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Saturday 10 August 2019 03:41:46 PM
नई दिल्ली। नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा, हिंसा का मार्ग छोड़ने और देश की मुख्यधारा में शामिल होते हुए भारत के संविधान का पालन करने के लिए सहमत हो गया है। इस संगठन ने अपने 88 सदस्यों के हथियार सहित आत्मसमर्पण करने पर भी सहमति जताई है। आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों को गृह मंत्रालय की आत्मसमर्पण-सह-पुनर्वास योजना 2018 के अनुसार आत्मसमर्पण लाभ दिया जाएगा। त्रिपुरा राज्य सरकार आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों को आवास, भर्ती और शिक्षा जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने में मदद करेगी। भारत सरकार त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों के आर्थिक विकास के संबंध में त्रिपुरा सरकार के प्रस्तावों पर भी विचार करेगी। भारत सरकार,त्रिपुरा और साबिर कुमार देबबर्मा के नेतृत्व में नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा यानी एनएलएफटी-एसडी के बीच आज एक समझौता हुआ है।
एनएलएफटी पर 1997 से गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत प्रतिबंध लगा हुआ है। यह संगठन अंतरराष्ट्रीय सीमापार स्थित अपने शिविरों से त्रिपुरा में हिंसा फैलाने जैसी गतिविधियों में शामिल रहा है। एनएलएफटी ने वर्ष 2005 से 2015 की अवधि के दौरान 317 उग्रवादी घटनाओं को अंजाम देते हुए हिंसक कार्रवाईयां की थीं,जिसमें 28 सुरक्षाबलों और 62 नागरिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। एनएलएफटी के साथ 2015 में प्रारंभ हुई शांति वार्ता के बाद से इस संगठन ने 2016 के बाद कोई हिंसक कार्रवाई नहीं की है। समझौता ज्ञापन पर गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वोत्तर) सत्येंद्र गर्ग,त्रिपुरा के अपर मुख्य सचिव (गृह) कुमार आलोक और एनएलएफटी (एसडी) के साबिर कुमार देबबर्मा और काजल देबबर्मा ने हस्ताक्षर किए। इसके पश्चात एनएलएफटी के प्रतिनिधियों ने नई दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी भेंट की।