स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 1 July 2021 02:51:21 PM
नई दिल्ली। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कारों के 8वें संस्करण के विजेताओं के उत्कृष्ट प्रयासों को रेखांकित किया है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के बीच नवाचार और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए 2011-12 में राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कारों की स्थापना की थी, क्योंकि सामुदायिक रेडियो स्टेशन सक्रिय भागीदारी के जरिए अपने श्रोताओं के बीच सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे में जागरुकता फैलाने में बहुत उपयोगी हैं। भारत में सामुदायिक रेडियो का आंदोलन बीते कुछ वर्षों में मजबूत हुआ है। देश में कई राज्यों में आज 327 सामुदायिक रेडियो स्टेशन काम कर रहे हैं। सामुदायिक रेडियो 'लोगों द्वारा, लोगों का, लोगों के लिए' के सिद्धांत की एक मिसाल हैं। सामुदायिक रेडियो अपने आसपास 10-15 किलोमीटर के दायरे में स्थानीय समुदाय के लाभ के लिए स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित होते हैं। ये ज्यादातर स्थानीय लोगों द्वारा चलाए जाते हैं, जो टॉक शो होस्ट करते हैं, स्थानीय संगीत बजाते हैं और स्थानीय गाने गाते-सुनाते हैं।
सामुदायिक रेडियो स्टेशन स्थानीय स्तर पर सम्मानित लोग समुदाय के सामने आने वाली महत्वपूर्ण समस्याओं को उठाते हैं। यही वजह है कि समुदाय केंद्रित होने के कारण लोगों के दिमाग पर इनका बहुत असर होता है। इन सामुदायिक रेडियो स्टेशनों ने कोविड-19 महामारी के दौरान संचार में खासी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कार आमतौर पर हर साल दिए जाते हैं। अबतक 7 राष्ट्रीय कम्युनिटी रेडियो पुरस्कार प्रदान किए जा चुके हैं। वर्ष 2020-21 के दौरान 8वें राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कार प्रदान किए गए। इन्हें चार श्रेणियों में दिया गया था-थीमैटिक पुरस्कार, सबसे इनोवेटिव कम्युनिटी एंगेजमेंट पुरस्कार, स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए पुरस्कार और सस्टेनेबिलिटी मॉडल पुरस्कार। थीमैटिक कैटेगरी अवॉर्ड में पहला पुरस्कार रेडियो मट्टोली, वायनाड सोशल सर्विस सोसाइटी वायनाड केरल को उसके कार्यक्रम ‘रितुबेदम’ के लिए दिया गया, जो 2009 में अपनी स्थापना के बाद से ही वायनाड जिले का सामुदायिक रेडियो मट्टोली 90.4 एफएम, विकास संचार और सामाजिक परिवर्तन का महत्वपूर्ण स्रोत रहा है। रेडियो मट्टोली अपने विविध रेडियो कार्यक्रमों के जरिए वायनाड के लोगों की और खासकर जनजातीय आबादी की विभिन्न सूचना संबंधी ज़रूरतों को पूरा करता है। ये स्टेशन 24 घंटे प्रसारण करता है।
रितुबेदम कार्यक्रम दरअसल रेडियो मट्टोली द्वारा निर्मित और प्रसारित रेडियो वार्ता की एक श्रृंखला है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य है-मानवीय और सामाजिक मूल्यों, खेती, खाद्य सुरक्षा, पशुधन, स्वास्थ्य, लिंग, जैव-विविधता, ग्रामीण बुनियादी ढांचे और अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर के साथ सतत पर्यावरण और कृषि उत्पादन क्षमता में सुधार के लिए, केरल के वायनाड जिले में जलवायु अनुकूलन मॉडल को बढ़ावा देना। यह कार्यक्रम सतत विकास और कल्याण पर केंद्रित है। इसमें रेडियो वृत्तचित्र, नाटक, कार्यक्रमों में लाइवफोन, पैनलचर्चा और लोकसेवा घोषणाएं जैसे कई रेडियो कार्यक्रम शामिल है। थीमैटिक कैटेगरी अवॉर्ड में दूसरा पुरस्कार रेडियो विश्वास, विश्वास ध्यान प्रबोधिनी एवं अनुसंधान संस्थान नासिक महाराष्ट्र को उसके कार्यक्रम ‘शिक्षण सर्वांसाठी’ के लिए दिया गया है। रेडियो विश्वास 90.8 सामुदायिक रेडियो स्टेशन नासिक महाराष्ट्र में स्थित है। रेडियो विश्वास इस क्षेत्र के विभिन्न समुदायों को संबोधित करते हुए कई कार्यक्रमों का प्रसारण कर रहा है।
रेडियो विश्वास स्टेशन रोज़ाना 14 घंटे कार्यक्रम प्रसारित कर रहा है। शिक्षण सर्वांसाठी कार्यक्रम का मकसद ये सुनिश्चित करना था कि गरीब और वंचित बच्चों को कहीं उनकी पृष्ठभूमि के कारण शिक्षा की कमी न हो। ये विशेष रूपसे नगर निगम के स्कूलों में बच्चों के लिए है और जिनके माता-पिता प्रवासी श्रमिक हैं। कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान औपचारिक शिक्षा बुरी तरह प्रभावित हुई। इन बच्चों केलिए सबसे बड़ी चुनौती ऑनलाइन शिक्षा तक पहुंच हासिल करना था। इस मसले से निपटने के लिए ये तय किया गया कि सामुदायिक रेडियो के जरिए लेक्चर दिए जाएंगे। इस कार्यक्रम को नासिक में 150 स्कूल शिक्षकों के सहयोग से लागू किया गया। शिक्षकों को उनकी विशेषज्ञता के आधार पर विषय दिए गए। इस विषयवस्तु को सभी डिवीजन के छात्रों के लिए विकसित किया गया। कार्यक्रम को विभिन्न भाषाओं यानी हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, संस्कृत में प्रसारित किया गया। इस कार्यक्रम को लक्षित समुदाय से अच्छी-खासी प्रतिक्रिया मिली।
थीमैटिक कैटेगरी अवॉर्ड में तीसरा पुरस्कार किसान रेडियो, किसान सेवा संस्थान बस्ती उत्तर प्रदेश को उसके कार्यक्रम 'सुपर ब्रेन ऑफ द वीक' के लिए दिया गया है। किसान रेडियो 90.4 एफएम बस्ती में 2012 से चल रहा है। ये स्टेशन रोज़ 15 घंटे के कार्यक्रम प्रसारित करता है। अब तक ये जिले का एकमात्र स्टेशन है जो काम कर रहा है। अपनी सहभागिता वाली विषयवस्तु के निरंतर प्रसारण के जरिए ये यहां के स्थानीय समुदाय के बीच काफी लोकप्रिय हो गया है। इसके ज्यादातर कार्यक्रम समुदाय केंद्रित और आवश्यकता आधारित हैं। 'सुपर ब्रेन ऑफ द वीक' कार्यक्रम का चयन दरअसल सामुदायिक रेडियो के जरिए छात्रों के बीच एक रोचक लर्निंग विकसित करने के लिए किया गया था। इस कार्यक्रम का मुख्य मकसद विशेष रूपसे सक्षम बच्चों के लिए काम करना था और उनमें ये आत्मविश्वास भरना था कि अपने समाज और परिवार में वे भी समान रूपसे योगदान दे सकते हैं। रेडियो के माध्यम से उन्हें एक ऐसा मंच मिला जहां वे मीडिया और संचार तक आसानी से पहुंच सकते हैं और अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन कर सकते हैं।
'सुपर ब्रेन ऑफ द वीक' कार्यक्रम को साकार करने के लिए कई स्कूलों से संपर्क किया गया, जिसमें न केवल छात्रों बल्कि शिक्षकों और प्राचार्यों ने भी हिस्सा लिया। नर्सरी स्तर से 5वीं कक्षा तकके विद्यार्थियों का चयन किया गया। इस कार्यक्रम का असर शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों के बीच साफ तौर पर दिखाई दिया। स्थानीय प्रशासन ने इस तरह के प्रयासों की सराहना की और अनुरोध किया कि इस प्रकार के कार्यक्रमों को रेडियो के माध्यम से लोकप्रिय बनाया जाए। मोस्ट क्रिएटिव/ इनोवेटिव कम्युनिटी एंगेजमेंट अवॉर्ड में पहला पुरस्कार सामुदायिक रेडियो स्टेशन रिमझिम रेडियो 90.4 एफएम अयोध्या लाल कल्याण निकेतन गोपालगंज बिहार को अपने कार्यक्रम 'जन सुनवाई' के लिए दिया गया। रिमझिम रेडियो 2009 से ही गोपालगंज में काम कर रहा है। अपने कार्यक्रम 'जन सुनवाई' के ज़रिए गोपालगंज के उपखंड मजिस्ट्रेट को स्थानीय समुदाय से शिकायतें मिलीं और उन्होंने उनके समाधान के लिए जरूरी उपाय किए। जरूरी कार्रवाई के लिए एसडीएम कार्यालय में भी शिकायतें दर्ज कराई गईं, हालांकि इस टॉक शो में जवाब देने वालों की गोपनीयता बनाए रखी गई थी। लोग अपनी शिकायतें या तो रेडियो को या सीधे जिला प्रशासन को भेजने के लिए प्रेरित हुए।
श्रोताओं के निरंतर जुड़ाव के लिए समुदाय के सदस्यों से अनुरोध किया गया कि वे अपनी समस्याओं को पत्र, एसएमएस, व्हाट्सएप, ई-मेल और फोनकॉल के जरिए भेजें। लोगों के लिए विभिन्न प्रशासनिक कार्यालयों में जाए बिना अपनी समस्याओं/ मुद्दों को उठाने का ये सबसे आसान तरीका था, इसीलिए लोग अपने मुद्दों को उठाने के लिए इस माध्यम का इस्तेमाल कर रहे थे। पहली बार लोगों को ऐसी शिकायतें दर्ज करवाने में आसानी हुई जो पेंशन, जमीन की समस्या, सड़क की समस्या, चीनी मिल की समस्या, सरकारी योजनाओं और उनके जीवन से जुड़ी थीं। सबसे क्रिएटिव/ इनोवेटिव कम्युनिटी एंगेजमेंट अवॉर्ड में दूसरा पुरस्कार रेडियो मन, समग्र शिक्षण एवं जन कल्याण संस्थान विदिशा मध्य प्रदेश को उसके कार्यक्रम 'जीनियस ऑफ विदिशा' के लिए दिया गया। सामुदायिक रेडियो स्टेशन, रेडियो मन 90.8 एफएम विदिशा में 2015 से चल रहा है। ये रेडियो प्रवासियों सहित विभिन्न समुदायों को लक्षित करता है। कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान आर्थिक स्थिरता ने सरकार और समुदाय के सामने एक बड़ी चुनौती पेश की। इस रेडियो स्टेशन ने पीएम केयर्स फंड के महत्व पर प्रकाश डाला और क्राउड सोर्सिंग व लोगों के सकारात्मक जुड़ाव के जरिए पीएम केयर्स के लिए फंड जुटाना शुरू किया।
रेडियो मन ने 'जीनियस ऑफ द वीक' नाम का बेहद अनूठा कार्यक्रम शुरू किया। इसके प्रतिभागी 101 रुपये के न्यूनतम पंजीकरण शुल्क के साथ कार्यक्रम में भाग ले सकते हैं और यह शुल्क पीएम केयर्स के डोनेशन फंड का हिस्सा हो सकता है। जो प्रतिभागी 'जीनियस ऑफ द वीक' बनते हैं, उन्हें डोनेशन की दोगुनी राशि प्राप्त हो सकती है। इस कार्यक्रम में सभी आयु वर्ग के लोगों ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में कुल 3,152 व्यक्तियों ने हिस्सा लिया, इसके माध्यम से 4,15,300 रुपये की राशि जुटाई गई और उसे इस रेडियो द्वारा पीएम केयर्स फंड में जमा करवा दिया गया। सबसे क्रिएटिव/ इनोवेटिव कम्युनिटी एंगेजमेंट अवॉर्ड में तीसरा पुरस्कार सामुदायिक रेडियो स्टेशन रेडियो दस्तक 90.4 एफएम श्रीकृष्ण शिक्षण लोक परमार्थ समिति उज्जैन मध्यप्रदेश को उसके कार्यक्रम 'दस्तक काव्य गोष्ठी' के लिए दिया गया। रेडियो दस्तक जनवरी 2019 से चल रहा है। चूंकि उज्जैन एक महत्वपूर्ण स्थान है इसलिए पूरे भारत से लोग यहां आते हैं और कुछ दिनों के लिए रुकते भी हैं। ये रेडियो अपने कार्यक्रम काव्य गोष्ठी के जरिए उभरते स्थानीय कवियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका देता है। इस कार्यक्रम में महिला सदस्यों की प्रतिभा का प्रदर्शन किया जाता है। इस कार्यक्रम के कई एपिसोड प्रसारित करने के बाद वर्चुअल कविता इस क्षेत्र में बहुत लोकप्रिय हुई है।
लॉकडाउन के दौरान ऐसे कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार से न केवल स्थानीय प्रतिभाएं सामने आईं, बल्कि इन्होंने लोगों के मानसिक और भावनात्मक कल्याण में भी बहुत योगदान दिया। इस कार्यक्रम को बढ़ावा देने केलिए कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया गया। एक-दूसरे की कविताओं-शायरियों को पहचानने और साझा करने की खुशी इस कार्यक्रम की खास सफलता है। बहुत ही कम समय में इसने अपने उद्देश्यों को प्राप्त किया। स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देने के अवॉर्ड में पहला पुरस्कार रेडियो गुंजन इंस्पायर बरगढ़ ओडिशा को अपने कार्यक्रम ‘काकलीचंदा’ के लिए दिया गया। ओडिशा के बरगढ़ में स्थित सामुदायिक रेडियो स्टेशन रेडियो गुंजन 90.4 एफएम 2018 के बाद से इस क्षेत्र का पहला सामुदायिक रेडियो स्टेशन है। ये स्टेशन पूरी तरह से सामुदायिक वॉलंटियर्स (70 सामुदायिक श्रोता समूह) पर निर्भर है। काकालीचंदा दरअसल रेडियो गुंजन का एक अभिनव कार्यक्रम है। काकलीचंदा कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देना है। कर्मा एक विशिष्ट नृत्य विधा है, जिसे पश्चिमी ओडिशा के जनजातीय और गैर जनजातीय समूहों द्वारा किया जाता है। संगीत ही कर्मा का दिल है। यह विषय यहां किसान समुदाय के बीच बहुत लोकप्रिय हुआ।
काकलीचंदा कार्यक्रम में होनेवाला नृत्य और संगीत कुछ धार्मिक प्रथाओं पर केंद्रित हैं। इसने इस अभिनव कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए बहुत सी स्थानीय प्रतिभाओं को आकर्षित किया। स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देने के अवॉर्ड में दूसरा पुरस्कार रेडियो एसडी, एसडी कॉलेज ऑफ फार्मेसी एंड वोकेशनल स्टडीज मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश को अपने कार्यक्रम ‘गुड़ महोत्सव’ के लिए दिया गया है। सामुदायिक रेडियो स्टेशन रेडियो एसडी 90.8 एफएम 2015 से काम कर रहा है। ये मुजफ्फरनगर जिले का इकलौता सामुदायिक रेडियो स्टेशन है। सीआरएस स्थानीय समुदाय के लिए प्रासंगिक विभिन्न कार्यक्रमों का प्रसारण कर रहा है। मुजफ्फरनगर एक गन्ना समृद्ध क्षेत्र का शहर है और इस क्षेत्र में गुड़ का सबसे बड़ा बाजार है। ये कार्यक्रम न केवल आर्थिक लाभ केलिए बल्कि स्वास्थ्य के नजरिए से भी फायदेमंद गुड़ के उपयोग पर केंद्रित है। इस पारंपरिक व्यंजन गुड़ को बचाने और बढ़ावा देने के लिए ये जरूरी है कि लोग गुड़ बनाने के लिए अपनाए गए विभिन्न तरीकों को जानें। इसने गुड़ के आर्थिक महत्व पर और स्थानीय व राष्ट्रीय बाजारों में इसके लिए मांग की स्थिति पैदा करने पर भी ध्यान केंद्रित किया। गुड़ निर्माताओं को इकट्ठा करते हुए इस स्टेशन ने विभिन्न स्थानों पर गुड़ की विभिन्न किस्मों के स्टॉल आयोजित किए और सभी स्तरों पर इस स्थानीय व्यंजन को बढ़ावा दिया। अब इनमें से कुछ गुड़ निर्माताओं ने गुड़ का ऑनलाइन कारोबार भी शुरू कर दिया है।
स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देने के अवॉर्ड में तीसरा पुरस्कार रेडियो सलाम नमस्ते, इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज़ नोएडा उत्तर प्रदेश को अपने कार्यक्रम 'आर्ट मंथन' के लिए दिया गया। सामुदायिक रेडियो स्टेशन, सलाम नमस्ते साल 2008 से काम कर रहा है। ये कार्यक्रम बनाते समय इस रेडियो स्टेशन ने सहभागी रवैया अपनाया है और कार्यक्रमों को निर्मित करने में समुदाय को शामिल किया है। आर्ट मंथन कार्यक्रम का मकसद इस समुदाय से कलाकारों-कारीगरों को लाकर भारतीय कलारूपों को लोकप्रिय बनाना है। कार्यक्रम को लोकप्रिय बनाने के लिए इस रेडियो ने विभिन्न स्थानों पर कई कार्यशालाओं और प्रदर्शनियों के आयोजन किए। कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए कलाकार-कारीगर समुदाय को भी आमंत्रित किया गया। अलग-अलग स्कूलों और कॉलेजों में भारतीय कला पर आधारित प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। कई कार्यक्रमों की एक श्रृंखला के जरिए यहां का स्थानीय समुदाय भारत के विभिन्न राज्यों जैसे मधुबनी, बिहार, वर्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश की कलमकारी और कोलकाता की कालीघाट कला के विभिन्न कलारूपों से अवगत है। इसका एक अन्य उद्देश्य समुदाय के वंचित कारीगरों को विभिन्न स्कूलों के कला शिक्षकों के साथ लाने के लिए एक मंच के रूपमें कार्य करना था।
सस्टेनेबिलिटी मॉडल अवॉर्ड में पहला पुरस्कार रेडियो विश्वास, विश्वास ध्यान प्रबोधिनी एवं अनुसंधान संस्थान नासिक महाराष्ट्र को दिया गया। नासिक में स्थित रेडियो विश्वास 90.8 सामुदायिक रेडियो स्टेशन, स्थानीय समुदायों के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का प्रसारण करता है। ये स्टेशन प्रतिदिन 14 घंटे प्रसारण कर रहा है। इस रेडियो ने अपने कामकाज के लिए सस्टेनेबिलिटी के अभिनव मॉडल को अपनाया है। रेडियो विश्वास के क्रमिक विकास ने इस स्टेशन को चार प्रमुख क्षेत्रों में निर्भर और स्थिर रहने लायक बनाया। वे चार क्षेत्र हैं-वित्त, मानवीय, तकनीक और विषयवस्तु की स्थिरता। खाते की पारदर्शिता और उचित ऑडिटिंग बनाए रखने के लिए इस रेडियो स्टेशन ने अपने मूल निकाय के अलावा एक अलग बैंक खाता बनाए रखा। इस स्टेशन ने अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों और सरकारी विभागों के समर्थन से विभिन्न परियोजनाओं को लागू किया। इसने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए स्टाफ की अच्छी संरचना बनाए रखी। इसके राजस्व पैदा करने के प्रमुख स्रोतों में शामिल हैं-स्थानीय विज्ञापन और सरकारों व अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों से मिलने वाला धन। वर्ष 2019-20 के दौरान ये रेडियो स्टेशन 50 नए कार्यक्रमों का प्रसारण कर सका। दस वर्ष की अवधि में ये स्टेशन 3 लाख लोगों का एक विकसित श्रोता आधार बना पाने में कामयाब रहा है।
सस्टेनेबिलिटी मॉडल अवॉर्ड में दूसरा पुरस्कार अल्फ़ाज़-ए-मेवात, एसएम सहगल फाउंडेशन मेवात नूंह हरियाणा को दिया गया। सामुदायिक रेडियो अल्फाज़-ए-मेवात एफएम 107.8 की स्थापना 2012 में हुई थी और ये हरियाणा के नूंह जिले के 220 गांवों को कवर करते हुए 2 लाख से अधिक की आबादी तक पहुंच रहा है। ये स्टेशन 13 घंटे के दैनिक कार्यक्रम प्रसारित करता है। बीते वर्षों में ये स्टेशन 630 कार्यक्रमों का निर्माण करने में सक्षम रहा है। वित्तीय स्थिरता के मोर्चे पर ये स्टेशन बाहरी भागीदार एजेंसियों और स्थानीय विज्ञापनों के साथ-साथ डीएवीपी के माध्यम से भी धन जुटाने में कामयाब रहा है। इस रेडियो स्टेशन के ज्यादातर स्टाफ सदस्यों की भर्ती स्थानीय समुदाय में से की जाती है। ये स्टेशन तकनीकी रूपसे सुसज्जित है और प्रसारण के दौरान पैदा होने वाली किसी भी तकनीकी समस्या से निपटने के लिए स्टाफ सदस्यों को प्रशिक्षित करता है। विषयवस्तु स्थिरता के मामले में इस स्टेशन ने यहां के समुदाय से मिलने वाला एक फीडबैक तंत्र विकसित किया है, जिसके जरिए कार्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं। ये स्टेशन स्थानीय प्रशासन की गतिविधियों और खासकर आपात स्थिति में समर्थन करता रहा है। इस रेडियो स्टेशन ने कोविड जागरुकता कार्यक्रमों को फैलाने के लिए विशेष प्रयास और अभियान चलाए हैं।
सस्टेनेबिलिटी मॉडल अवॉर्ड में तीसरा पुरस्कार किसान रेडियो किसान सेवा संस्थान बस्ती उत्तर प्रदेश को दिया गया। किसान रेडियो 90.4 एफएम 2012 से काम कर रहा है। ये रोज़ 15 घंटे के कार्यक्रमों का प्रसारण करता है। अब तक ये इस जिले का पहला और एकमात्र स्टेशन है जो चल रहा है। अपनी सहभागिता वाली सामग्री के साथ अपने निरंतर प्रसारण के जरिए ये स्थानीय समुदाय के बीच बहुत लोकप्रिय हो गया है। इसके ज्यादातर कार्यक्रम समुदाय केंद्रित और आवश्यकता आधारित हैं। इस स्टेशन के लिए वित्त पोषण के मुख्य स्रोत हैं-स्थानीय विज्ञापन, सदस्यता शुल्क, स्थानीय प्रशासन से मिलने वाले विज्ञापन और स्थानीय उत्पादों की मार्केटिंग आदि। इसे खास परियोजनाएं चलाने के लिए सरकारी एजेंसियों से मदद मिली है। ये स्टेशन स्थानीय स्तर पर अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित करने में सक्षम रहा है। ये स्थानीय प्रशासन के लिए काफी मददगार साबित हुआ है, खासकर आपदाओं और यातायात प्रबंधन में। इस स्टेशन की व्यवहार्यता सभी चार स्तंभों जैसे विषयवस्तु, मानव संसाधन, तकनीकी और वित्तीय स्थिरता में निहित है।