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उज्बेक विद्वानों की हिंदी संस्कृत में दिलचस्पी!

स्पीकर ओम बिरला का उज्बेकिस्तान संसदीय संघ सभा में संबोधन

'भारत-उज्बेकिस्तान के बीच ऐतिहासिक संबंध और अधिक मजबूत'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 10 April 2025 04:00:34 PM

speaker om birla's address at the uzbekistan parliamentary union assembly

ताशकंद/ नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने हिंदी और संस्कृत सहित भारतीय भाषाओं में उज्बेकिस्तान के विद्वानों द्वारा गहरी रुचि लेने की सराहना की है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भारतीय संसदीय शिष्टमंडल के प्रमुख के तौरपर 150वीं अंतर संसदीय संघ सभा में भाग लेने केलिए उज्बेकिस्तान गए हुए हैं। ओम बिरला ने कहाकि उज्बेक विद्वानों ने न केवल भारतीय भाषाएं सीखी हैं, बल्कि इन्हें अपने विचारों और साहित्य में अभिव्यक्ति भी दी हैं। ओम बिरला ने कहाकि विद्वानों और छात्रों ने अपने शिक्षण एवं शोध कार्यों के जरिए भारत और उज्बेकिस्तान के ऐतिहासिक संबंधों को औरभी अधिक मजबूत किया है। उन्होंने विद्वानों को जरूरत पड़ने पर भारतीय दूतावास से सहायता लेने केलिए प्रोत्साहित किया। ओम बिरला ने उज्बेकिस्तान में हिंदी भाषा सीखने वाले इंडोलॉजिस्ट और छात्रों केसाथ बातचीत के दौरान ये टिप्पणियां कीं।
स्पीकर ओम बिरला ने उल्लेख कियाकि अनेक भारतविदों को उनकी राजनयिक गतिविधियों केलिए भारत तथा अन्य देशों से सर्वोच्च पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। उन्होंने बतायाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी यात्रा के दौरान उज्बेकिस्तान के शिक्षकों द्वारा तैयार उज्बेक-हिंदी शब्दकोश का विमोचन किया था। ओम बिरला ने 21वीं सदी को गढ़ने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए कहाकि उज्बेकिस्तान जैसे मित्र देशों केसाथ सामूहिक विकास और सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहाकि पर्यावरण, भाषा, संस्कृति, शिक्षा के क्षेत्र में जुड़कर परस्पर समझ को व्यापक रूपसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए। ओम बिरला ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उज्बेकिस्तान में भारतीय फिल्मों और संगीत की लोकप्रियता पर प्रकाश डाला था और याद दिलाया थाकि वर्ष 2012 में उज्बेक रेडियो ने हिंदी में प्रसारण के 50 वर्ष पूरे किए हैं। ओम बिरला ने कहाकि भारत और उज्बेकिस्तान इतिहास की अलग-अलग राह पर चलते हुए भी विकास के मार्ग पर अग्रसर हैं, दोनों देशों केबीच सहयोग का लंबा इतिहास है।
ओम बिरला ने याद दिलायाकि उज्बेकिस्तान की स्वतंत्रता केबाद भारत इसकी संप्रभुता को स्वीकार करनेवाले पहले देशों में से एक था। उन्होंने आशा व्यक्त कीकि दोनों देश 21वीं सदी में विश्वव्यापी मानवीय मूल्यों, शांति, स्थिरता, प्रगति और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। ओम बिरला ने संतोष व्यक्त कियाकि भारत और उज्बेकिस्तान ने राजनीति, व्यापार, निवेश, रक्षा, सुरक्षा, आतंकवादरोधी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्रमें सहयोग को मजबूत किया है। ओम बिरला ने उज्बेकिस्तान की ओली मजलिस के लेजिसलेटिव चैम्बर के स्पीकर नूरदिनजन इस्माइलोव केसाथ द्विपक्षीय वार्ता की। ओम बिरला ने भारत की चुनाव प्रबंधन प्रणाली की पारदर्शिता और कुशलता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि पारदर्शिता केसाथ इतने बड़े पैमाने पर चुनाव प्रक्रिया का सफल संचालन भारत की प्रभावी कुशल प्रबंधन प्रणाली को दर्शाता है।
ओम बिरला ने कहाकि भारत ने स्वतंत्रता केबाद से नागरिकों की अधिकाधिक और सक्रिय भागीदारी के बल पर ही लोकतंत्र के माध्यम से अभूतपूर्व विकास किया है। ओम बिरला ने साझा हितों और सरोकारों के मामलों पर विचारों के आदान-प्रदान केलिए दोनों देशों की संसदों केबीच निरंतर सहयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि भारत और उज्बेकिस्तान केबीच संसदीय शिष्टमंडलों की यात्राओं और संसदीय कूटनीति से न केवल दोनों देशों केबीच संसदीय सहयोग बढ़ेगा, बल्कि भारत और उज्बेकिस्तान के लोगों केबीच आपसी संपर्क और सद्भाव भी बढ़ेगा।

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