी 2008 से स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम ऑनलाइन हिंदी दैनिक समाचार पोर्टल के साथ पत्रकारिता का जीवन चल रहा है। आपको मेरी इन्हीं कुछ लाइनों पर ही संतोष करना होगा।
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