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Saturday 19 June 2021 06:31:28 PM
नई दिल्ली। स्विट्ज़रलैंड में भारतीयों के रखे गए कथित काले धन के बारे में समाचार माध्यमों में आई खबरों का भारत के वित्त मंत्रालय ने खंडन किया है। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि जमाराशियों में हुई वृद्धि या कमी को सत्यापित करने के लिए स्विस अधिकारियों से सूचना मांगी गई है। मीडिया में 18 जून 2021 को कुछ ऐसी ख़बरें सामने आई हैं, जिनमें यह कहा गया है कि दो साल की गिरावट की प्रवृत्ति को पलटते हुए स्विस बैंकों में भारतीयों की धनराशि 2019 के अंत में 6,625 करोड़ रुपये यानी सीएचएफ 899 मिलियन से बढ़कर 2020 के अंत में 20,700 करोड़ रुपये यानी सीएचएफ 2.55 बिलियन हो गई है। खबरों में यह भी कहा गया है कि यह आंकड़ा पिछले 13 साल में जमा होने वाली राशि में सबसे अधिक भी है।
भारतीय वित्त मंत्रालय ने कहा है कि मीडिया में आई ऐसी खबरें इस तथ्य की ओर इशारा करती हैं कि खबरों में शामिल किए गए आंकड़े बैंकों द्वारा स्विस नेशनल बैंक यानी एसएनबी को बताए गए आधिकारिक आंकड़े हैं और वे स्विट्जरलैंड में भारतीयों के कथित काले धन की मात्रा का संकेत नहीं देते हैं। वित्त मंत्रालय का कहना है कि इसके अलावा इन आंकड़ों में वह पैसा शामिल नहीं है जो भारतीयों, एनआरआई या अन्य लोगों ने स्विस बैंकों में किसी तीसरे देश की संस्थाओं के नाम पर रखा हो सकता है, हालांकि 2019 के अंत से ग्राहकों की जमा राशि में वास्तव में गिरावट आई है। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि प्रत्ययी संस्थाओं के माध्यम से रखे गए धन में भी 2019 के अंत से आधे से अधिक की कमी हो गई है, सबसे बड़ी वृद्धि ग्राहकों की ओर से देय अन्य राशि में हुई है और ये धन बांड, प्रतिभूतियों और विभिन्न अन्य वित्तीय साधनों के रूपमें हैं।
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि यहां यह बताना उचित होगा कि भारत और स्विटजरलैंड कर मामलों में पारस्परिक प्रशासनिक सहायता से संबंधित बहुपक्षीय सम्मेलन के हस्ताक्षरकर्ता हैं और दोनों देशों ने बहुपक्षीय सक्षम प्राधिकार समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत दोनों देशों के बीच कैलेंडर वर्ष 2018 और उससे आगे की अवधि के लिए सालाना आधार पर वित्तीय खाते की जानकारी साझा करने के लिए सूचना के स्वत: आदान-प्रदान की व्यवस्था सक्रिय है। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि दोनों देशों के बीच प्रत्येक देश के निवासियों से संबंधित वित्तीय खाते की जानकारी का आदान-प्रदान 2019 के साथ-साथ 2020 में भी हुआ है। वित्तीय खातों की जानकारी के आदान-प्रदान की मौजूदा कानूनी व्यवस्था जिसका विदेशों में अघोषित परिसंपत्तियों के जरिए होने वाली कर चोरी पर एक महत्वपूर्ण निवारक प्रभाव है को देखते हुए भारतीय निवासियों की अघोषित आय से स्विस बैंकों में जमा में वृद्धि की कोई महत्वपूर्ण संभावना नहीं दिखाई देती है।
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि इसके अलावा कारक जमाराशियों में हुई वृद्धि की प्रभावी तरीके से व्याख्या कर सकते हैं जैसे-व्यापारिक लेनदेन में वृद्धि के कारण स्विट्जरलैंड में स्थित भारतीय कंपनियों द्वारा जमा राशि में वृद्धि, भारत में स्थित स्विस बैंक की शाखाओं के कारोबार के कारण जमा में वृद्धि, स्विस और भारतीय बैंकों के बीच अंतर-बैंक लेनदेन में वृद्धि, भारत में स्थित किसी स्विस कंपनी की सहायक कंपनी की पूंजी में वृद्धि और बकाया डेरिवेटिव वित्तीय लिखतों से जुड़ी देनदारियों में वृद्धि। वित्त मंत्रालय ने मीडिया की खबरों के आलोक में स्विस अधिकारियों से जमाराशि में वृद्धि या कमी के संभावित कारणों के बारे में अपनी राय के साथ उपयुक्त तथ्य प्रदान करने का अनुरोध किया है।