स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 12 October 2015 02:35:11 PM
मुंबई। भाजपा के मार्गदर्शक और वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के खास सहयोगी रहे सुधींद्र कुलकर्णी का शिवसेना के योद्धाओं ने पाकिस्तान के कारण आज मुंह काला कर दिया। सुधींद्र कुलकर्णी का यह हाल पाकिस्तान के भूतपूर्व विदेशमंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी की किताब का मुंबई में विमोचन आयोजित कराने के कार्यक्रम के विरोध में बनाया गया। शिवसेना इस कार्यक्रम को नहीं होने देना चाहती थी, जिससे उसके लोगों ने गुस्से में यह कदम उठाया। इसके बावजूद शाम को कड़े सुरक्षा प्रबंधों के बीच नेहरू सेंटर में यह विमोचन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें मुंबई के कई धर्मनिरपेक्ष नामधारियों ने भाग लिया। पाकिस्तान प्रायोजित मुंबई हमले सहित भारत के खिलाफ लगातार छद्मयुद्ध से गुस्साए लोगों की पाकिस्तान से भारी नाराजगी के कारण यह विमोचन तो महाराष्ट्र सरकार भी नहीं चाहती थी, किंतु महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री होने के नाते और फालतू की आलोचनाओं से बचने के लिए मुख्यमंत्री ने सरकार में शामिल शिवसेना की नाराजगी मोल लेकर विमोचन कार्यक्रम को कराया।
भारत के कुछ समाचार टीवी चैनलों पर शिवसेना के कदम की आलोचना की जा रही है, इसके बावजूद शिवसेना को इस कार्यक्रम के खिलाफ जनसमर्थन भी मिला है। शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने मीडिया से कहा भी कि वह महमूद कसूरी या ग़ज़ल गायक गुलाम अली के नहीं बल्कि पाकिस्तान के खिलाफ हैं, जो रोज भारत के सैनिकों और भारतीय नागरिकों को मार रहा है, इसलिए पहले वह भारत के खिलाफ छद्मयुद्ध बंद करे, तब ऐसे कार्यक्रमों का कोई विरोध नहीं है। इस घटनाक्रम का दूसरा पक्ष यह बताया जा रहा है कि शिवसेना का यह तर्क माना जा सकता है, किंतु मामला कुछ और भी है और वो है भाजपा और शिवसेना के रिश्ते, जोकि बहुत खराब चल रहे हैं और शिवसेना विभिन्न मुद्दों पर भाजपा नेतृत्व और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हिट करती आ रही है और कसूरी एवं गुलाम अली के बहाने उसको भाजपा और नरेंद्र मोदी से भिड़ने का मौका मिल गया है। आंतरिक तौर पर देखा जाए तो ये दोनों ही दल भारत-पाकिस्तान में भारी तनाव के चलते भारत में ऐसे कार्यक्रमों से परहेज रखते हैं, क्योंकि यह जनता भी नहीं चाहती। भाजपा और भारत सरकार की परेशानी यह है कि वह पाकिस्तान को कोई मुद्दा नहीं थमाना चाहती, यही नहीं भारत के धर्मनिरपेक्षवादियों को भी कुछ उछालने का मौका मिल जाएगा।
भारत सरकार और महाराष्ट्र सरकार इस मामले को बड़ी राजनीतिक और कूटनीतिक दृष्टि से ले रही है, मगर शिवसेना को कोई भी सूरत मंजूर नहीं है। यही मुद्दा है, जिसमें कहीं पर निगाहें और कहीं पर निशाना की कहावत चरितार्थ हो रही है और इसमें सुधींद्र कुलकर्णी की खूब पुताई हो गई। कुल मिलाकर भारत को इस विमोचन का कोई कूटनीतिक लाभ मिलेगा, इसमें संदेह दिखता है। यह कटु सत्य बन चुका है कि पाकिस्तान के बंदे को यहां से लौटकर भारत के खिलाफ ही ज़हर उगलना है। यह किताब भी भारत-पाकिस्तान के बीच कौन से सेतु का कार्य कर पाएगी यह भी समय जल्दी ही बता देगा। आज जो हुआ उसके अनुसार पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी की पुस्तक का विमोचन समारोह मुंबई में आयोजित कराने के लिए ओआरएफ के अध्यक्ष सुधींद्र कुलकर्णी जब घर से निकले तो वहीं उनके चेहरे पर गहरा काला तेल मल दिया गया। सुधींद्र कुलकर्णी ने आरोप लगाया कि यह शिवसेना के कार्यकर्ताओं का ही काम है। उन्होंने कहा कि चेहरे पर कालिख मलते हुए उन्हे अपशब्द भी कहे गए। सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा कि इसके बावजूद किताब का विमोचन नहीं रुकेगा और हम ऐसी घटनाओं से झुकेंगे नहीं। विदेश नीति के थिंकटैंक ऑब्जर्वर एंड रिसर्च फाउंडेशन पर खुर्शीद महमूद कसूरी की पुस्तक का विमोचन समारोह योजना के मुताबिक आज ही भारी सुरक्षा के बीच हुआ।
मुंबई में इस घटना को लेकर दिनभर जो हुआ, उसके अनुसार सुधींद्र कुलकर्णी के चेहरे पर काला तेल मले जाने पर शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा कि स्याही मलना लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन का बहुत नरम तरीका है, हम नहीं जानते कि स्याही मली गई या तारकोल, कोई भी यह पहले से नहीं बता सकता कि जनता का गुस्सा किस तरह से फूटेगा। उधर मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस की मुख्यमंत्री होने के नाते मजबूरी थी कि वे इस आयोजन को हर हाल में पूर्ण सुरक्षा प्रदान करें और इसी नाते उन्होंने आयोजन होने के लिए सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए। सुधींद्र कुलकर्णी ने रविवार की रात उद्धव ठाकरे से उनके आवास ‘मातोश्री’ पर मुलाकात भी की थी, लेकिन उन्हें उनसे कोई आश्वासन लिए बिना ही लौटना पड़ा था। ज्ञातव्य है कि शिवसेना के विरोध के कारण पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली के मुंबई और पुणे में होने वाले कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया था। सुधींद्र कुलकर्णी का कहना है कि महमूद कसूरी को उनके विचार रखने दिया जाना चाहिए, यदि शिवसेना के विचार अलग हैं तो वह एक लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन कर सकती हैं। शिवसेना अध्यक्ष का कहना है कि गुलाम अली की तरह महमूद कसूरी एक कलाकार तो नहीं हैं, लेकिन वह उस व्यवस्था का हिस्सा हैं, जिसने भारत में आतंकवाद को बढ़ावा दिया है। महमूद कसूरी वर्ष 2002-07 के दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री थे, मगर वर्ष 2008 में जब मुंबई आतंकी हमला हुआ, तब वह मंत्री नहीं थे।