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किसान को उत्पादक से उद्यमी बनना चाहिए!

उपराष्ट्रपति ने तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय से किया आह्वान

'विकसित भारत केलिए कृषि शिक्षा नवाचार व उद्यमिता बढ़ाएं'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 28 April 2025 01:04:50 PM

vice president in tamil nadu agricultural university

कोयंबटूर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय में ‘विकसित भारत केलिए कृषि शिक्षा, नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देना’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में कहा हैकि हमें खाद्य सुरक्षा से किसानों की समृद्धि की ओर बढ़ना चाहिए, किसानों को समृद्ध होना होगा और यह विकास कार्य तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों से शुरू होना चाहिए। उन्होंने कहाकि किसानों को खेत से बाहर निकलकर अपनी उपज के विपणन में शामिल होना चाहिए, किसानों को केवल उत्पादक बनकर इसके बारेमें भूल नहीं जाना चाहिए। उन्होंने जागरुक करते हुए किसानों को सशक्त बनाने का आह्वान किया और कहाकि सरकारी सहकारी प्रणाली बहुत मज़बूत है, पहलीबार हमारे पास सहकारिता मंत्री हैं, सहकारिता को संविधान में स्थान मिला है, इसलिए हमें किसान व्यापारियों और किसान उद्यमियों की जरूरत है। उन्होंने कहाकि किसान स्वयं को उत्पादक से मूल्यवर्धक में बदलें और कुछ ऐसे उद्योग शुरू करें, जो उत्पादन पर आधारित हों। उपराष्ट्रपति ने कहाकि कृषि उपज का बाज़ार बहुत बड़ा है और जब कृषि उपज में मूल्य संवर्धन होगा तो उद्योग भी और फलेगा-फूलेगा।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कृषि में अनुसंधान और प्रौद्योगिकी की भूमिका पर जोर दियाकि प्रयोगशाला और भूमि केबीच की दूरी को केवल दूर ही नहीं करना चाहिए, यह एक निर्बाध संपर्क होना चाहिए। उन्होंने कहाकि कृषि विज्ञान केंद्र किसानों केसाथ बातचीत के जीवंत केंद्र हों, ताकि किसानों को शिक्षित किया जा सके। उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्रों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को जोड़ने का भी आह्वान किया, जिसके पास कृषि विज्ञान के हर पहलू पर ध्यान केंद्रित करने वाले 150 से अधिक संस्थान हैं। सरकार की पहल की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि पीएम किसान निधि सम्मान जैसी अभिनव योजनाएं उस क्षेत्र केसाथ न्याय करने का उपाय हैं, जो हमारी जीवनरेखा हैं। उन्होंने कहाकि यह किसानों केलिए सीधा हस्तांतरण है, देश में उर्वरकों केलिए भारी सब्सिडी है। उन्होंने कहाकि तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों को यह सोचना चाहिएकि अगर किसानों के लाभ केलिए उर्वरक क्षेत्र को दी जानेवाली सब्सिडी सीधे किसानों तक पहुंचे तो हर किसान को हर साल लगभग 35000 रुपये मिलेंगे।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों को विकसित भारत केलिए काम करना होगा। उन्होंने कहाकि तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय ने भारत की खाद्य सुरक्षा में उल्लेखनीय योगदान दिया है, भारत खाद्यान्न की प्रचुरता की ओर बढ़ रहा है और तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय ने कृषि विकास को प्रभावित किया है तथा ग्रामीण क्षेत्रमें महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उपराष्ट्रपति ने कृषि क्षेत्र के महानतम दिग्गजों में से एक डॉ एमएस स्वामीनाथन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहाकि वे तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय के छात्र थे। उन्होंने बतायाकि डॉ स्वामीनाथन को सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारतरत्न सहित सभी नागरिक पुरस्कारों से सम्मानित होने का दुर्लभ गौरव प्राप्त है। प्रभावोन्मुख नवाचार और अनुसंधान का आह्वान करते हुए उन्होंने कहाकि नवाचार और अनुसंधान पहलों का मूल्यांकन इस आधार पर किया जाना चाहिएकि उनका किसान पर क्या प्रभाव पड़ेगा, क्या उनका जमीनी स्तर पर प्रभाव पड़ रहा है? इसलिए अनुसंधान अपनाया जाना चाहिए, अनुसंधान आवश्यकता के आधार पर होना चाहिए। उन्होंने कहाकि अनुसंधान को न केवल केंद्र और राज्य सरकारों, बल्कि उद्योग, व्यापार, व्यवसाय और वाणिज्य द्वारा भी सहयोग किया जाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि भारत कृषि प्रधान देश है, इसका दिल गांवों में धड़कता है, जो रोज़गार एवं अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा हैं और हर मायने में देश का आधार हैं। तमिल के प्राचीन ज्ञान को याद करते हुए उन्होंने याद दिलायाकि महान कवि संत तिरुवल्लुवर ने किसान की भूमिका को उच्चतम स्थान दिया है, किसान मानवता की आधारशिला हैं और कृषि सबसे प्रमुख शिल्प है। उन्होंने तिरुवल्लुवर के ज्ञान की सराहना करते हुए इसे कालातीत बताया और कहाकि किसान हमारे अन्नदाता और हमारे भाग्य के निर्माता हैं। कार्यक्रम में तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि, मानव संसाधन प्रबंधन मंत्री एन कयालविझी सेल्वराज, कृषि उत्पादन आयुक्त और सरकार के सचिव वी दक्षिणमूर्ति, अनुसंधान निदेशक तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय के डॉ एम रवींद्रन, तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार एवं कार्यवाहक कुलपति आर थमिज़ वेंडन और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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