स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Sunday 10 April 2022 04:06:51 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा हैकि भारत का परमाणु कार्यक्रम जीवन की गुणवत्ता में सुधार केलिए है नकि मानव जीवन को नुकसान पहुंचाने केलिए। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि भारत ने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग पर आधारित डॉ होमी भाभा के नेतृत्व में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की शुरुआत से अबतक एक लंबी यात्रा तय की है। उन्होंने कहाकि अब समय आ गया है कि डॉ भाभा की महान प्रतिज्ञा-'संकल्प से सिद्धि' को नवीनीकृत किया जाए। डॉ जितेंद्र सिंह यहां विज्ञान भवन में परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग की पुनर्गठित संयुक्त हिंदी सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि परमाणु ऊर्जा और विकिरण के अनुप्रयोगों ने बिजली उत्पादन, कृषि, चिकित्सा, स्वास्थ्य, खाद्य संरक्षण, उन्नत बीज किस्मों, जलशोधन तकनीकी, शहरी अपशिष्ट प्रबंधन तकनीकी, रेडियो आइसोटोप के औद्योगिक अनुप्रयोग और विशेष रूपसे पेट्रोलियम उद्योग में विकिरण तकनीकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, हालांकि उन्होंने चिंता जताई कि परमाणु ऊर्जा के अधिकांश सामाजिक अनुप्रयोगों के बारेमें लोगों को अधिक जानकारी नहीं है।
परमाणु ऊर्जा राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि गामा विकिरण तकनीकी का उपयोग बल्बों और ट्यूबों में अंकुरण रोकने, अनाज, दालों और अनाज में कीट संक्रमण रोकने, सूखे मसालों के सूक्ष्मजीव परिशोधन (स्वच्छता) आदि केलिए किया जाता है, इसके अलावा पूर्व निर्धारित विकिरण खुराकों को लागू करके संरक्षण/ शेल्फ जीवन विस्तार केलिए भी किया जाता है। उन्होंने कहाकि कोविड महामारी में परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) कोविड बीईईपी जैसे नए नवाचारों केसाथ सामने आया, जो कोविड-19 रोगियों केलिए भारत की पहली स्वदेशी, कम लागत वाली वायरलेस शारीरिक मापदंडों की निगरानी प्रणाली है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि टाटा सेंटर मुंबई देशभर में कई कैंसर अस्पताल चला रहा है, वह परमाणु ऊर्जा विभाग के तत्वावधान में काम करता है। उन्होंने बताया कि टाटा ट्रस्ट की सहायता से परमाणु ऊर्जा विभाग और टाटा मेमोरियल सेंटर मिलकर बिहार, असम तथा उत्तराखंड में अतिरिक्त इकाइयां लगा रहे हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने समिति और राजभाषा विभाग के सदस्यों से पेशेवर अनुवादकों के माध्यम से हिंदी तथा स्थानीय भाषाओं में उचित अनुवाद के जरिए अंतरिक्ष और परमाणु तकनीकी की उपलब्धियों को आम लोगों के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए कदम उठाने का आह्वान किया। उन्होंने हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों तथा साहित्य के यथोचित अनुवाद पर भी जोर दिया। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजभाषा विभाग, जो अमित शाह के नेतृत्व में गृह मंत्रालय का एक हिस्सा है, वह बड़े बदलाव का काम कर रहा है। उन्होंने कहाकि अब देखा जा रहा है कि केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में अधिकांश सरकारी काम हिंदी में हो रहे हैं। उन्होंने रेखांकित कियाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा युवाओं में विज्ञान के प्रति प्रेम को विकसित करने के लिए बड़े पैमाने पर विज्ञान संचार को बढ़ावा देने को लेकर स्थानीय भाषाओं के उपयोग पर बल देते हैं। उन्होंने इस बातपर जोर दिया कि भाषा बाधा नहीं बल्कि सुविधा देने वाली होनी चाहिए। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि आम लोगों केलिए 'जीवन की सुगमता' लाने केलिए विभिन्न क्षेत्रों में अंतरिक्ष तकनीकी को लागू किया जा रहा है।
इसरो के वैज्ञानिकों ने समिति की बैठक में कृषि, मृदा, जल संसाधन, भूमि उपयोग/ भूमि सुरक्षा, ग्रामीण विकास, पृथ्वी और जलवायु अध्ययन, भू-विज्ञान, शहरी और बुनियादी ढांचे, आपदा प्रबंधन सहायता, वानिकी और पारिस्थितिकी जैसे क्षेत्रों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के व्यापक अनुप्रयोग और निर्णय सहायता प्रणालियों को सक्षम करने केलिए एक उपकरण केरूप में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के बारेमें जानकारियां दीं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि हालके दिनोंमें कृषि क्षेत्र में नई क्रांति लाने केलिए ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। सलाहकार समिति के सदस्यों ने डॉ जितेंद्र सिंह को सूचित कियाकि इस साल मई से भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के कुछ पाठ्यक्रम हिंदी में पढ़ाए जाएंगे, चिकित्सा व पेशेवर वैज्ञानिक विशेषज्ञों के माध्यम से पूरे पाठ्यक्रम का अनुवाद करने का प्रयास किया जा रहा है।