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Friday 6 September 2024 01:53:18 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शिक्षक दिवस पर नई दिल्ली में देशभर से चयनित स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा तथा कौशल विकास के प्रशिक्षण में उत्कृष्ट योगदान करने वाले शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए। गौरतलब हैकि महान विचारक शिक्षाविद और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर हर वर्ष शिक्षक दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि डॉक्टर राधाकृष्णन चाहते थेकि लोग उन्हें एक शिक्षक के रूपमें याद करें। राष्ट्रपति ने कहाकि शिक्षणकार्य मानव के संपूर्ण व्यक्तित्व और चरित्र निर्माण का पवित्र अभियान है और डॉक्टर राधाकृष्णन ने अपनी प्रतिबद्धता के बलपर विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करने में अनुकरणीय और सराहनीय भूमिका निभाई है। राष्ट्रपति ने कहाकि पुरस्कृत शिक्षकों के योगदान पर लघु फिल्में बनाने का समारोह के आयोजकों ने बहुत अच्छा कार्य किया है, इन फिल्मों को विषयवस्तु प्रदान करनेवाले शिक्षकों की जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है। उन्होंने कहाकि बच्चों में अध्ययन केप्रति रूचि बढ़ाने के अद्भुत प्रयास किए गए हैं, पढ़ाने के नए-नए और रोचक तरीके निकाले गए हैं, यह उनका नई तकनीक का प्रयोग करके शिक्षा को समावेशी बनाने में अनुकरणीय योगदान है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि गुरु, आचार्य और शिक्षक को हमारी परंपरा में बहुत आदर दिया जाता है, गुरु शब्द आध्यात्मिक ज्ञान देने वाले केलिए प्रयुक्त होता है, आचार्य एवं शिक्षक शब्द का प्रयोग बौद्धिक और व्यावहारिक विद्या प्रदान करने वाले शिक्षकों केलिए होता है। राष्ट्रपति ने कहाकि आम बोलचाल में विद्यार्थियों में शिक्षकों को गुरुजी कहने की परंपरा रही है, खगोलशास्त्र के प्राचीन विद्वानों ने हमारे सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह को देवगुरु बृहस्पति का नाम दिया, यह भारतीय ब्रह्मांड विज्ञान पर सामाजिक मूल्यों के प्रभाव का उदाहरण है। उन्होंने कहाकि प्राय: शिक्षक केवल परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों पर विशेष ध्यान देते हैं, लेकिन श्रेष्ठ शैक्षिक प्रदर्शन उत्कृष्टता का मात्र एक आयाम है। उन्होंने उल्लेख कियाकि कोई बच्चा बहुत अच्छा खिलाड़ी हो सकता है, किसी बच्चे में नेतृत्व क्षमता होती है, कोई बच्चा सामाजिक कल्याण के कार्यों में उत्साहित होकर भाग लेता है, ऐसे आयामों की भी प्रशंसा होनी चाहिए, शिक्षक को प्रत्येक बच्चे की नैसर्गिक प्रतिभा को पहचानकर उसे बाहर लाना है। राष्ट्रपति ने अपना वह समय याद किया, जब वह ओडिशा के रायरंगपुर में श्री ऑरोबिंदो इंटीग्रल स्कूल में पढ़ाती थीं। उन्होंने कहाकि उन्हें वहां बच्चों से न केवल अपार स्नेह मिला, बल्कि बहुत कुछ सीखने को भी मिला और आजभी जब वे बच्चों या शिक्षकों केबीच होती हैं तो उनके अंदर का शिक्षक फिर से जीवंत हो जाता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि शिक्षकों को ऐसे नागरिक तैयार करने होंगे, जो न केवल शिक्षित हों, बल्कि संवेदनशील, ईमानदार और उद्यमी भी हों। उन्होंने कहाकि जीवन में आगे बढ़ना ही सफलता है, लेकिन जीवन का अर्थ दूसरों के कल्याण के काम करना है, हममें करुणा होनी चाहिए, हमारा आचरण नैतिक होना चाहिए, एक सफल जीवन सार्थक जीवन में निहित है और छात्रों को ये मूल्य सिखाना शिक्षकों का कर्तव्य है। राष्ट्रपति ने कहाकि किसीभी समाज में महिलाओं की स्थिति उसके विकास का एक महत्वपूर्ण मानदंड है, शिक्षकों और अभिभावकों की यह जिम्मेदारी हैकि वे बच्चों को इस तरह से शिक्षित करेंकि वे हमेशा महिलाओं की गरिमा के अनुरूप व्यवहार करना सीखें। उन्होंने इस बातपर जोर दियाकि महिलाओं का सम्मान केवल शब्दों में नहीं, बल्कि व्यवहार में भी होना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहाकि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के विचारों के अनुसार यदि कोई शिक्षक स्वयं निरंतर ज्ञान अर्जित नहीं करता है तो वह सही मायने में बच्चों का शिक्षण नहीं कर सकता है। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त कियाकि सभी शिक्षक ज्ञान अर्जित करने की प्रक्रिया को जारी रखेंगे, ऐसा करने से उनका शिक्षण अधिक प्रासंगिक और रोचक बना रहेगा।
द्रौपदी मुर्मु ने समारोह में शिक्षकों से कहाकि उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि उनके पढ़ाए छात्रों की पीढ़ी एक विकसित भारत का निर्माण करेगी। उन्होंने शिक्षकों और छात्रों को वैश्विक मानसिकता और विश्वस्तरीय कौशल हासिल करने की सलाह दी। राष्ट्रपति ने कहाकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में कौशल विकास पर विशेष जोर दिया गया है, इसमें प्रत्येक विद्यार्थी केलिए व्यावसायिक अनुभव प्राप्त करने पर बल दिया गया है, इससे बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। उन्होंने कहाकि समग्र विकास में कौशल विकास और उद्यमिता का भी उतना ही महत्व है, जितना शैक्षणिक शिक्षा का है। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान, कौशल विकास और उद्यमशीलता एवं शिक्षा राज्यमंत्री जयंत चौधरी, शिक्षा राज्यमंत्री डॉ सुकांतो मजूमदार और उनकी टीम के सभी सदस्यों की सराहना की। गौरतलब हैकि हरसाल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार देने का उद्देश्य देश में शिक्षकों के अद्वितीय योगदान का जश्न मनाना और उन शिक्षकों को सम्मानित करना है, जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और समर्पण के माध्यम से न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है, बल्कि अपने छात्रों के जीवन को भी समृद्ध बनाया है। प्रत्येक पुरस्कार में योग्यता प्रमाण पत्र, 50000 रुपये का नकद पुरस्कार और एक रजत पदक दिया जाता है।
शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने इस वर्ष के राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार केलिए कठोर पारदर्शी और ऑनलाइन तीन चरणों यानी जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर की चयन प्रक्रिया से 50 शिक्षकों का चयन किया था। चयनित 50 शिक्षक 28 राज्यों, 3 केंद्रशासित प्रदेशों और 6 संगठनों से थे, इनमें 34 पुरुष, 16 महिलाएं, 2 दिव्यांग और 1 सीडब्ल्यूएसएन केसाथ कार्यरत हैं। इसके अलावा उच्च शिक्षा विभाग के 16 शिक्षकों और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के 16 शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया। इस बार पहली बार शिक्षकों में उच्च शिक्षा विभाग, तकनीकी शिक्षा कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय को भी इन पुरस्कारों में शामिल किया गया है।