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Tuesday 8 March 2022 03:27:19 PM
नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने शिक्षा मंत्रालय और यूनीसेफ केसाथ मिलकर औपचारिक शिक्षा एवं कौशल प्रणाली की तरफ किशोरियों को वापस स्कूल लाने केलिए एक अभूतपूर्व अभियान ‘कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव’ का शुभारंभ किया है। कार्यक्रम में महिला एवं बाल कल्याण मंत्री स्मृति जुबिन इरानी, राज्यमंत्री डॉ महेंद्रभाई मुंजपरा और शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय के केंद्रीय और राज्यों के सचिव एवं प्रतिनिधि, देश के विभिन्न भागों की किशोरियां और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भी शामिल हुईं। इनमें वे किशोरियां भी शामिल हुईं, जिन्होंने दोबारा स्कूल जाने पर अपने अनुभव साझा किए। इस अभियान का उद्देश्य स्कूलों में 11-14 आयुवर्ग की लड़कियों का पंजीकरण बढ़ाना और उन्हें स्कूल में कायम रखना है। इसकी मंशा हैकि किशोरियों केलिए योजनाओं, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और राष्ट्रीय शिक्षा नीति जैसी वर्तमान योजनाओं के तहत स्कूली लड़कियों केलिए एक समग्र प्रणाली बनाई जाए। इसका लक्ष्य स्कूल छोड़ने वाली चार लाख से अधिक किशोरियों को योजनाओं का लाभ देना है।
बच्चियों को शिक्षित करने केलिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता को मद्देनज़र रखते हुए स्मृति जुबिन इरानी ने कहा हैकि सरकार यह मानती हैकि महिलाओं एवं लड़कियों केलिए और भी ज्यादा एवं कारगर कदम उठाने की जरूरत है, सरकार स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा, वित्तीय साक्षरता सहित कौशल निर्माण में लगातार निवेश कर रही है, साथ ही युवा महिलाओं और लड़कियों को अधिकार सम्पन्न बनाएगी और भारत के बच्चों तथा युवाओं केबीच लैंगिक समानता रवैये तथा व्यवहार को प्रोत्साहित करेगी। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव इंदीवर पांडेय ने घोषणा कीकि सभी राज्यों के 400 से अधिक जिलों को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत निधि दी जाएगी, ताकि मैदानी स्तर तक समुदायों और परिवारों को यह समझाया जा सके कि वे किशोरियों को स्कूल भेजें, यह आर्थिक सहायता समग्र शिक्षा अभियान से प्राप्त निधि के इतर और उससे बढ़कर होगी। उन्होंने कहाकि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को और प्रोत्साहन दिया जाएगा कि वे स्कूल छोड़कर घर बैठने वाली लड़कियों को समझाएं। उन्होंने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा शिक्षा मंत्रालय केबीच सामूहिक प्रयासों के महत्व पर बल दिया और कहाकि लाभार्थियों की पहचान करने तथा औपचारिक शिक्षा या रोज़गारपरक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में समुचित पंजीकरण केलिए सामूहिक प्रयास जरूरी है।
शिक्षा मंत्रालय केतहत स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग की सचिव अनिता कारवाल ने विभाग के तहत क्रियांवित होने वाली समग्र पहलों को साझा किया, जिनका लाभ किशोरियां उठा सकती हैं। उन्होंने बतायाकि एकीकृत शिक्षा सेवाएं सुरक्षित करने का लक्ष्य बनाया गया है, ताकि शिक्षा केलिए समावेशी माहौल और अवसंरचना तैयार हो सके। इस कार्यक्रम का लक्ष्य है महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय के बीच नजदीकी तालमेल स्थापित करना तथा अंतर्राष्ट्रीय संगठनों केसाथ भागीदारी करना। शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहाकि पिछले वर्षों के दौरान शिक्षा मंत्रालय केलिए यह बहुत अहम रहा कि लड़कियों के पंजीकरण को प्राथमिकता दी जाए, लेकिन पिछले दो वर्ष की महामारी अवधि के कारण यह अनिवार्य हो गया कि हम मिलकर प्रयास करें तथा लड़कियों के पंजीकरण और उन्हें स्कूलों में कायम रखने पर व्यवस्थित रूपसे काम करें, इसके लिए जरूरी हैकि लड़कियां माध्यमिक शिक्षा की तरफ जाएं और उसे पूरी करें। महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री डॉ महेंद्रभाई मुंजपरा ने भारत में लड़कियों की उन्नति सम्बंधी कई योजनाओं का उल्लेख किया। यूनिसेफ इंडिया के उप प्रतिनिधि यासुमासा किमूरा ने कहाकि लड़कियों के लिए शिक्षा न केवल सीखने के उनके अधिकारों को पूरा करती है और जीवन तथा रोज़गार में बेहतर अवसर देती है, बल्कि वह उन्नतशील तथा पूर्ण समाज की रचना भी करती है, जहां सभी लड़कों और पुरूषों सहित सबको एक व्यक्ति तथा विश्व का नागरिक होने के नाते अपनी क्षमता दिखाने का मौका मिलता है।
राज्य के सचिवों और सम्पूर्ण एकीकृत बाल विकास योजना कार्यबल को मिलने वाला समर्थन बताता हैकि कार्यक्रम को तैयार करने तथा उसे लागू करने से कितनी संभावनाएं बन जाती हैं। कार्यक्रम में किशोरियों की उपस्थिति ने इन संभावनाओं को और बढ़ा दिया है, इन सबने अपनी मर्मस्पर्शी आपबीती सुनाई कि उन लोगों ने वापस स्कूल जाने में कितना साहस दिखाया। दिल्ली की श्रेया ने इस मौके पर कहाकि उनका सपना है विवेचना अधिकारी बनना, वे भरसक प्रयास कर रही हैं कि वे आगे भी पढ़ें और अपने सपनों को पूरा करें। समारोह में उपस्थित सभी लोगों ने सामूहिक शपथ ली, जिसे कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव केलिए महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन इरानी ने पढ़ा। इसके माध्यम से यह शपथ ली गई कि कोई भी लड़की औपचारिक शिक्षा या रोज़गार परक शिक्षा से वंचित नहीं रहेगी। कार्यक्रम का समापन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य पर सभी गणमान्यों ने ‘संकल्प की दीवार’ पर हस्ताक्षर करके किया।