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Wednesday 12 June 2019 03:06:11 PM
श्रीनगर/ नई दिल्ली। आयकर विभाग ने जम्मू-कश्मीर में फिर से कार्रवाई की है। आयकर विभाग ने श्रीनगर में एक प्रमुख व्यापार समूह के विरूद्ध जांच और जब्ती की बड़ी कार्रवाई की है, जिसमें श्रीनगर के 8 परिसर और बेंगलुरू तथा दिल्ली के 1-1 परिसर शामिल हैं। यह व्यापार समूह परिवहन, रेशम धागे के निर्माण, आतिथ्य, कश्मीर कला और शिल्पकला आदि के खुदरा व्यापार से जुड़ा हुआ है। इसका कोई भी सदस्य अपनी आयकर विवरणी नियमित रूपसे दाखिल नहीं करता है। एकबारगी निपटारे के तौरपर समूह ने जे एंड के बैंक से कुल 77 करोड़ रुपए के पुनर्निर्मित ऋण सहित 170 करोड़ रुपए के ऋण प्राप्त किए थे, जिनमें से अबतक जे एंड के बैंक को केवल 50.34 करोड़ रुपए का भुगतान किया है और शेष 27.66 करोड़ रुपए का भुगतान अबतक नहीं किया है।
आयकर विभाग को जांच के दौरान इस बात का साक्ष्य मिला है कि जे एंड के बैंक से ऋण का एकबारगी निपटारा जें एंड के बैंक के एक ऐसे वरिष्ठ अधिकारी की पहल पर किया गया था, जिसे बारी से पहले कई पदोन्नतियां मिली थीं। इसके अलावा इस बात का भी साक्ष्य मिला कि ऋण से संबंधित 50.34 करोड़ रुपए के ऋण वापसी एक ऐसे सागिर्द को उतनी ही धनराशि का ऋण देकर महज एक खानापूर्ति की है, जिसने इस पूरे लेन-देन में अपनी भूमिका को लेकर अपनी गलती कबूल की है। जांच के दौरान संबंधित गड़बड़ियों के साक्ष्य भी मिले हैं जैसे-बाईस करोड़ रुपए मूल्य की अघोषित संपत्ति की बिक्री, 9.10 करोड़ रुपए में परिवहन कारोबार को बेचने के लिए समझौता, लस्सीपोरा में शीत भंडार संयंत्र के विक्रय के कारण 15-20 करोड़ रुपए का अघोषित लाभ।
आयकर विभाग ने जांच के दौरान पाया है कि सरकार से अधिक सब्सिडी पाने के लिए फर्जी बिलों से इस परियोजना की वास्तविक लागत 17 करोड़ की जगह उसे बढ़ाकर 47 करोड़ रुपए दिखाया गया है। इस परियोजना के लिए जे एंड के बैंक से ऋण लिया गया था। जांच के दौरान पता चला कि सोनमर्ग में 2.68 करोड़ रुपए, पहलगाम में 3.55 करोड़ रुपए और बेंगलुरू में 1 करोड़ रुपए की अघोषित संपत्तियां, दिल्ली में साझेदारी के तहत 1.02 करोड़ रुपए में एक दुकान खरीदी गई थी। फिलहाल आयकर विभाग ने जांच के दौरान डिजिटल साक्ष्य जब्त कर लिए हैं, जिसके विश्लेषण के बाद व्यापार समूह पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।