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Tuesday 1 March 2016 12:17:37 AM
सीतापुर। भारतीय समन्वय संगठन (लक्ष्य) की महिला टीम ने सीतापुर जिले के गांव सैजनपुर में विशाल कैडर कैंप में अपनी सामाजिक और शैक्षणिक सफलताओं के लिए समाज के महान संत शिरोमणि गुरु रविदास की शिक्षाओं को सर्वश्रेष्ठ विकास मॉडल मानते हुए उनकी जयंती का शानदार आयोजन किया। मन चंगा तो कठौती में गंगा जैसे इस आदर्श सत्य के साथ सामाजिक जीवन का मार्ग दिखाने वाले दलितों के इस महान पावन पर्व पर स्त्री-पुरुषों, युवक-युवतियों ने अपने परम श्रद्धेय संत रविदास का स्मरण किया और उनके दिखाए पुण्य मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। इस अवसर पर गांव में लोगों ने एक जनजागरण रैली निकाली, जिसमें महिलाओं और बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। ज्ञातव्य है कि संत रविदास के मानव जीवन सिद्धांतों को केवल दलित समाज ने ही नहीं, बल्कि सर्वसमाज ने अपनाया है। लक्ष्य कैडर कैंप में वक्ताओं ने दलित समाज को संत शिरोमणि गुरु रविदास की जयंती पर शुभकामनाएं दीं और कहा कि रैदास दलित समाज के लिए सभी प्रकार से विकास के मॉडल हैं।
काशी में चर्मकार कुल में जन्मे संत रविदास को कहीं संत रविदास और कहीं कुलभूषण कवि रैदास के नाम से भी पुकारा जाता है। वे उन महान संतों में अग्रणी थे, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से दलित और दूसरे समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी रचनाओं की विशेषता लोक-वाणी का अद्भुत प्रयोग रही है, जिसका जनमानस पर अमिट प्रभाव देखा जाता है। मधुर एवं सहज संत रैदास की वाणी ज्ञानाश्रयी होते हुए भी ज्ञानाश्रयी एवं प्रेमाश्रयी शाखाओं के मध्य सेतु की तरह है। प्राचीनकाल से भारत में विभिन्न धर्मों तथा मतों के अनुयायियों में मेल-जोल और भाईचारा बढ़ाने के लिए संतों ने ही समय-समय पर ज्ञानोदय किया है, ऐसे संतों में रैदास का नाम अग्रणी है। वे संत कबीर के गुरूभाई माने जाते थे, क्योंकि उनके भी गुरु स्वामी रामानंद थे। वे वचन के पक्के थे और कर्तव्य पालन को महत्व देते थे, पाखंड उन्हें छू भी नहीं सकता था, अर्थात वह यर्थाथ एवं परोपकार को ही श्रेष्ठ मानते थे।
संत रविदास ने ऊंच-नीच की भावना तथा ईश्वरभक्ति के नाम पर किये जाने वाले विवाद को सारहीन तथा निरर्थक बताया है और सबको परस्पर मिलजुल कर प्रेमपूर्वक रहने का उपदेश दिया है। वे स्वयं मधुर तथा भक्तिपूर्ण भजनों की रचना करते थे और उन्हें भाव-विभोर होकर सुनाया भी करते थे। उनका विश्वास था कि राम, कृष्ण, करीम, राघव आदि सब एक ही परमेश्वर के विविध नाम हैं। वेद, कुरान, पुराण आदि ग्रंथों में एक ही परमेश्वर का गुणगान किया गया है। संत रविदास के उपदेश आज भी समाज कल्याण तथा उत्थान के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण एवं प्रासंगिक माने जाते हैं, यह अलग बात है कि समाज के कुछ वर्गों ने उनके उपदेशों की उपेक्षा की। उन्होंने अपने आचरण तथा व्यवहार से यह प्रमाणित किया है कि मनुष्य अपने जन्म तथा व्यवसाय के आधार पर महान नहीं होता है, विचारों की श्रेष्ठता, समाज के हित की भावना से प्रेरित कार्य तथा सद्व्यवहार जैसे गुण ही मनुष्य को महान बनाने में सहायक होते हैं। उनमें समयानुपालन की प्रवृति थी।
लक्ष्य की कमांडर मंजुलता आर्या ने इस अवसर पर संत शिरोमणि गुरु रविदास के जीवन चरित्र का वर्णन करते हुए समाज की प्रगति के लिए अंधविश्वास जैसी आत्मघाती प्रवृतियों से दूर रहने की अपील की और परिवार और समाज की भलाई के लिए सभी बच्चों को शिक्षा देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जिस समाज ने शिक्षा पर ध्यान दिया है, वह प्रगति कर गया और जिसने शिक्षा की उपेक्षा की है, वह पिछड़ गया है और अलग-थलग पड़ गया है, इसलिए शिक्षा बहुत जरूरी है, इससे अंधविश्वास दूर होगा और समाज प्रगति करेगा, यही रास्ता संत गुरु रविदास ने दिखाया है। पूजा गुलाटी ने भी गुरु रविदास की शिक्षाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि हमें उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारना चाहिए। रेखा आर्या ने महिलाओं से अपील की कि वो किसी भी प्रकार के शोषण को न सहें, बल्कि उसके खिलाफ आवाज़ उठाएं। अंजू सिंह ने लक्ष्य की सामाजिक क्रांति के बारे में विस्तार से चर्चा की। सैजनपुर गांव के लोगों ने लक्ष्य महिला कमांडरों के समाज सुधारक कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। कैडर कैंप के संचालन की कमान लक्ष्य की कमांडर संघमित्रा गौतम और डॉ आरजे दिनकर ने संभाली।