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Tuesday 10 November 2020 11:42:24 AM
महेंद्रगढ़ (हरियाणा)। भारतीय सेना से रिटायर्ड सैनिक परमजीत का अनुभव अपने गांव के जल प्रबंधन में बड़ा काम आया। सेना की सेवा के बाद अपने गांव के सरपंच हुए परमजीत का सबसे पहले गांव में पेयजल के खराब प्रबंधन से ही सामना हुआ। हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के इस सर्वाधिक विकसित गांव कोथल खुर्द में सारी सुविधाएं होते हुए भी पानी की समस्या थी। लोगों को नल का साफ पानी मिले, एक सैनिक की ही तरह उसने इसे अपना मिशन बनाया और प्रयासों के बाद इसे कर दिखाया। कोथल खुर्द गांव आज न केवल पेयजल से समृद्ध है, अपितु एक शानदार जल प्रबंधन का भी उदाहरण बन गया है। परमजीत जब सेवानिवृत्ति के बाद अपने गांव पहुंचा तो उसने देखा था कि सब कुछ होने के बावजूद गांव में पानी की समस्या है, जिसका कारण खराब जल प्रबंधन है, गांव में पानी की पाइपलाइन है, लेकिन नियमित आपूर्ति नहीं है, गांव के लोगों में जागरुकता में कमी के कारण पानी बर्बाद हो जाता है, इसके अलावा बड़ी संख्या में अवैध कनेक्शन के कारण भी पेयजल की स्थिति और बदतर होती जा रही है। ऐसे में परमजीत को जल जीवन मिशन ने जल प्रबंधन की सही राह दिखाई और सफलता मिली।
भारत सरकार के जल जीवन मिशन का लक्ष्य है कि वर्ष 2024 तक देश के हर गांव घर में पानी का पाइपयुक्त कनेक्शन पहुंचाना है, जिससे सभी को साफ पानी मिल सके। इस लक्ष्य की सफलता इसी बात पर निर्भर है कि इसमें कितना जनसहयोग प्राप्त होता है। अनुभव में आया है कि अधिकांश लोग यही सोचते हैं कि जनसुविधाओं को लाने और उनके रखरखाव काम भी सरकार का ही है। गांव का सरपंच चुने जाने के बाद परमजीत ने इसकी व्यवहारिक कठिनाईयों और गांववासियों की जिम्मेदारी और जल जीवन मिशन के फायदे को समझा समझाया एवं एक सैनिक की तरह उसे अपने गांव में लागू करने की रणनीतियों पर काम किया। सार्वजनिक स्वास्थ्य और इंजीनियरिंग विभाग के सहयोग से उसने एक गहन सर्वेक्षण कराने के बाद पूरा एक्शन प्लान बनाया। सर्वेक्षण में पाया गया कि गांव के 342 घरों में से 145 घरों में पानी का अवैध कनेक्शन था, जबकि गलियों में लगाई गईं पानी की 115 टोटियां टूटी हुई थीं, जिनसे पानी बर्बाद हो रहा था। इसके अलावा 60 फीसदी घरों में पानी का कोई कनेक्शन नहीं था।
सैनिक और सरपंच परमजीत ने इसके बाद जल जीवन मिशन के तहत एक समग्र योजना बनाई, जिसमें सूचना, शिक्षा और संचार के तरीकों को शामिल किया। इस योजना के तहत गावों के लोगों को जल प्रबंधन के लिए जागरुक किया गया। इस अभियान का परिणाम था कि गांव वाले न केवल पाइप वाले पानी का कनेक्शन लगाने को तैयार हुए, बल्कि स्वयं उसकी देखभाल और निगरानी करने के लिए भी राजी हुए। हरियाणा के सभी गांवों में चलाए जा रहे पानी और स्वच्छता सहयोग संगठन (वॉटर एंड सैनिटेशन सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन) के सहयोग से प्रशिक्षण कार्यक्रम कोथल खुर्द में आयोजित किया गया। गांव के लोगों को पानी के संरक्षण की तकनीकी की जानकारी दी गई। गांव के युवाओं को जागरुकता अभियान में हिस्सेदार बनाया गया। कोथल खुर्द में पानी की बर्बादी को रोकने के लिए हर घर में सर्वेक्षण किया गया। यह एक सैनिक और सरपंच के प्रयासों का ही नतीजा था कि गांव के सभी वर्गों के लोग उनसे जुड़ते चले गए और गांव की इस बड़ी समस्या का समाधान हुआ।
कोथल खुर्द गांव में मौजूदा समय में 2300 की आबादी है। गांव में 4 मौसमी तालाब, 14 सोख्ते वाले गड्ढे हैं। गांव में 200 नए पानी के कनेक्शन दिए गए हैं, 345 कनेक्शन लगाए गए। इसके अलावा 230 टोटियों की मरम्मत की गई, जिससे पानी की बर्बादी नहीं होने पाए। कोथल खुर्द गांव में जमीन के अंदर पानी के भंडारण और भू-जल स्तर को बढ़ाने के लिए भी एक तालाब बनाया गया है। वर्षाकाल में बारिश और नहर का पानी तालाब को पूरी तरह से भर देता है, जिससे भू-जल स्तर में 40 फुट की बढ़ोतरी हुई है। इससे भू-जल स्तर 290 फुट से बेहतर होकर 250 फुट पर पहुंच गया है। इस उल्लेखनीय सफलता पर महेंद्रगढ़ के कमिश्नर ने कोथल खुर्द गांव के मेरा गांव स्वच्छ गांव योजना के तहत सम्मानित भी किया। यह सम्मान बेहतर जल प्रबंधन के लिए दिया जाता है। जब पूरे देश में लॉकडाउन था, पानी से संबंधित काम गांव में होते रहे और हर पानी के कनेक्शन को आधार से लिंक कर दिया गया है। परमजीत का मानना है कि जल प्रबंधन की लड़ाई अभी जीती नहीं गई है, ऐसे में वह उसे जीतने के लिए आगे की योजना पर काम कर रहे हैं।
जल जीवन मिशन पानी की नियमित आपूर्ति और पूरी जल व्यवस्था के रख-रखाव के लिए सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देता है, इसके लिए हर गांव को एक ईकाई माना गया है, जिसके पास जल सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है। हर गांव के लिए जरूरी है कि वह स्थानीय सामुदायिक भागीदारी के साथ पांच साल की योजना बनाए। उसे गांव में पानी की आपूर्ति के लिए जरूरी संसाधन को तैयार करने में न केवल सहयोग करना होगा, बल्कि उसके रख-रखाव की भी जिम्मेदारी संभालनी होगी। इसमें गंदे पानी का ट्रीटमेंट कर दोबारा इस्तेमाल करना भी शामिल है। ऐसा कर हर परिवार को पीने के पानी की आपूर्ति लंबे समय के लिए सुनिश्चित हो पाएगी। आने वाले समय में गांव के लोगों से यह भी उम्मीद है कि वह नई चुनौतियों और मुद्दों को पहचान कर उनको दूर करने के लिए जरूरी संसाधनों का इस्तेमाल करेंगे। गांव से संबंधित मनरेगा, जलजीवन मिशन, एसबीएम (जी), 15 वें वित्त आयोग के तहत पीआरआई को मिलने वाले अनुदान, डीएमडीएफ, सांसद और विधायक निधि फंड, सीएसआर फंड, सामुदायिक सहयोग से मिलने वाली पूंजी का इस्तेमाल किया जा सकेगा। कोथल खुर्द सामुदायिक सहयोग के जरिए योजना, क्रियान्वयन, परिचालन और रख-रखाव का बेहतरीन उदाहरण बना है, जो यह सिखाता है कि कैसे लोगों को सेवाओं के लिए भागीदार बनाया जा सकता है और उनसे बेहतरीन परिणाम हासिल किए जा सकते हैं।