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इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में 'अयोध्या पर्व'

प्रभु श्रीराम के जीवन पर कलाकृतियों की प्रदर्शनी का उद्घाटन

तीन दिवसीय सांस्कृतिक समारोह का भव्यता के साथ शुभारंभ

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Saturday 12 April 2025 04:52:41 PM

'ayodhya festival' at indira gandhi national center for the arts

नई दिल्ली। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में तीन दिवसीय सांस्कृतिक समारोह 'अयोध्या पर्व' का भव्यता केसाथ शुभारंभ किया गया है, इसमें तीन उल्लेखनीय प्रदर्शनियों में 'वाल्मीकि रामायण' पर आधारित पद्मश्री वासुदेव कामथ की पहाड़ी लघु चित्रों की प्रदर्शनी में ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ भगवान श्रीराम की पेंटिंग्स प्रदर्शित की गई हैं और 'बड़ी है अयोध्या' विषयगत प्रदर्शनी में चौरासी कोस अयोध्या के तीर्थ को दर्शाया गया है। प्रदर्शनियों का उद्घाटन अयोध्या के मणि रामदास छावनी के महंत कमल नयन दास, गीता मनीषी महामंडलेश्वर ज्ञानानंद, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, आईजीएनसीए के अध्यक्ष रामबहादुर राय और आईजीएनसीए के न्‍यासी एवं कलाकार वासुदेव कामथ ने संयुक्त रूपसे किया। इस अवसर पर भगवान श्रीराम और अयोध्या की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक श्रेष्ठता पर विचार साझा किए गए। उद्घाटन सत्र में तीन पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने प्रदर्शनियों का अवलोकन किया और अयोध्या पर्व आयोजन केलिए आईजीएनसीए और अयोध्या न्यास को बधाई दी।
संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस अवसर पर कहाकि भगवान श्रीराम के चरित्र ने न केवल भारतीय चिंतन और विभिन्न क्षेत्रोंमें काम करनेवाले व्यक्तियों को प्रेरित किया है, अपितु भारतीय संस्कृति के अविरल प्रवाह को बनाए रखने केलिए आवश्यक ऊर्जा और दिशा भी प्रदान की है। उन्होंने कहाकि विदेशी आक्रांताओं के सांस्कृतिक आक्रमण के सबसे कठिन दौर में गोस्वामी तुलसीदास ने आम लोगों की सामूहिक चेतना से जुड़ते हुए आम लोगों की भाषा में 'रामचरितमानस' की रचना की। उन्होंने कहाकि इसने सनातन संस्कृति के सार को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहाकि श्रीराम मंदिर की पुनः स्थापना और रामलला के अयोध्या धाम में वापस आने केबाद से ऐसा लग रहा है जैसे भारत के भाग्य का सूर्य एकबार पुन: उदय होने लगा है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत राजकुमार झा, उनके साथी कलाकार विनोद व्यास और पंकज ने मनमोहक मृदंग वादन से की। इसके बाद प्रज्ञा पाठक, विनोद व्यास, साकेत शरण मिश्र और उनके साथ आए गायकों ने भक्तिमय प्रस्तुतियां देकर दर्शकों का मन मोह लिया।
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 22 जनवरी को नवनिर्मित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के उद्घाटन के बारेमें कहाकि मैं 22 जनवरी को केवल एक तारीख के रूपमें नहीं, अपितु एक ऐसे सेतु के रूपमें देखता हूं, जो अतीत को वर्तमान से जोड़ता है। उन्होंने कहाकि यह केवल एक प्राचीन शहर और तीर्थस्थल का पुनरुद्धार नहीं है, अपितु सदियों से भारत द्वारा अनुभव की गई आध्यात्मिक जागृति है। उन्होंने कहाकि उनका मानना हैकि अयोध्या का महत्व भूगोल से परे है, यह आनंद और जागृति की कुंजी है, हमारी सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है और एक मार्गदर्शक आध्यात्मिक शक्ति है। उन्होंने कहाकि अयोध्या ने लंबे समय से भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक नींव के रूपमें काम किया है। युवाओं को संबोधित करते हुए मनोज सिन्हा ने कहाकि अयोध्या न केवल आध्यात्मिक शिखर प्रदान करती है, अपितु यह व्यक्ति के मूल्यों और आकांक्षाओं का भी स्पष्ट रूपसे प्रतीक है। उन्होंने कहाकि राम राज्य के संदर्भ में भगवान श्रीराम को विकास, साहस, न्याय और जीवंत धर्म के अवतार के रूप में देखा जाता है, यद्यपि वे त्रेता युग में प्रकट हुए थे, फिरभी वे सुशासन के दूरदर्शी व्यक्ति बने हुए हैं।
आईजीएनसीए के अध्यक्ष रामबहादुर राय ने अयोध्या पर्व की महत्‍ता को रेखांकित करते हुए कहाकि अयोध्या का संदेश पुस्तकों और पत्रिकाओं के माध्यम से तेजीसे संरक्षित किया जा रहा है। विमोचित पुस्तक 'चौरासी कोस का अयोध्या' का उल्‍लेख करते हुए उन्होंने कहाकि भौतिक अयोध्या भलेही 84 कोस तक सीमित हो, परंतु आध्यात्मिक अयोध्या आकाश की तरह अनंत है। गीता मनीषी ज्ञानानंद ने कहाकि भारत परंपराओं का देश है और इन परंपराओं में त्योहारों का विशेष स्थान है। उन्होंने कहाकि भारत केवल एक भौगोलिक इकाई नहीं है, यह एक दर्शन है, एक विचार है। महंत कमल नयन दास ने पूछाकि वेदों के किस श्लोक में छुआछूत या भेदभाव का उल्लेख है? उन्होंने कहाकि सामाजिक समरसता के बिना ज्ञान पूरा नहीं हो सकता। उद्घाटन सत्र का समापन फैजाबाद के पूर्व सांसद लल्लू सिंह के धन्यवाद ज्ञापन केसाथ हुआ। उल्लेखनीय हैकि अयोध्या पर्व अयोध्या के आसपास केंद्रित भारतीय संस्कृति, कला, भक्ति की भव्यता को समर्पित है। इसमें विभिन्न संवाद और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी, इसको श्रद्धा, परम्‍परा और प्रवचन के संगम के रूपमें देखा जा रहा है, जिसमें देशभर के संत, सांस्कृतिक विचारक, नेता, विद्वान और कलाकार एकसाथ शामिल हो रहे हैं।
'भारतीय समाज में मंदिर प्रबंधन' विषय पर 12 अप्रैल हुई संगोष्ठी में अयोध्या के प्रमुख संत, प्रशासनिक और सांस्कृतिक विशेषज्ञ शामिल हुए। इसीदिन एक अन्य सत्र में 'गोस्वामी तुलसीदास का भारतीय संस्कृति में नवाचारों में योगदान' पर चर्चा हुई। दोनों सत्रों में भारतभर से विद्वानों ने अपने विचार प्रस्तुत रखे। सांस्कृतिक कार्यक्रम में एकल तबला वादन और ऋचा त्रिपाठी तथा उनके साथ आए कलाकारों ने कथक और भरतनाट्यम प्रस्तुत किया। अंतिम दिन 13 अप्रैल को प्रात: 11 बजे 'कुबेरनाथ राय के निबंधों में श्रीराम' विषय पर संगोष्ठी होगी, जिसमें हिंदी के जानेमाने विद्वान भाग लेंगे। समापन समारोह में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्‍यास के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि, मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नरेंद्रसिंह तोमर, आईजीएनसीए के अध्यक्ष रामबहादुर राय, आईजीएनसीए के डीन और कला निधि प्रभाग के प्रमुख प्रोफेसर रमेश चंद्र गौड़ और प्रख्यात कलाकार सुनील विश्वकर्मा उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम का समापन फौजदार सिंह और उनके साथियों के आल्हा गायन और प्रसिद्ध गायिका विजया भारती के लोकगीतों केसाथ होगा। गौरतलब हैकि अयोध्या पर्व भारतीय कला, आध्यात्मिकता और मूल्यों को पुनर्जीवित करने का एक अनूठा प्रयास है, जिसे आईजीएनसीए और अयोध्या न्यास के सहयोग से राजधानी में साकार किया जा रहा है। यह उत्सव रामायण और तुलसीदास के छंदों के माध्यम से भारतीय लोकाचार की जड़ों को पुनर्जीवित करने का प्रयास है।

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