स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 15 March 2021 12:31:29 PM
सोनभद्र। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि हमारी कोशिश यह होनी चाहिए कि वनवासी आधुनिक विकास प्रक्रिया के अंतरंग हिस्सा बने रहें और अपनी सांस्कृतिक विरासत एवं पहचान अक्षुण्ण बनाए रखें। राष्ट्रपति ने सोनभद्र के चापकी में वनवासी समागम में भाग लिया और सेवा कुंज आश्रम के नवनिर्मित भवनों का उद्घाटन किया। भगवान बिरसा मुंडा को याद करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि बिरसा मुंडा अंग्रेजों के शोषण से वन संपदा और संस्कृति की रक्षा के लिए निरंतर संघर्ष करते रहे, उनका जीवन न केवल जनजातीय समुदायों के लिए, बल्कि सभी नागरिकों के लिए भी प्रेरणा और आदर्श का स्रोत है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि सेवा कुंज आश्रम के नवनिर्मित भवनों का उद्घाटन कर प्रसन्न हैं। उन्होंने कहा कि एनटीपीसी ने स्कूल और छात्रावास भवनों का निर्माण किया है, जिसके लिए उन्होंने एनटीपीसी की सराहना की। उन्होंने विश्वास जताया कि नवनिर्मित भवन और अन्य सुविधा केंद्र इस संस्थान के छात्रों के सर्वांगीण विकास में योगदान देंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि उनका मानना है कि देश की आत्मा ग्रामीण और वन क्षेत्रों में बसती है, यदि कोई भारत की जड़ों से परिचित होना चाहता है तो उसे सोनभद्र जैसे स्थान पर कुछ समय व्यतीत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ग्रामीण या वनवासी समुदायों के विकास के बिना देश के समग्र विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है, वास्तव में उनके विकास के बिना देश का विकास अपूर्ण है, इसलिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारें ग्रामीण और वनवासियों के समुदायों के समग्र विकास के लिए विभिन्न योजनाओं को कार्यांवित कर रही हैं।
राष्ट्रपति ने इस तथ्य की सराहना की कि वनवासी अपने पूर्वजों से प्राप्त सहज ज्ञान की परंपरा को जीवित रखे हुए हैं और इसे आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि से लेकर कला और शिल्प तक, प्रकृति के साथ उनकी समरसता प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित करती है। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश को झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार और मध्य प्रदेश से जोड़ने वाला सोनभद्र क्षेत्र आधुनिक विकास का एक प्रमुख केंद्र बनेगा। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश यह होनी चाहिए कि वनवासी आधुनिक विकास प्रक्रिया का हिस्सा बने रहें और अपनी सांस्कृतिक विरासत और पहचान अक्षुण्ण बनाए रखें। राष्ट्रपति ने खुशी जाहिर की कि सेवा सम्मान आश्रम क्षीण हो रही लोक कलाओं को पुनर्जीवित करने और लोक भाषाओं एवं गीतों को संरक्षित करने के लिए प्रयास कर रहा है। समागम में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित थे।