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पूर्वोत्तर भारत का हृदय एवं आत्मा-धनखड़

सदिन-प्रतिदिन मीडिया नेटवर्क कॉन्क्लेव में बोले उपराष्ट्रपति

'मीडिया पूर्वोत्तर के पर्यटन और विकास कार्यों पर फोकस करे'

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Sunday 6 October 2024 04:01:28 PM

vice president at the sadin-pratidin media network conclave

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा हैकि पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत का हृदय एवं आत्मा है, भारत में पूर्वोत्तर का प्रत्येक राज्य आगंतुकों, पर्यटकों और स्थानीय लोगों केलिए स्वर्ग है। उन्होंने कहाकि न्यूजीलैंड, स्विटजरलैंड और स्कॉटलैंड को एकसाथ रख दें, तबभी वे पूर्वोत्तर की समृद्धि और सुंदरता से पीछे रह जाएंगे। उपराष्ट्रपति नई दिल्ली में पूर्वोत्तर के सदिन-प्रतिदिन मीडिया नेटवर्क कॉन्क्लेव-2024 को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने मीडिया से पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास और पर्यटन की और ज्यादा संभावनाओं का पता लगाने और उनका लाभ उठाने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि पूर्वोत्तर केवल एक भौगोलिक क्षेत्र नहीं है, बल्कि संस्कृतियों, परंपराओं और प्राकृतिक सुंदरता का एक जीवंत दृश्य है, जो भारत के मूलतत्व को दर्शाता है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत सरकार की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के परिवर्तनकारी प्रभाव और राष्ट्रीय आख्यानों को आकार देने में मीडिया के महत्व पर प्रकाश डाला। उपराष्ट्रपति ने सड़क संपर्क सुविधा में सुधार के महत्वपूर्ण कदमों पर जोर दिया और इसे क्षेत्र केलिए एक बड़ा बदलाव बताया। उन्होंने कहाकि पूर्वोत्तर में हवाई अड्डों की संख्या दोगुनी हो गई है और जलमार्गों का बीस गुना विस्तार हुआ है, जिससे वहां भारी रुचि तथा निवेश हुआ है। जगदीप धनखड़ ने बंगाली, मराठी, पाली और प्राकृत केसाथ असमिया को भारत की ग्यारह शास्त्रीय भाषाओं में से पांच में से एकके रूपमें मान्यता दिए जाने का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि इस पहल का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो हमारे देशकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत एवं विविधता है। उपराष्ट्रपति ने पूर्वोत्तर की समृद्ध आध्यात्मिक और प्राकृतिक विरासत का जिक्र किया, जिसमें कामाख्या मंदिर तथा विश्व प्रसिद्ध काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान मुख्य हैं। उन्होंने पूर्वोत्तर के लोगों की जीवंत संस्कृति, उत्कृष्ट भोजन और ऊर्जा की प्रशंसा की। उपराष्ट्रपति ने नोम पेन्ह में आसियान शिखर सम्मेलन में अपनी भागीदारी का जिक्र किया, जहां एक्ट ईस्ट नीति का महत्व स्पष्ट किया गया था।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि एक्ट ईस्ट नीति देश की सीमाओं तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि भारत से आगे जाकर दक्षिण पूर्व एशियाई देशों केसाथ गहरे संबंधों को बढ़ावा देती है। उन्होंने बढ़ती कनेक्टिविटी की ओर इशारा किया, जो जल्द ही पूर्वोत्तर से कंबोडिया तककी यात्रा को सक्षम बनाएगी, जहां भारत सरकार के प्रयासों से प्रतिष्ठित अंकोरवाट मंदिर का जीर्णोद्धार किया जारहा है। उन्होंने कहाकि यह नीति एक गेम चेंजर साबित होगी, जो पूर्वोत्तर क्षेत्रके साथ गहरे सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देगी। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पूर्वोत्तर की कश्मीर से समानताएं भी बताईं और कहाकि कश्मीर भी एक शानदार जगह है। उन्होंने 1990 के दशक में केंद्रीय मंत्री के अपने कार्यकाल के दौरान श्रीनगर के दौरे का उल्लेख किया और कहाकि वहां सड़क पर मुश्किल से 20 लोग दिखाई दिया करते थे और राज्यसभा के रिकॉर्ड के अनुसार पिछले साल 2 करोड़ से अधिक पर्यटक जम्मू और कश्मीर गए, जोकि इस समय के हमारे राष्ट्र की प्रगति का प्रमाण है। उन्होंने पूर्वोत्तर की अर्थव्यवस्था को बदलने केलिए पर्यटन की क्षमता पर प्रकाश डाला और कहाकि पर्यटन पूर्वोत्तर के पूरे परिदृश्य को बदल सकता है और रोज़गार में तेजी ला सकता है तथा इस क्षेत्र को वैश्विक पर्यटन केंद्र के रूपमें स्थापित कर सकता है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्र निर्माण में मीडिया की भूमिका पर जोर देते हुए मीडिया से पूर्वोत्तर केलिए राजदूत के रूपमें काम करने और इसकी पर्यटन क्षमता तथा विकासात्मक प्रगति को बढ़ावा देने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि मीडिया जनता को सूचित करने और उनके मस्तिष्क को जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि आपकी कहानियां विकास केलिए शक्तिशाली उपकरण के रूपमें कार्य कर सकती हैं, जो हमारे विविध क्षेत्रों में मौजूद अद्वितीय अवसरों पर प्रकाश डालती हैं। उन्होंने कहाकि हम अपनी धरती मां और अपनी संस्थाओं को नुकसान नहीं पहुंचा सकते तथा हमें उनका पोषण करना होगा। उन्होंने कहाकि लोकतंत्र तब पोषित होता है, जब मीडिया सहित इसकी प्रत्येक संस्था बेहतरीन प्रदर्शन करती है। उपराष्ट्रपति ने तेजीसे बदलती तकनीकी उथल-पुथल के दौर में जिम्मेदार मीडिया की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने सार्वजनिक संवाद की अखंडता को बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहाकि संपादकीय क्षेत्र को जनता को सूचित और संवेदनशील बनाना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सकेकि मीडिया लोकतंत्र का प्रहरी बना रहे।
उपराष्ट्रपति ने आपातकाल के दौरान समाचार पत्रों के साहसी रुख को भी याद किया, जब कुछ समाचार पत्रों ने अपने संपादकीय स्थान को खाली छोड़कर सेंसरशिप का विरोध किया था। जगदीप धनखड़ ने कहाकि मीडिया को हमेशा लोकतंत्र के स्तंभ के रूपमें खड़ा रहना चाहिए, साथही इस बात पर जोर दियाकि प्रेस की स्वतंत्रता उसकी जिम्मेदारी से जुड़ी हुई है। जगदीप धनखड़ ने गलत सूचना, सनसनीखेज और राष्ट्रविरोधी बयानों से उत्पन्न खतरों पर चिंता व्यक्त करते हुए मीडिया से इन खतरों का मुकाबला करने केलिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने आग्रह कियाकि झूंठे बयान और सनसनीखेज बातें भले ही रोचक लगती हों, लेकिन वे देश के ताने-बाने को नुकसान पहुंचाती हैं, मीडिया को इन ताकतों को बेअसर करना चाहिए और हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करनी चाहिए। उपराष्ट्रपति ने व्यापक राष्ट्रीय विकास पर विचार करते हुए 1990 के दशक में भारत के सामने आई आर्थिक चुनौतियों को याद किया। उन्होंने 1990 के दशक में संसद सदस्य और केंद्रीय मंत्री के रूपमें अपने दिन याद किए, उस समय आर्थिक साख बनाए रखने केलिए देश का सोना स्विट्जरलैंड भेजा जाता था और देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 1 अरब अमरीकी डॉलर था।
जगदीप धनखड़ ने नरेंद्र मोदी सरकार को उनके प्रयासों केलिए बधाई देते हुए कहाकि आज हमने विदेशी मुद्रा भंडार में 700 अरब अमरीकी डॉलर के आंकड़े को पार कर लिया है और यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, जो हमारे देश के लचीलेपन तथा विकास को दर्शाती है। उपराष्ट्रपति ने मीडिया में अपने विश्वास की पुष्टि की। उन्होंने कहाकि यह आशा एवं संभावना से भरे भारत के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भागीदार है, जहां हर व्यक्ति कानून के समक्ष समान है और उसके प्रति जवाबदेह है। जगदीप धनखड़ ने मीडिया से कहाकि वह भारत के अभूतपूर्व विकास पथ पर ध्यान केंद्रित करे और एक सूचित व संतुलित संवाद को बढ़ावा दे, जो भारतीय लोकतंत्र को सशक्त बनाएं। इस अवसर पर केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, सदिन-प्रतिदिन समूह के अध्यक्ष एवं असोमिया प्रतिदिन के संपादक जयंत बरुआ भी उपस्थित थे।

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