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Sunday 13 April 2025 04:43:02 PM
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा हैकि संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर के सपनों को बहुजन समाज पार्टी ही साकार कर सकती है। गौरतलब हैकि आंबेडकर जयंती और बहुजन समाज पार्टी का स्थापना दिवस 14 अप्रैल को होता है। बहुजन समाज को आंबेडकर जयंती की बधाई देते हुए उन्होंने मीडिया के सामने बोधि गया टेम्पल विवाद, वक्फ विधेयक एवं उसकी मुख़ालफत और राज्य सरकारों द्वारा बहुजन समाज की समस्याओं की उपेक्षा के मुद्दे उठाए। मायावती ने महाबोधि मंदिर गया के बोधि टेम्पल एक्ट-1949 का जिक्र किया। उन्होंने बाबासाहेब को दलितों एवं उपेक्षित समाज का मसीहा कहा और बसपा की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि के श्रद्धासुमन अर्पित किए। उन्होंने कहाकि बाबासाहेब ने कदम-कदम पर कष्ट झेलकर, पूरा जीवन सदियों से जातिवादी व्यवस्था के शिकार बहुजन समाज को आत्मसम्मान व स्वाभिमान की जिंदगी में लगा दिया। मायावती ने कहाकि बाबासाहेब ने भारतीय संविधान में हर स्तरपर समाज को जरूरी कानूनी अधिकार दिए, लेकिन उनको अभीतक भी उनका पूरा लाभ नहीं मिल सका है।
मायावती ने कहाकि 14 अप्रैल 1984 को अपनी स्थापना के दिन से ही बहुजन समाज पार्टी का पूरे देश में बहुजन समाज को अपने पैरों पर खड़े करने का निरंतर प्रयास जारी है, जबकि पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस, बीजेपी और जातिवादी पार्टियां बाबासाहेब के जन्मदिन के मौके पर उनके समाज के वोटों को लुभाने केलिए ही किस्म-किस्म के हथकंडे इस्तेमाल करती आ रही हैं। उन्होंने आह्वान कियाकि बहुजन समाज ऐसी पार्टियों के बहकावे में ना आए और अपनी एक मात्र हितैषी पार्टी बीएसपी के बताए हुए रास्तों पर चलकर बाबासाहेब के अधूरे रहे कारवां को मंजिल तक पहुंचाए। उन्होंने कहाकि बाबासाहेब ने अपने आखिरी समय में 14 अक्तूबर 1956 को बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी और जातिवादी मानसिकता के लोग उन्हें भी सनातनी बनाने में लगे हैं, जोकि बहुत चिंता की बात है। उन्होंने इस संदर्भ में कहाकि सर्वविदित हैकि बिहार का बोधगया बौद्धतीर्थ स्थल देश दुनिया में अति विख्यात है, जहां तथागत गौतम बुद्ध की पवित्र ज्ञानस्थली है, जहां भव्य और प्राचीन महाबोधि मंदिर में सरकारी व ग़ैरसरकारी स्तरपर गैर बौद्धधर्म के मानने वालों का दखल बढ़ गया है, जिसे लेकर देश-दुनिया के बौद्ध भिक्षुओं व बौद्ध अनुयायियों में भारी बेचैनी और आक्रोश व्याप्त है।
मायावती ने कहाकि कांग्रेस की सरकार 1949 में बने बोधगया मंदिर प्रबंधन कानून में ज़रूरी परिवर्तन की मांग को लेकर बौद्ध काफी समय से शांतिमय रूपसे आंदोलित भी हैं। उन्होंने कहाकि देश की आज़ादी केबाद कांग्रेस की सरकार ने बिहार में बोधगया मंदिर प्रबंधन का जो कानून बनाया था, उसमें जिलाधिकारी की अध्यक्षता में चार हिंदू व चार बौद्धधर्म के मानने वाले लोगों की कमेटी बनाने का प्रावधान किया गया था, जो पहली नज़र में ही अनुचित, अनावश्यक व भेदभावपूर्ण है। उन्होंने कहाकि कांग्रेस सरकार की इस अनावश्यक दखलंदाजी की वजह से ही महाबोधि मंदिर में पूजापाठ, सम्पत्तियों के संरक्षण, उनके रखरखाव, साफ सफाई केसाथ लाखों तीर्थयात्रियों की सुख सुविधा आदि को लेकर लगातार असहज एवं तनावपूर्ण स्थिति बनी है। उन्होंने कहाकि बौद्ध धर्म मानने वालों की मांग हैकि महाबोधि मंदिर की पवित्रता को पूरी तरह से बनाए रखने तथा इसकी सही से देखभाल केलिए जरूरी हैकि बौद्ध भिक्षुओं व बौद्ध धर्म के अनुयायियों को यह जिम्मेदारी सौंप दी जाए और सरकार को इसपर तत्काल ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहाकि कांग्रेस की केंद्र एवं बिहार सरकार को संविधान के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का अनुपालन करते हुए महाबोधि मंदिर प्रबंधन कानून में किसी भी गैर बौद्ध धर्म के मानने वाले लोगों को कमेटी का सदस्य बनाने का प्रावधान नहीं रखना चाहिए था।
मायावती ने कहाकि इससे अनावश्यक परेशानी व विवाद से बचा जा सकता था, किंतु अब जबकि यह मामला काफी तूल पकड़ कर भारी विवाद का रूप धारण कर चुका है तो ऐसे में केंद्र व बिहार की एनडीए सरकार को इसमें तत्काल सुधार करना चाहिए। मायावती ने कहाकि वक्फ कानून केतहत राज्य वक्फ बोर्डों में जो गैर मुस्लिम को रखने का नया प्रावधान किया गया है, वहभी प्रथम दृष्टया अनुचित प्रतीत होता है, जिसका मुस्लिम समाज में भारी विरोध हो रहा है। मायावती ने कहाकि विवादित प्रावधानों के सुधार को लेकर केंद्र सरकार समुचित पुनर्विचार करती है तो बेहतर होगा, इसके अलावा भारत एवं भारतीयों की सुरक्षा केलिए केंद्र व सभी राज्य सरकारों को आतंकवादियों के विरुद्ध अपने-अपने राजनीतिक स्वार्थ को छोड़कर भारतीय कानून केतहत निष्पक्ष, ईमानदार एवं सख़्त कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए, जो देश और नागरिकों के हित में होगा।