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खगोलशाला क्षुद्रग्रह खोज अभियान-2021

जवाहर नवोदय विद्यालयों के सोलह छात्रों ने खोजे आठ क्षुद्रग्रह

वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय और स्पेस फाउंडेशन का अभियान

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Wednesday 28 July 2021 06:29:58 PM

sixteen students of jawahar navodaya vidyalayas discovered eight asteroids

नई दिल्ली। जवाहर नवोदय विद्यालयों के सोलह छात्रों के खगोलशाला क्षुद्रग्रह खोज अभियान-2021 के तहत खोजे गए आठ क्षुद्रग्रहों को इंटरनेशनल ऐस्ट्रनॉमिकल सर्च कोलाबरेशन ने प्रोविजनल स्टेटस प्रदान किया है। खगोलशाला क्षुद्रग्रह खोज अभियान या केएएससी, जवाहर नवोदय विद्यालयों के छात्रों को क्षुद्रग्रहों का पता लगाने केलिए प्रशिक्षित करता है। यह अभियान प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय भारत सरकार और स्पेस फाउंडेशन की एक पहल है। हार्डिन-सीमन्स विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल ऐस्ट्रनॉमिकल सर्च कोलाबरेशन ने अनंतिम खोजों की पुष्टि करते हुए अपनी स्वीकृति भेजी है। हालांकि क्षुद्रग्रहों का दस्तावेजीकरण होने में वर्षों लगेंगे और खोजकर्ता उन्हें नाम दे सकते हैं, लेकिन आठ क्षुद्रग्रहों को स्थिति का सफलतापूर्वक पता लगाना और उन्हें प्रोविजनल स्टेटस मिलना युवा छात्रों केलिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह प्रक्रिया छात्रों केलिए अंतरिक्ष वैज्ञानिकों, खगोलविदों और अंतरिक्ष यात्रियों के साथ बातचीत करने के कई अवसर प्रदान करेगा।
क्षुद्रग्रह के नामकरण केलिए प्रारंभिक पहचान के चरणों की सूची में एक नए क्षुद्रग्रह का पहला, मूल अवलोकन, अगले 7-10 दिन के भीतर क्षुद्रग्रह को दूसरी बार देखा जाना चाहिए। यदि ऐसा है तो माइनर प्लैनेट सेंटर द्वारा डिटेक्शन को प्रोविजन स्टेटस दिया जाता है। प्रोविजनल स्टेटस के साथ क्षुद्रग्रह का पता लगाने केलिए एमपीसी डेटाबेस में कई वर्षों तक बरकरार रखा जाता है, जबतक कि कक्षा को पूरी तरह से निर्धारित करने केलिए पर्याप्त संख्या में अवलोकन न हो जाएं। उस प्रक्रिया में आमतौर पर 6-10 साल लगते हैं, जिस बिंदु पर क्षुद्रग्रह को अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ ने क्रमांकित और सूचीबद्ध करता है। गिने हुए क्षुद्रग्रहों का नाम उनके खोजकर्ता वैज्ञानिक रख सकते हैं। छात्रों को हवाई में 'पैनस्टारआरएस' यानी पैनोरमिक सर्वे टेलीस्कोप और रैपिड रिस्पांस सिस्टम टेलीस्कोप से रीयल-टाइम डेटा प्राप्त होता है। वे इन छवियों को विश्लेषण करने और क्षुद्रग्रहों का पता लगाने केलिए उन्नत डेटा एनालिटिक्स में प्रशिक्षित होते हैं। यह ज्ञान रियल टाइम रिसर्च केलिए होना बहुत जरूरी है। यह अभियान जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (पासाडेना, सीए) में नासा नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट कार्यक्रम में योगदान देता है।
खगोलशाला क्षुद्रग्रह खोज अभियान-2021 में अनंतिम खोजकर्ता हैं-2021 बीए11 पी11सीबीई7 बी दास, एस सिंह जेएनवी अनूपपुर-1 इंडिया प्रोविजनल 01/16/21 एनईएच5432, 2021 एडब्ल्यू20 पी11बीएलबीएच ए त्रिपाठी, बी दत्ता जेएनवी अनूपपुर-2 इंडिया प्रोविजनल 01/09/21 एसबीआर0052, 2021 6 पी11डीजीआईएस आई शुक्ला जेएनवी सोनभद्र इंडिया प्रोविजनल 02/12/21 एसएसआई1234, सीए25 पी11सीसीएक्सएफ एस सिंह, ए शारदा टीम जेएनवी ऊना-1 इंडिया प्रोविजनल 02/07/21 सीवीआर2802, 2021 सीएफ30 पी11सीसीएक्सएस पी नंदन, एच समीर टीम एल ब्रदर्स इंडिया प्रोविजनल 02/07/21 पीआरवाई2021, 2021 सीबी18 पी11सीजे2जेड ए कुमार, एस कुमार टीम क्यूरियस माइंड इंडिया प्रोविजनल 02/08/21 एकेएस9878, 2021 सीवाई25 पी11डीएचटीडी एस कुर्रे, ए साहू टीम शुभाश इंडिया प्रोविजनल 02/12/21 ओओएम0000, 2021 सीएस23 पी11डीजीजे4 एल गौड़ा टीम आर्यभट्ट-7 इंडिया प्रोविजनल 02/12/21 जेएनवी0010। स्पेस फाउंडेशन की स्थापना 2001 में विज्ञान को लोकप्रिय बनाने और भारत में विशेष रूपसे छात्रों के बीच वैज्ञानिक भावना को विकसित करने केलिए की गई थी। स्पेस फाउंडेशन भारत में विज्ञान और खगोल विज्ञान शिक्षा एवं नवाचार पर विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से नागरिकों को वैज्ञानिक बनाने केलिए काम कर रहा है।
खगोलशाला क्षुद्रग्रह खोज अभियान एक अंतर्राष्ट्रीय छात्र अनुसंधान कार्यक्रम का भारत अध्याय है, जिसमें छात्रों को क्षुद्रग्रहों की खोज में शामिल किया जाता है। क्षुद्रग्रहों के विश्लेषण और पहचान केलिए छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाले खगोलीय डेटा सेट वितरित किए जाते हैं। छात्र सॉफ्टवेयर का उपयोग करके डेटा का विश्लेषण करते हैं, जो उन्हें संभावित खोजों की ओर ले जाता है। ये अवलोकन नासा और जेट प्रोपल्शन लैब के संकलित नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट डेटा में फीड होते हैं। स्पेस इंडिया ने अबतक 20 जवाहर नवोदय विद्यालयों में खगोलशाला खगोल विज्ञान और अंतरिक्ष शिक्षा प्रयोगशाला की स्थापना की है। स्पेस इंडिया देश में युवा पीढ़ी को खगोल विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान में दिलचस्पी बढ़ाने के लिए एक विजन के साथ काम कर रहा है, जिनमें इन क्षेत्रों में अनुप्रयोग, अन्वेषण, नवाचार और अनुसंधान शामिल हैं। स्पेस इंडिया की टीम ब्रह्मांड के बारे में जानकारी, अवलोकन और विश्लेषण के माध्यम से छात्रों को जोड़ने का काम करती है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य समाज में विशेषकर युवाओं में वैज्ञानिक प्रवृत्ति को बढ़ावा देना है।

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