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Saturday 19 April 2025 03:54:45 PM
नई दिल्ली। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में विश्व धरोहर दिवस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों और संस्कृति पर विचारों के संकलन पर 'संस्कृति का पांचवां अध्याय' पुस्तक का विमोचन किया गया। जूना अखाड़े के प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, आईजीएनसीए के अध्यक्ष रामबहादुर राय और आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ सच्चिदानंद जोशी ने संयुक्त रूपसे पुस्तक का विमोचन किया। पुस्तक में प्रधानमंत्री के विभिन्न अवसरों पर भारतीय संस्कृति, परंपराओं, आध्यात्मिक मूल्यों एवं सांस्कृतिक विरासत पर दिए गए भाषणों का संकलन किया गया है। आईजीएनसीए के अध्यक्ष रामबहादुर राय ने पुस्तक की प्रस्तावना लिखी है, डॉ प्रभात ओझा ने संकलन किया है और प्रभात प्रकाशन की प्रकाशित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांस्कृतिक पुनरुत्थान के दृष्टिकोण को उनकी सरकार के केंद्रीय उद्देश्य के रूपमें दर्शाती है।
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने पुस्तक पर चर्चा करते हुए कहाकि 2014 से देशभर में हर दिशामें नवाचार देखने को मिल रहा है और वातावरण में बदलाव साफ दिखाई दे रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांस्कृतिक योगदान की सराहना करते हुए कहाकि उनके प्रधानमंत्री बनने केबाद से एक निश्चित बदलाव आया है, देश के लोग अब सांस्कृतिक विषयों पर अधिक गहराई और गर्व केसाथ चर्चा करते हैं। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहाकि वर्ष 2008 में यूरोप में रहनेवाले एक भारतीय गुरु ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की शुरूआत केलिए बहुत प्रयास किए थे, केंद्र सरकार से मदद मांगी और वर्ष 2016 में नरेंद्र मोदी सरकार ने इसे साकार कर दिया, अब 21 जून को विश्वभर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस धूमधाम से मनाया जाता है, यह भारत की सांस्कृतिक विरासत केप्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने रामधारी सिंह दिनकर की मौलिक रचना ‘संस्कृति के चार अध्याय’ का उल्लेख किया, जिसकी प्रस्तावना जवाहरलाल नेहरू ने लिखी थी।
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने पुस्तक पर चर्चा करते हुए कहाकि यदि रामधारी सिंह दिनकर जीवित होते तो वे अपनी रचना के कुछ हिस्सों को पुन: पढ़ते और संशोधित करते, ताकि इसे और समृद्ध बनाया जा सके। उन्होंने कहाकि 1952 केबाद संस्कृति के बारेमें चर्चाएं कम हो गईं, लेकिन 2014 से संस्कृति और विरासत पर गर्व केसाथ चर्चाएं, आयोजन हो रहे हैं। उन्होंने रघुबीर नारायण के ‘बटोझिया’ गीत की एक प्रसिद्ध पंक्ति को उद्धृत करते हुए अपना भाषण समाप्त किया-‘सुंदर सु भूमि भैया भारत के देशवा में, मोर प्राण बसे हिम खोह रे बटोझिया।’ रामबहादुर राय ने नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व के दो आयामों के बारेमें बताया-पहला एक राजनेता एवं प्रशासक और दूसरा आध्यात्मिक रूपसे प्रवृत्त नेता। प्रधानमंत्री के आलोचकों को हल्के-फुल्के अंदाज में संबोधित करते हुए उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का व्यक्तित्व लोगों में भाव पैदा करता है, सकारात्मक सोच वाले लोग उनकी खूबियों को देखते हैं, जबकि नकारात्मक सोच वाले लोग आलोचना में उलझे रहते हैं।
आईजीएनसीए के अध्यक्ष रामबहादुर राय ने कहाकि नरेंद्र मोदी के चारों ओर कई तरह की कहानियां बुनी गई हैं, लेकिन यह पुस्तक एक अलग चित्रण प्रस्तुत करती है-एक संत हृदय प्रधानमंत्री का। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री पर लिखी गई पुस्तकों के विशाल भंडार में से यह एक अलग है, इसमें वह शानदार कोहिनूर हैं, जिसे एक संत ने 'वेताल पचीसी' में राजा विक्रमादित्य को भेंट किया था, वह कोहिनूर भारत की संस्कृति है। आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ सच्चिदानंद जोशी ने प्रधानमंत्री के लक्ष्य ‘विरासत भी, विकास भी’ के बारेमें बताया। उन्होंने विश्व धरोहर दिवस पर इस पुस्तक के विशेष महत्व पर ध्यान दिलाते हुए कहाकि यह पुस्तक नए भारत का दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। पुस्तक के संकलनकर्ता डॉ प्रभात ओझा ने पुस्तक का परिचय देते हुए कहाकि इसमें प्रधानमंत्री के 34 भाषणों का संकलन किया गया है, साथही इसमें एक परिशिष्ट भी है, जिसमें दो आध्यात्मिक नेताओं के विचार शामिल हैं, जो दोनों ही प्रधानमंत्री के सांस्कृतिक दृष्टिकोण का समर्थन करते प्रतीत होते हैं।