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Tuesday 13 October 2020 01:38:52 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने गौमाया गणेश अभियान की प्रतिक्रिया से उत्साहित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर गणेश महोत्सव के लिए मूर्तियों के निर्माण में पर्यावरण के अनुकूल सामग्री के उपयोग को प्रोत्साहित किया है। राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने इस वर्ष दीपावली त्योहार पर कामधेनु दीपावली अभियान मनाने का अभियान शुरु किया है, जिसके माध्यम से आरकेए इस दिवाली महोत्सव के दौरान गाय के गोबर व पंचगव्य उत्पादों के व्यापक उपयोग को बढ़ावा दे रहा है। दिवाली उत्सव के लिए गोबर आधारित दीयों, मोमबत्तियों, धूप, अगरबत्ती, शुभ-लाभ, स्वस्तिक, समरणी, हार्डबोर्ड, वॉल-पीस, पेपर-वेट, हवन सामग्री, भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की मूर्तियों का निर्माण पहले ही शुरु हो चुका है।
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का लक्ष्य इस वर्ष दीपावली पर 11 करोड़ परिवारों में गाय के गोबर से बने 33 करोड़ दीयों को प्रज्वलित करना है। अबतक प्राप्त प्रतिक्रिया बहुत उत्साहजनक है और लगभग 3 लाख दीयों को केवल अयोध्या में ही प्रज्वलित किया जाएगा और 1 लाख दीये पवित्र शहर वाराणसी में जलाए जाएंगे। हजारों गाय आधारित उद्यमियों, किसानों एवं महिला उद्यमियों को व्यवसाय के अवसर पैदा करने के अलावा गाय के गोबर से बने उत्पादों के उपयोग से स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण भी मिलेगा। यह गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद करेगा। राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का कहना है कि चीन निर्मित दीयों का पर्यावरण अनुकूल विकल्प प्रदान करके यह अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया की परिकल्पना और अभियान को बढ़ावा देगा और पर्यावरणीय क्षति को कम करते हुए स्वदेशी आंदोलन को भी प्रोत्साहन देगा।
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग इस वर्ष की दीपावली में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं के निर्माण में गाय के गोबर के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करने और बढ़ावा देने के लिए वेबिनार की एक श्रृंखला के माध्यम से विभिन्न हितधारकों के साथ बातचीत कर रहा है। उसने देशभर में गौशालाओं में कामधेनु दीपावली से संबंधित वस्तुओं के उत्पादन और सुविधा के साथ देशव्यापी विपणन योजना लिए हर जिले में अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से अपनी उपस्थिति बढ़ाई है। कामधेनु दीपावली अभियान को बड़े पैमाने पर सफल बनाने के लिए किसानों, निर्माताओं, उद्यमियों, गौशालाओं और अन्य संबंधित हितधारकों के विभिन्न खंडों को बड़े पैमाने पर शामिल किया जा रहा है। आरकेए ने प्रधानमंत्री की अपील पर इस साल के गणेश महोत्सव के लिए भगवान गणेश की मूर्तियों के निर्माण में पर्यावरण के अनुकूल सामग्री का उपयोग करने के लिए सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों पर एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरु किया था। इसने डेयरी किसानों, बेरोज़गार युवाओं, महिलाओं और युवा उद्यमियों, गौशालाओं, गोपालकों, स्वयं सहायता समूहों आदि हितधारकों में काफी रुचि पैदा की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का गठन गायों और गौवंश के संरक्षण, सुरक्षा और विकास तथा पशु विकास कार्यक्रम को दिशा प्रदान करने के लिए किया है। मवेशियों से संबंधित योजनाओं के बारे में नीति बनाने और कार्यांवयन को दिशा प्रदान करने के लिए आरकेए एक उच्चशक्ति वाला स्थायी निकाय है, ताकि आजीविका उत्पादन पर अधिक जोर दिया जा सके। पशुधन अर्थव्यवस्था का निर्माण ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 73 मिलियन घरों में होता है। भारत भले ही दूध का सबसे बड़ा उत्पादक है, इसके बावजूद भारत में औसत दूध का उत्पादन दुनिया के औसत का केवल 50 प्रतिशत है। कम उत्पादकता मुख्य रूपसे आनुवंशिक स्टॉक में गिरावट, खराब पोषण और अवैज्ञानिक प्रबंधन के कारण है।
गाय एवं गाय आधारित कृषि और गाय आधारित उद्योग के बारे में प्रवृत्ति को बदल दिया जाना चाहिए तथा ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूपसे गरीब समाज के सामाजिक और आर्थिक कायाकल्प के लिए तुरंत इसे ठीक करने की आवश्यकता है। गौ-केंद्रित अर्थव्यवस्था अपना योगदान देकर इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद कर सकती है। इस उद्देश्य के लिए आरकेए किसानों, गौपालकों, युवाओं, महिलाओं, स्व-सहायता समूहों और अन्य हितधारकों की आय बढ़ाने के लिए विभिन्न गाय-पंचगव्य उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।