स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 15 February 2022 01:31:04 PM
हैदराबाद। तेलंगाना के दूसरे सबसे बड़े जनजातीय समुदाय 'कोया जनजाति' में चार दिन तक मनाया जाने वाला मेदाराम जतारा कुंभ मेले के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा मेला है। वर्तमान में तेलंगाना सरकार के आदिवासी कल्याण विभाग के सहयोग से कोया जनजातियों में जतारा त्योहार द्विवार्षिक रूपसे मनाया और आयोजित किया जाता है। केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय ने मेदारम जतारा-2022 से संबंधित विभिन्न गतिविधियों केलिए 2.26 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। इस वर्ष यह मेला 16 से 19 फरवरी 2022 तक मनाया जा रहा है। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने जिन गतिविधियों केलिए धनराशि स्वीकृत की है, उनमें-मेदाराम, जनजातीय संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देना, दीवारों पर चिलकालगुट्टा तथा भित्ति चित्र और सांस्कृतिक परिसर-मॉडल कोया जनजातीय गांव में संग्रहालय परिसर केलिए सुरक्षा दीवार तैयार करना, सप्ताहभर चलने वाले राज्यस्तरीय जनजातीय नृत्य महोत्सव का आयोजन, संग्रहालय का सुदृढ़ीकरण आदि शामिल हैं। व्यापक रूपसे होने वाली अन्य आवश्यक गतिविधियों में कोया जनजाति के छोटे उत्सवों के संदर्भ में अनुसंधान और प्रलेखन, विभिन्न राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं का आयोजन तथा एमएसएमई इकाइयों को आर्थिक सहायता प्रदान करना शामिल है।
मेदाराम जतारा त्यौहार के फुटफॉल और इसके महत्व को ध्यान में रखते हुए इसको 1996 में एक राजकीय त्यौहार घोषित किया गया था। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने वर्ष 2018 और 2020 में मेदाराम जतारा केलिए प्रत्येक वर्ष में 2.00 करोड़ रुपए जारी किए। धनराशि का उपयोग मेदाराम जतारा की ब्रांडिंग और इसकी संगठनात्मक गतिविधियों जैसे एक सप्ताह तक चलने वाले राज्यस्तरीय जनजातीय नृत्य महोत्सव, फिल्म वीडियो वृत्तचित्रों का निर्माण, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से मेदाराम जतारा को प्रचारित करने, मेदाराम जनजातीय संग्रहालय और सांस्कृतिक परिसर को मजबूत करने केलिए किया गया था। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने जतारा अवधि के दौरान और अन्य मौसमों में स्थानीय आदिवासियों द्वारा कृषि गोदामों के रूपमें सामुदायिक आश्रयों के उपयोग केलिए मेदाराम में तथा उसके आसपास के बहुउद्देश्यीय भवनों जैसे बुनियादी ढांचे की स्थापना केलिए अनुच्छेद 271(1) के तहत 2019-20 में 7.00 करोड़ रुपए और 2021-22 में 5.00 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं।
आजादी के अमृत महोत्सव के तहत केंद्र सरकार ने घोषणा की हैकि 2022 के दौरान आदिवासी संस्कृति और विरासत पर मुख्य रूपसे ध्यान दिया जाएगा। देवी सम्मक्का और सरलम्मा के सम्मान में मेदाराम जतारा आयोजित किया जाता है। यह दो साल में एकबार माघ यानी फरवरी महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। विभिन्न गांवों की कई अनुसूचित जनजातियां यहां इकट्ठा होती हैं और लाखों तीर्थयात्री मुलुगु जिले में पूरे उत्साह केसाथ त्यौहार मनाने केलिए आते हैं। इस तरह के दुर्लभ अवसर को देखने केलिए दो साल तक इंतजार करने वाले लाखों श्रद्धालुओं केलिए चार दिन का मेदाराम जतारा सबसे शुभ आयोजन है। जनजातीय कार्य मंत्रालय की ओर से इसके निरंतर समर्थन का उद्देश्य तेलंगाना के जनजातीय समुदायों और आगंतुकों केबीच जागरुकता तथा एक सामंजस्यपूर्ण संबंध कायम करना है। यह आदिवासियों को उनकी अनूठी जनजातीय परंपराओं, संस्कृति और विरासत को संरक्षित करने तथा वैश्विकस्तर पर उनके आदिवासी इतिहास को बढ़ावा देने में सहायता करता है। यह एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना का भी प्रतीक है।