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Saturday 28 September 2024 01:16:26 PM
तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु)। विश्वविख्यात दिव्य मंदिरों और जीवंत सड़कों केलिए प्रसद्धि तमिलनाडु के शानदार और व्यस्त शहर तिरुचिरापल्ली में स्वच्छता क्रांति केसाथ उल्लेखनीय बदलाव देखे जा रहे हैं। तिरुचिरापल्ली समुदाय द्वारा प्रबंधित शौचालयों का एक अग्रणी मॉडल तिरुचिरापल्ली शहर की मलिन बस्तियों के निवासियों को एक स्वच्छ जीनवशैली में बदल रहा है। तिरुचिरापल्ली की मलिन बस्तियां स्वच्छता से चमक उठी हैं। त्रिची में सामुदायिक प्रबंधित शौचालय स्वच्छ भारत मिशन को तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं और दूसरों को भी इसकी प्रेरणा दे रहे हैं।
तिरुचिरापल्ली शहर के सौंदर्यीकरण और सशक्तिकरण से मलिन बस्तियों में बुनियादी स्वच्छता सुविधाओं की कमी के विपरीत जनसामान्य का स्वयं सहायता समूह स्वच्छता और सामुदायिक सामंजस्य का एक उल्लेखनीय उदाहरण प्रस्तुत करता है। तिरुचिरापल्ली में पिछले कुछ वर्षों में लगभग 400 सामुदायिक शौचालयों का निर्माण किया गया है, जिनमें से 150 का प्रबंधन स्वयं सहायता समूहों के पास है और इन्हें 'साफ सफाई स्वच्छता शिक्षा' (एसएचई) टीमों में संगठित किया गया है। स्थानीय समुदायों की महिलाओं की टीमों ने न केवल स्वच्छता का आवश्यक बुनियादी ढांचा प्रदान किया है, बल्कि स्वच्छता और आत्मनिर्भरता की संस्कृति को भी बढ़ावा दिया है। ये शौचालय शहरों में रहने वाले गरीबों की गरिमा और पर्यावरण को बनाए रखने की उनकी प्रतिबद्धता को परिलक्षित करते हैं। शौचालयों के उचित उपयोग और रखरखाव को सुनिश्चित करने के अलावा टीमों ने त्रिची को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) शहर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
तिरुचिरापल्ली की स्वच्छता और बदलाव की कहानियों केसाथ भारत स्वभाव स्वच्छता संस्कार स्वच्छता (4एस) अभियान केतहत स्वच्छ भारत मिशन की 10वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। 17 सितंबर से 2 अक्टूबर 2024 तक चलने वाला वार्षिक स्वभाव स्वच्छता संस्कार स्वच्छता अभियान स्वच्छता ही सेवा परम्परा और महात्मा गांधी की जयंती के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले स्वच्छ भारत दिवस का हिस्सा है। यह अभियान स्वच्छता और सफाई में हुई उल्लेखनीय प्रगति के एक दशक के समारोह कार्यक्रम में सभी क्षेत्रोंके समुदायों, सरकार और हितधारकों को एकसाथ लाता है और स्वच्छता की दिशा में व्यवहार परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करने वाले नए लक्ष्यों को बढ़ावा देता है। स्वभाव स्वच्छता संस्कार स्वच्छता अभियान तिरुचिरापल्ली जैसी समुदाय संचालित पहल से काफी प्रभावित है, जहां नागरिक विशेष रूपसे महिलाएं स्वच्छता क्रांति में सबसे आगे हैं। स्थानीय सरकारी निकायों के समर्थन से ये अभियान स्वच्छता शिक्षा, शून्य अपशिष्ट प्रथाओं और सामुदायिक स्वामित्व पर जोर देते हैं। त्रिची में स्वभाव स्वच्छता संस्कार स्वच्छता टीमों द्वारा स्वच्छता केलिए किएगए प्रयास गर्व और जवाबदेही की भावना को बढ़ावा दे रहे हैं। ये प्रयास स्वच्छता केलिए बुनियादी ढांचे के निर्माण और इसे लंबे समय तक बनाए रखने के संकल्प को सुनिश्चित भी करते हैं।
स्वच्छ भारत मिशन ने शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में भारत के स्वच्छता परिदृश्य को बदलने में आश्चर्यजनक सफलता हासिल की है। 26 सितंबर, 2024 तक, स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहरी क्षेत्रों में 6,36,826 सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया गया है। इसी दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में 2,42,072 सामुदायिक स्वच्छता परिसरों का निर्माण किया गया है, जो शौचालयों की सुविधा से वंचित असंख्य व्यक्तियों को सुरक्षित और स्वच्छ सुविधाएं प्रदान करते हैं। ये आंकड़े सिर्फ़ आंकड़े नहीं हैं, ये उन लाखों लोगों के जीवन का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनपर बेहतर स्वच्छता का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। तिरुचिरापल्ली में ये शौचालय सिर्फ़ संरचनाएं नहीं हैं, ये स्वच्छता के लिए मानसिकता में आए बदलाव का प्रतीक हैं, जहां स्वच्छता सिर्फ़ एक सरकारी निर्देश नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है। स्वच्छता में आए इस बदलाव ने शी टीमों का प्रबंधन करने वाली महिलाओं केलिए स्वास्थ्य और स्वच्छता के साथ रोज़गार के अवसरों के द्वार भी खोले हैं और उनमें सशक्तिकरण की भावना को बढ़ावा दिया है।
स्वयं सहायता समूह साथियों ने मिलकर स्वच्छता के दूत बनने वाले बच्चों से लेकर महिलाओं को रोज़गार और नेतृत्व की भूमिकाएं मिलने तक तिरुचिरापल्ली ने यह दर्शाया हैकि जब समुदाय अपनी स्वच्छता की जिम्मेदारी खुद उठाते हैं तो कुछ भी असंभव नहीं होता। व्यापक स्वभाव स्वच्छता संस्कार स्वच्छता (4एस) अभियान देशभर में तिरुचिरापल्ली जैसे मॉडल को दोहराने और यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता हैकि पिछले दशक के लाभों को न केवल बरकरार रखा जाए, बल्कि स्वच्छता की दिशामें नई उपलब्धियों की प्राप्ति केलिए उन्हें विस्तारित भी किया जाए। भारत वर्ष 2024 का स्वच्छ भारत दिवस मनाने की तैयारियां कर रहा है। तिरुचिरापल्ली की कायाकल्प और स्वच्छता की कहानी यह बताती हैकि बदलाव समुदाय के भीतर से आता है। स्वच्छ भारत अभियान ने लोगों को अपने पर्यावरण का स्वामित्व लेने केलिए सशक्त बनाकर, शौचालयों के निर्माण से कहीं अधिक गरिमा, स्वास्थ्य और आशा की विरासत से जुड़े एक आंदोलन को जन्म दिया है।