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Tuesday 13 February 2024 06:32:55 PM
चेन्नई। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने 'विश्व रेडियो दिवस' पर अन्ना विश्वविद्यालय चेन्नई में आयोजित क्षेत्रीय सामुदायिक रेडियो सम्मेलन (दक्षिण) में भारत में सामुदायिक रेडियो स्टेशन स्थापित करने केलिए संशोधित किए गए नीतिगत दिशानिर्देश जारी किए। अनुराग सिंह ठाकुर ने कहाकि सामुदायिक रेडियो स्टेशन एक ऐसा मंच हैं, जहां स्थानीय बोलियों और क्षेत्रीय भाषाओं में सामग्री प्रसारित की जाती है, इन स्टेशनों में स्थानीय मुहावरों में स्थानीय संदर्भ विशेष के मुद्दे उठाए जाते हैं, उनपर चर्चा की जाती है। उन्होंने कहाकि सरकार सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के अपने मंत्र पर प्रतिबद्ध है और इसमें सामुदायिक रेडियो के महत्व को समझना जरूरी है। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री ने अपने 'मन की बात' में व्यक्तिगत उदाहरण के माध्यम से दिखाया हैकि जनता से बात करने और सुनने दोनों में रेडियो माध्यम कितना महत्वपूर्ण है। प्रत्येक सीआरएस स्थानीय मॉडल का प्रतिबिंब है, जो वर्षों से निर्मित हुआ है, इससे एकत्र और साझा की गई अनुभवात्मक सीख भी झलकती है।
सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री डॉ एल मुरुगन भी इस अवसर पर उपस्थित थे। उन्होंने कहाकि सामुदायिक रेडियो एक मार्गदर्शक अवधारणा है और समुदाय की अनसुनी आवाज़ों को एक मंच प्रदान करता है। उन्होंने कहाकि ये स्टेशन लोगों तक गहराई से और सीधे पहुंचने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक हैं, क्योंकि ये स्टेशन समुदाय केलिए उपयोगी प्रासंगिक कार्यक्रम बनाते हैं, समुदाय तक पहुंचने का सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के अपेक्षाकृत सस्ते माध्यम से बेहतर कोई तरीका नहीं हो सकता। उन्होंने कहाकि इस देश के विशाल परिदृश्य को देखते हुए भारत में कई और सामुदायिक रेडियो स्टेशन स्थापित करने की बहुत बड़ी संभावना है। दक्षिणी सामुदायिक रेडियो स्टेशनों केलिए दो दिवसीय क्षेत्रीय सामुदायिक रेडियो सम्मेलन में भारत में सामुदायिक रेडियो के 20 साल पूरे होने का जश्न मनाया गया। सम्मेलन में अन्य सामुदायिक मीडिया विशेषज्ञों के साथ दक्षिणी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के 100 से अधिक सीआरएस भाग ले रहे हैं। इस सम्मेलन में सीआरएस को क्षमता निर्माण का अवसर मिलने के साथ-साथ उन्हें एकदूसरे से बातचीत करने का मौका भी मिला।
रेडियो प्रसारण में सामुदायिक रेडियो एक महत्वपूर्ण तीसरा स्तर है, जो सार्वजनिक सेवा रेडियो प्रसारण और कमर्शियल रेडियो से अलग है। सामुदायिक रेडियो स्टेशन (सीआरएस) कम क्षमता वाले रेडियो स्टेशन हैं, जिन्हें स्थानीय समुदायों द्वारा स्थापित और संचालित किया जाता है। भारत के पहले सामुदायिक रेडियो का उद्घाटन वर्ष 2004 में अन्ना विश्वविद्यालय परिसर में किया गया था, फिलहाल भारत में 481 सामुदायिक रेडियो स्टेशन हैं और पिछले दो वर्ष में 133 से अधिक सीआरएस चालू हो गए हैं। दिसंबर 2002 में भारत सरकार ने आईआईटी/ आईआईएम सहित बेहतरीन शैक्षणिक संस्थानों को रेडियो स्टेशन स्थापित करने केलिए लाइसेंस देने की नीति को मंजूरी दी। इस मामले पर वर्ष 2006 में पुनर्विचार किया गया और सरकार ने विकास और सामाजिक बदलाव से संबंधित मुद्दों पर नागरिक समाज की अधिक भागीदारी की अनुमति देने केलिए नागरिक समाज संगठनों, स्वैच्छिक संगठनों आदि जैसे 'गैरलाभकारी' संगठनों को अपने दायरे में लाकर इस नीति को व्यापक बनाने का निर्णय लिया गया। संशोधित नीतिगत दिशानिर्देश वर्ष 2006 में जारी किए गए थे और बाद में वर्ष 2017, 2018 और 2022 में संशोधित किए गए।
सामुदायिक रेडियो स्टेशनों की वित्तीय स्थिरता और सामुदायिक रेडियो क्षेत्र का विकास सुनिश्चित करने केलिए सरकार ने नीतिगत दिशानिर्देशों में और भी संशोधन किए हैं। इनकी मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं-कई जिलों में काम कर रहे पात्र संगठन/ संस्थान को संचालन के विभिन्न जिलों में अधिकतम छह सीआरएस स्थापित करने की अनुमति दी जाएगी, बशर्ते वह मंत्रालय द्वारा निर्धारित कुछ शर्तों को पूरा करता हो। ग्रांट ऑफ परमिशन एग्रीमेंट (जीओपीए) की प्रारंभिक समय अवधि बढ़कर दस वर्ष हो गई है। सीआरएस केलिए विज्ञापन का समय 7 मिनट प्रति घंटा से बढ़ाकर 12 मिनट प्रति घंटा कर दिया गया है। सामुदायिक रेडियो स्टेशनों केलिए विज्ञापन की दर 52 रुपये प्रति 10 सेकंड से बढ़ाकर 74 रुपये प्रति 10 सेकंड कर दी गई है। किसी संगठन को जारी आशय पत्र की वैधता एक वर्ष निर्धारित की गई है, किसीभी अप्रत्याशित परिस्थिति केलिए आवेदक को तीन महीने का बफर भी दिया गया है। संपूर्ण आवेदन प्रक्रिया की समयसीमा तय है। इन संशोधित नीतिगत दिशानिर्देशों से सामुदायिक रेडियो क्षेत्र के विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा इसमें क्षेत्र में महिलाओं को प्रोत्साहित करने केलिए सामग्री निर्माण में महिलाओं की भागीदारी के प्रावधान अर्थात सलाहकार और सामग्री समिति में कम से कम आधे सदस्य महिलाओं को रखने का प्रावधान जोड़ा गया है। नीति दिशानिर्देश मंत्रालय की वेबसाइट www.mib.gov.in पर उपलब्ध हैं।