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धारा संरक्षण के लिए पौधों का रोपण

रमेश चौहान

रमेश चौहान

पावकी देवी। टिहरी गढ़वाल। पट्टी दोगी के मुख्य पर्यटन स्थल मॉ पावकी देवी मंदिर परिसर में धार बचाओ आंदोलन के अंतर्गत पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें बांज के 300 पौधों का रोपण किया गया। कार्यक्रम स्थल पर पाणी पंचायत भी की गयी। इसमें पर्यावरण प्रेमियों ने ग्रामीणों का ध्यान लगातार सूख रहे जल स्रोतों तथा दूषित हो रहे पर्यावरण की ओर दिलाया। इस कार्यक्रम में दूर-दराज़ से वरिष्ठ नागरिक, युवा, मातृशक्ति तथा बुद्धिजीवी वर्ग ने पौधारोपण कार्यक्रम में हिस्सा लिया।  
मैती आंदोलन के प्रणेता कल्याण सिंह रावत ने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि पर्यावरण के प्रति सभी को संवेदनशील होने की आवश्यकता है। लगातार घट रहे वन तथा असंतुलित पारिस्थितकीय पर चिंता प्रकट करते हुये कहा कि इसके प्रभाव से मौसम में बदलाव आया है। पर्यावरण की तमाम तरह की चुनौतियों को छोटे-छोटे सामूहिक प्रयासों से कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारी सामाजिक व्यवस्था में हर तरह के अवसर आते हैं, जिनकी खूबसूरत यादगार के लिए एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए। इससे हम अपने पर्यावरण को स्वच्छ बना सकेंगे। 
कार्यक्रम का संचालन धार बचाओ आंदोलन के रमेश सिंह चौहान ने किया और कहा कि पूरे पट्टी दोगी क्षेत्र में भारी पेयजल की किल्लत को करीब से देखा जा रहा है। यह महसूस किया गया है कि पानी का तो आयात नही किया जा सकता है। पहले कभी इतना पेयजल संकट नहीं था, जितना इस दशक में रहा है। इससे यह बात सामने आई कि कहीं न कहीं हम अपनी पारंपरिक जल संस्कृति में, जिसमें पेयजल स्रोतों के संरक्षण व संवर्धन की सामाजिक व्यवस्था थी, तब इस तरह के जल संकट देखने को नहीं मिलते थे।
पिछले कुछ वर्ष से ऋषिकेश के आसपास से पेयजल आपूर्ति की जा रही है, जो कि गंभीर चिंता का विषय है। इसी सोच का परिणाम है-धार बचाओ आंदोलन जिसकी शुरुआत मार्च 2006 में ग्राम पंचायत मुंडाला से हुई। इस पहाड़ सी समस्या पर चिंतन करके इससे उभरने के लिए पर्यावरण संरक्षण का प्रयास किया जाना चाहिए। पारंपरिक धारा पूजन के पीछे जल संरक्षण की सोच रही है। इस सोच को बरकरार रखते हुए धार बचाओं आंदोलन जारी है। जल संकट से बचने के लिए पहले से ही यहां धारों की पूजा की जाती है। इस विरासत का औचित्य तभी है जब जल स्रोत जिंदा रहें।
इस अवसर पर पौधारोपण कर सूख रहे धार (स्रोत) का जीर्णोद्धार करने का सामुहिक संकल्प लिया गया, जिसमें हर परिवार अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेगा, घर या आसपास के खेत में पौध रोपण करेगा। धार बचाओ दिवस पर गांव के नव दंपति एकत्रित होकर पारंपरिक जल स्रोत की साफ-सफाई के साथ ही जल संचित क्षेत्र में पौधारोपण करेंगे। इनका रख-रखाव धार बचाओ संगठन करता है। इस कार्य को उत्सवों से जोड़ने का अभिनव प्रयास किया जा रहा है तथा अनेक अवसर जैसे-विवाह, मुंडन संस्कार पर पौधरोपण को संस्कार तथा परंपरा के रूप में स्वीकार किया जाने लगा है। धार बचाओ आंदोलन ऐसे जनसहयोग के बिना संभव नहीं है। यह आवश्यक नहीं कि हर कोई बड़ा योगदान करे, लेकिन वास्तव में छोटी-छोटी गतिविधियां जैसे-शादी के अवसर पर पौधा दान स्वरूप भेंट करना, धार पूजा रस्म के समय जल संवर्धन क्षेत्र में पौध रोपण करना, पेड़-पौधो को संरक्षित करने का संकल्प करना, सामाजिक दायित्व के रूप में प्रति वर्ष एक पौधा रोपण करना तथा उसकी रक्षा करना, जंगलों को आग से बचाने का प्रयास करना इत्यादि से बड़ा योगदान मिल सकता है। 
इस अवसर पर मुख्य रूप से पंचायत प्रतिनिधि,सामाजिक कार्यकर्ता, डब्बल सिंह चौहान पूर्व प्रधान व क्षेत्रीय पंचायत सदस्य, सुनील सिंह जैथूडी, दिनेश भट्ट, दरबान सिंह जैथूडी, राजेंद्र सिंह, सुखविंदर सिंह एसएस चौहान, गजेंद्र सिंह चौहान, सब्बल सिंह जैथूडी, दरबान सिंह, राणा कर्ण सिंह, आस-पास की महिलाओं की भी उपस्थिति थी जिनमें प्रमुख चैता देवी, वसंती देवी, बरखा देवी आदि शामिल हैं।

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