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भारत में मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं अपर्याप्त

स्‍वास्‍थ्‍य एवं मस्तिष्‍क विज्ञान संस्‍थान का दीक्षांत समारोह

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स्‍वास्‍थ्‍य एवं मस्तिष्‍क विज्ञान संस्‍थान का दीक्षांत समारोह/convocation of national institute of mental health and neuro sciences

बैंगलुरू। मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य और तंत्रिका विज्ञान के क्षेत्र में नये परिवर्तनों के लिए एक नया आधुनिक अनुसंधान केंद्र बैंगलूरू स्थित राष्‍ट्रीय मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य और तंत्रिका विज्ञान संस्‍थान (निमहंस) में स्‍थापित किया जाएगा। केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री और निमहंस सोसायटी के अध्‍यक्ष गुलाम नबी आजाद ने संस्‍थान के 16वें दी‍क्षांत समारोह में यह जानकारी दी। इस अवसर पर उपराष्‍ट्रपति हामिद अंसारी मुख्‍य अतिथि थे। समारोह में कर्नाटक के राज्‍यपाल एचआर भारद्वाज, कर्नाटक के स्‍वास्‍थ्‍य शिक्षा मंत्री और निमहंस सोसायटी के उपाध्‍यक्ष रामदास, बोर्ड के सदस्‍य और अकादमिक परिषद के सदस्‍य भी मौजूद थे।
समारोह में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी ढांचे और मानव संसाधनों में सुधार, समस्‍या का एक पहलू है, लेकिन इससे ज्‍यादा गंभीर मुद्दा देश में मानसिक बीमारी को अभिशाप समझा जाना है। उन्‍होंने कहा कि हालांकि हमने जन शिक्षा और जागरूकता अभियानों के जरिये एचआईवी-एड्स रोगियों को इस अभिशाप से बचाने के लिए काफी प्रयास किये हैं, लेकिन हम मानसिक विकारों के सम्‍बन्‍ध में ऐसा करने में असमर्थ रहे हैं, हमें लोगों में जागरूकता पैदा करके इस अभिशाप और भेदभाव को कम करना चाहिए। अंसारी ने कहा कि हमें महिलाओं, बच्‍चों, सामाजिक या परिवार से अलग-थलग पड़े लोगों, नशीले पदार्थों या शराब की लत के शिकार लोगों, प्रकृति या मानव निर्मित आपदा के शिकार और युद्ध अथवा विवाद के क्षेत्रों में काम कर रहे या वहां रह रहे संवेदनशील लोगों पर विशेष रूप से ध्‍यान देना चाहिए। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि इस तरह के लोगों को समय-समय पर मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य सम्‍बन्‍धी इलाज की जरूरत पड़ती है।
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आज देश में होने वाली चार मौतों में से तीन गैर-संक्रामक बीमारियों और चोट लगने के कारण होती हैं, गैर-संक्रामक बीमारियों की समस्‍या की तरफ पूरी दुनिया का ध्‍यान गया है और यह पूर्वानुमान लगाया गया है कि भारत इससे सबसे ज्‍यादा प्रभावित होगा और 2020 तक दुनिया की गैर-संक्रामक रोगों की राजधानी बन सकता है। उन्होंने कहा कि अनेक अध्‍ययनों से संकेत मिलता है कि कॉर्डियो-वस्‍कुलर बीमारियों, मधुमेह, लकवा, कैंसर और तंत्रिका को प्रभावित करने वाली डिमेंशिया जैसी बीमारियां ग्रामीण इलाकों और विशेषकर बुजुर्गो के बीच बढ़ रही हैं। उन्‍होंने कहा कि मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को राष्‍ट्रीय कार्यक्रम के अंतर्गत एक घटक के रूप में शामिल किया गया है और निमहंस ने मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के बारे में तथ्‍यों की विस्‍तृत जानकारी सामने लाने और इस क्षेत्र में राष्‍ट्रीय कार्य योजना तैयार करने में सक्रिय योगदान दिया है। निमहंस को राष्‍ट्रीय महत्‍व के एक संस्‍थान के रूप में मान्‍यता देने सम्‍बन्‍धी एक विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा चुका है।
आजाद ने मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के अलावा लकवा रोकने, आपदा प्रबंधन, देख-भाल, सड़क सुरक्षा, आत्‍म-हत्‍या रोकने, मिर्गी की देख-भाल, डिमेंशिया सेवाओं, शराब से होने वाले नुकसान और मानवाधिकारों के सम्‍बन्‍ध में अनेक नीतियां और कार्यक्रम बनाने में बहुत से साझेदारों की भागीदारी के लिए निमहंस को बधाई दी। निमहंस में एक सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र का भी प्रस्‍ताव रखा गया है। आजाद ने बताया कि भारत के कहने पर गैर-संक्रामक बीमारियों के दायरे में मानसिक विकारों को शामिल करने के लिए मॉस्‍को में मंत्रिस्‍तरीय एक सम्‍मेलन में एक प्रस्‍ताव स्‍वीकार किया गया। संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा ने इसे स्‍वीकार कर लिया। इस सम्‍मेलन में 160 देशों ने भाग लिया। दुनिया भर में लोग मानने लगे हैं कि मानसिक और तंत्रिका सम्‍बन्‍धी विकार वाले व्‍यक्तियों की तरफ विशेष ध्‍यान देने की जरूरत है। निमहंस एक जाना-माना मल्‍टी स्‍पेशिऐलेटी अस्‍पताल है, जहां तंत्रिका और मानसिक विकारों का इलाज किया जाता है। देश के सभी भागों से रोगी यहां इलाज और पुनर्वास के लिए आते हैं। पिछले वर्ष के दौरान साढ़े चार लाख से ज्‍यादा रोगियों ने यहां इलाज कराया।
गुलाम नबी आजाद ने सूचित किया कि राष्‍ट्रीय मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम दुबारा तैयार किया गया है और इस पर होने वाले खर्च में वृद्धि की गई है। इस क्षेत्र में मानव संसाधन की कमी को पूरा करने के लिए राष्‍ट्रीय मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम के अंतर्गत मानव शक्ति के विकास के लिए 470 करोड़ रुपये आबंटित किये गये हैं, जिससे हर वर्ष 1756 योग्‍य मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पेशेवर तैयार करने में मदद मिलेगी। एक अनुमान के अनुसार करीब दस लाख भारतीयों को मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की जरूरत है। आजाद ने निमहंस के स्‍नातक छात्रों से कहा कि वे राष्‍ट्र निर्माण में बढ़-चढ़ कर भाग लें। उन्‍होंने कहा कि हमें पेशेवर के रूप में अपने कर्तव्‍यों के प्रति सजग रहना चाहिए और एक जिम्‍मेदार नागरिक की भूमिका निभाते हुए देश की जनता को सस्‍ती स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं प्रदान करनी चाहिए।
आजाद ने निमहंस परिसर में मरीजों और उनके परिवार के सदस्‍यों के लिए बनी 'इन्‍फोर्सिस फाउंडेशन धर्मशाला' समर्पित की और कहा कि अस्‍पताल की स्‍थापना के समय धर्मशालाओं और अतिथि गृहों का प्रावधान इस तथ्‍य को ध्यान में रखकर किया होगा कि भारत में परिवार स्वास्‍थ्‍य देख-भाल का एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है और अस्‍पताल के नजदीक हमें सस्‍ती जगह उपलब्‍ध करानी चाहिए, ताकि वे मरीज की देख-भाल कर सकें। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि उन्‍होंने मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वह उन छह स्‍थानों पर जहां नये अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान बनाए जा रहे हैं, वहां ऐसी धर्मशालाओं और अतिथि गृहों के निर्माण के लिए सम्‍बद्ध राज्‍य सरकारों के साथ सलाह-मशविरा करके जगह तय करें या आबंटित करें, ताकि अस्‍पतालों के पूरी तरह से काम करते समय सार्वजनिक या निजी भागीदारी से धर्मशालाएं बन सकें। मानसिक रोगियों खासतौर से आर्थिक दृष्टि से कमजोर लोगों की मदद के लिए इन्‍फोर्सिस फाउंडेशन धर्मशाला के निर्माण के लिए आगे आया।

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