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Monday 5 September 2022 02:52:18 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शिक्षक दिवस पर आज देशभर से उत्कृष्ट शैक्षिक कार्यों केलिए चयनित 45 शिक्षकों को 'राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान' प्रदान किया। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर अपने शिक्षकों को याद करते हुए कहाकि उन्होंने न केवल उन्हें पढ़ाया, बल्कि उन्हें प्यार और प्रेरणा भी दी, अपने परिवार और शिक्षकों के मार्गदर्शन के बलपर वह कॉलेज जानेवाली अपने गांव की पहली बेटी बनीं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ने कहाकि अपनी जीवनयात्रा में वे जहांतक पहुंच सकी हैं, उसके लिए वे अपने शिक्षकों केप्रति सदैव कृतज्ञता का अनुभव करती हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि वे देशवासियों की ओरसे अपने देशके शिक्षक समुदाय को नमन करती हैं और यह देखकर प्रसन्न हैंकि आज सम्मानित 45 शिक्षकगण भारत के कोने-कोने से आए हैं, उनमें 1 दिव्यांग शिक्षक और 18 महिला शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान प्रदान करके उन्हें विशेष प्रसन्नता हुई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सम्मान समारोह तथा शिक्षा क्षेत्रमें किए जा रहे अनेक प्रयासों केलिए केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान और शिक्षा मंत्रालय की पूरी टीम की प्रशंसा की है। उन्होंने कहाकि शिक्षक ही हमारी शिक्षा प्रणाली की प्राण शक्ति हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि हमारी संस्कृति में शिक्षक पूजनीय माने जाते हैं और वे यह मानती हैंकि एक निष्ठावान शिक्षक को अपने जीवन में जिसतरह की सार्थकता का अनुभव होता है, उसकी तुलना नहीं कीजा सकती, शायद इसीलिए जब भारत केदूसरे राष्ट्रपति रहे डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के प्रशंसकों ने उनका जन्मदिन मनाने का प्रस्ताव रखा तो उस विश्वप्रसिद्ध दार्शनिक, लेखक एवं स्टेट्समैन ने यह इच्छा जाहिर कीकि उनका जन्मदिन 'शिक्षक दिवस' के रूपमें मनाया जाए, डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षक भी थे और अपने शिक्षक रूप कोही उन्होंने सबसे अधिक महत्व देना चाहा। द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि भारत के राष्ट्रपति रहे डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का भी जिक्र किया और बतायाकि एक समारोह में उनसे पूछा गयाकि वे एक वैज्ञानिक के रूपमें याद किए जाएंगे अथवा एक राष्ट्रपति के रूपमें तो उन्होंने जवाब दियाकि वे चाहेंगेकि उन्हें एक टीचर के रूपमें याद किया जाए। द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि वेभी अपने जीवन के उस पक्षको सबसे अधिक महत्व देती हैं, जो शिक्षा से जुड़ा हुआ है। उन्होंने अपने यादगार संस्मरण सुनाते हुए कहाकि रायरंगपुर में उन्हें ऑरोबिंदो इंटीग्रल स्कूल में शिक्षक के रूपमें योगदान देने का अवसर मिला था, उन्होंने ओडिशा के पहाड़पुर में एक आवासीय विद्यालय की स्थापना की है, जहां गरीब विद्यार्थियों को शिक्षा दी जाती है और वंचित वर्गों के बच्चों तथा दिव्यांग बच्चों केलिए अच्छी शिक्षा सुलभ हो सके यह विशेष प्राथमिकता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि जब वे झारखंड की राज्यपाल थीं, तब वे राज्य के सभी विश्वविद्यालयों की चांसलर भी थीं, उन्होंने स्कूल स्तर की शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। उन्होंने कहाकि उनका मानना हैकि यदि स्कूल स्तरकी शिक्षा मजबूत नहीं होगी तो उच्चशिक्षा का स्तर अच्छा नहीं हो सकता, इसलिए वे झारखंड के स्कूलों में जाती रहती थीं, वे राज्य के अधिकांश कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों, दिव्यांग विद्यार्थियों के स्कूलों मेभी गईं और उनके जानेसे ऐसे स्कूलों में सुविधाएं बढ़ीं, वहां के विद्यार्थियों और शिक्षकों का उत्साह भी बढ़ा। द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि आज की ज्ञान अर्थव्यवस्था में विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार विकास के आधार हैं, इन क्षेत्रोंमें भारत को और मजबूत बनाने की आधारशिला स्कूली शिक्षा सेही निर्मित होगी। उन्होंने कहाकि विज्ञान, साहित्य अथवा सामाजिक शास्त्रों में मौलिक प्रतिभा का विकास मातृभाषा से अधिक प्रभावी हो सकता है। उन्होंने कहाकि हमारी माताएं ही हमारे जीवन के आरंभ में हमें जीनेकी कला सिखाती हैं, इसीलिए प्रकर्तिक प्रतिभा को विकसित करने में मातृभाषा सहायक होती है, इसके बाद शिक्षकगण हमारे जीवन में शिक्षा को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहाकि यदि शिक्षक भी मातृभाषा में पढ़ाते हैं तो विद्यार्थी सहजता से अपनी प्रतिभा का विकास कर सकते हैं, इसीलिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा और उच्चशिक्षा केलिए भारतीय भाषाओं के प्रयोग पर ज़ोर दिया गया है।
द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि छात्रों में विज्ञान और अनुसंधान केप्रति रुचि पैदा करना शिक्षकों की ज़िम्मेदारी है। राष्ट्रपति ने एकबार फिर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का उल्लेख किया और कहाकि विज्ञान केप्रति उनका रुझान स्कूल मेही मजबूत हो चुका था, उन्होंने एक वाकिया साझा किया हैकि उनके एक अध्यापक क्लास के सभी बच्चों को समुद्र के किनारे ले गए और उड़ती हुई चिड़ियों को दिखाकर 'एयरो डायनेमिक्स' के बारेमें रोचक एवं सरलता से समझाया। डॉ कलाम लिखते हैंकि उन्होंने स्कूल मेही यह फैसला कियाकि वे बड़े होकर रॉकेट वैज्ञानिक बनेंगे। द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि यहबात गौर करने लायक हैकि शिक्षक ने पहले क्लासरूम में ब्लैकबोर्ड पर चिड़ियों की उड़ान के विषय में समझाया था, टीचर के पूछने पर सभी बच्चों ने कहाकि वे समझ गए थे, केवल कलाम साहब ने कहाकि वे नहीं समझे थे, अंतमें यह स्पष्ट हुआकि असलमें कोईभी बच्चा विषय को नहीं समझ पाया था, इसलिए जो विद्यार्थी साफ-साफ कहते हैंकि वे नहीं समझ पा रहे हैं तो उन्हें कमजोर विद्यार्थी नहीं समझना चाहिए, अध्यापक ने नए सिरे से पूरे विषय को क्लास के बाहर ले जाकर सिखाया, कलाम साहब अपने वक्तव्यों और आलेखों में उनका सादर उल्लेख किया करते थे। राष्ट्रपति ने कहाकि अच्छे शिक्षक प्रकृति में मौजूद जीवंत उदाहरणों की सहायता से जटिल सिद्धांतों को आसान बनाकर समझा सकते हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि शिक्षक के बारेमें एक लोकप्रिय कथन हैकि सामान्य शिक्षक जानकारी देते हैं, अच्छे शिक्षक समझाते हैं, श्रेष्ठ शिक्षक करके दिखाते हैं और महान शिक्षक प्रेरणा देते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि एक आदर्श शिक्षक में ये चारों बाते होती हैं, ऐसे आदर्श शिक्षक विद्यार्थियों के जीवन की रचना करके सही अर्थों में राष्ट्रनिर्माण करते हैं। उन्होंने कहाकि हमारे देशमें जब वाद-विवाद-संवाद की संस्कृति को महत्व दिया जाता था, तब हमारे देशमें आर्यभट, ब्रह्मगुप्त, वराहमिहिर, भास्कराचार्य, चरक और सुश्रुत जैसे गणितज्ञ, वैज्ञानिक और चिकित्सक सामने आए, आधुनिक विश्व के वैज्ञानिक भी उनके ऋणी हैं। राष्ट्रपति ने शिक्षकों से अनुरोध कियाकि विद्यार्थियों में प्रश्न पूछने की तथा शंका व्यक्त करने की आदत को प्रोत्साहित करें, अधिक से अधिक प्रश्नों का उत्तर देने और शंकाओं का समाधान करने से आप सबके ज्ञान मेभी वृद्धि होगी और एक अच्छा शिक्षक सदैव नई शिक्षा ग्रहण करने केलिए स्वयंभी उत्साहित रहता है। उन्होंने कहाकि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का एक अच्छा ध्येय वाक्य है-'सबको शिक्षा, अच्छी शिक्षा'। उन्होंने कहाकि प्राइमरी स्कूल स्तरपर लगभग देशभर में सभी विद्यार्थियों को शिक्षा के अवसर उपलब्ध हैं, भारत की स्कूली शिक्षा व्यवस्था विश्वकी सबसे बड़ी शिक्षा प्रणालियों में शामिल है, करीब 15 लाख से अधिक स्कूलों में लगभग 97 लाख शिक्षक 26 करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।
द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि लेकिन स्कूल स्तरपर असली चुनौती अच्छी शिक्षा प्रदान करने की है, वर्तमानमें प्राथमिक विद्यालय स्तरपर अनेक विद्यार्थियों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान प्राप्त करने में कठिनाई होती है, इसलिए हमारी नई शिक्षा नीति में वर्ष 2025 तक प्राथमिक विद्यालय स्तरपर सभी विद्यार्थियों को मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान प्राप्त कराने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है, इस राष्ट्रीय प्रयास में देशके सभी शिक्षकों की मुख्य भूमिका होगी। राष्ट्रपति ने कहाकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति केतहत भारत को ज्ञान सुपर पावर बनाने का लक्ष्य तय किया गया है। उन्होंने कहाकि भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत से जोड़ते हुए विद्यार्थियों को आधुनिक विश्व की चुनौतियों केलिए सक्षम बनाना है और हमारी शिक्षा नीति में समाहित यह सोच महर्षि ऑरोबिंदो के शिक्षा संबंधी विचारों के अनुरूप है, उनके विचारों से प्रेरित शिक्षण संस्थान गहरे मानवीय मूल्यों तथा नवीनतम प्रौद्योगिकी का समन्वय करके 'समग्र शिक्षा' का प्रसार कर रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि भारतीय चिंतन के अनुसार इन संस्थानों में विद्यार्थियों की शारीरिक, भावनात्मक, मानसिक और आध्यात्मिक आधारशिला का निर्माण किया जा रहा है एवं शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य भी यही है।