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Monday 15 September 2014 10:28:33 PM
अयोध्या। वेद सनातन धर्म का संविधान हैं, सनातन धर्म का संचालन वैदिक संविधान रचना से ही होता है और संविधान के उलंघन पर दंड का प्राविधान भी वेदों में ही निहित है। यह ज्ञानोदय कारसेवकपुरम् में वेद पूजन दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में चारूशिला मंदिर के महंत राम टहल दास महाराज ने व्यक्त किए। कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में श्रीराम वेद विद्यालय की संचालन समिति महर्षि वशिष्ठ विद्या समिति के अध्यक्ष एवं मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास महाराज ने कहा कि वेदों से ही आज सनातन धर्म सुरक्षित है, वेद साक्षात् परमब्रह्म हैं, वेदों में उल्लेखित वाणी ही मनुष्य के जीवन को सही मार्ग पर ले चलने की प्रेरणा प्रदान करती है, इसलिए वेदों की रक्षा करना हम सबका कर्तव्य बनता है।
उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन से अगर धार्मिक ग्रंथों को हटा दिया जाए तो वह शून्य है, वेद तो साक्षात् ईश्वर का रूप हैं, वेदों में समाज की एकता, समरसता एवं सुरक्षा की ऋचाएं हैं, पूर्व में वेदों को समाप्त करने को कुचक्र चला है, लेकिन वेद समाप्त नहीं हुए, आज वेदों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं, इसके लिए और शक्ति के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। महंत करपात्रीजी महाराज ने आशीर्वचन में कहा कि वेद साक्षात् ईश्वर का रूप हैं और हम सभी वेदों को ईश्वर मान कर इनकी पूजना करें, वेदों से ही पश्चिमी सभ्यता से भारतीय संस्कृति की रक्षा की जा सकी है। अशर्फी भवन से पधारे व्याकरणाचार्य राधेश्याम ने कहा कि देश का वेष से सम्मान है, वेष से संस्कृत है वेष से देश परिपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि संस्कृत और संस्कृति पर कुठाराघात हो रहा है, उसका परिणाम सामने दिखायी पड़ रहा है, वेद से व्यक्तित्व विकास संभव है।
कार्यक्रम का संचालन आचार्य नारद भट्टराई ने किया। विश्व हिंदू परिषद द्वारा संचालित वेद विद्यालयों के संबंध में श्रीराम वेद विद्यालय के प्रधानाचार्य इंद्रदेव मिश्र ने भूमिका रखी। धन्यवाद ज्ञापन समिति के सह मंत्री राधेश्याम मिश्र ने किया। वैदिक छात्रों ने संस्कृति एवं हिंदी में वेदों के बनाये गीत गाए। कार्यक्रम में श्रीराम वेद विद्यालय संचालन समिति के पदाधिकारियों सहित अयोध्या के कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।