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Thursday 20 October 2022 12:37:41 PM
गांधीनगर (अडालज)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के त्रिमंदिर अडालज में मिशन स्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस का शुभारंभ किया है, जिसकी परिकल्पना 10,000 करोड़ रुपये के परिव्यय केसाथ की गई है। प्रधानमंत्री ने लगभग 4260 करोड़ रुपये की परियोजनाएं भी शुरू कीं। उन्होंने कहाकि यह मिशन गुजरात में नई कक्षाओं, स्मार्ट कक्षाओं, कंप्यूटर प्रयोगशालाओं की स्थापना और राज्यमें स्कूलों के बुनियादी ढांचे के समग्र आधुनिकीकरण से शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में मदद करेगा। प्रधानमंत्री ने मिशन स्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस केतहत शामिल परियोजनाओं पर प्रकाश डाला और बतायाकि इन स्कूलों में 50 हजार नए क्लासरूम और एक लाख से अधिक स्मार्ट क्लासरूम बनने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि इन स्कूलों में न केवल आधुनिक, डिजिटल और भौतिक बुनियादी ढांचा होगा, बल्कि यह बच्चों के जीवन और उनकी शिक्षा में बड़ा बदलाव लाने का अभियान भी है। उन्होंने कहाकि यहां बच्चों की क्षमता बढ़ाने केलिए हर पहलू पर काम किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि गुजरात ने अमृतकाल की अमृत पीढ़ी के निर्माण की तरफ बहुत बड़ा कदम उठाया है, यह अवसर विकसित भारत और विकसित गुजरात केलिए मील का पत्थर साबित होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिशन स्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस केलिए सभी नागरिकों, शिक्षकों, युवाओं और गुजरात की भावी पीढ़ियों को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने 5जी प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी कीकि यद्यपि हमने इंटरनेट की पहली से चौथी पीढ़ी तकका उपयोग किया है, अब देशमें 5जी बड़ा बदलाव लाने वाला है, हर पीढ़ी केसाथ प्रौद्योगिकी ने हमें जीवन के हर छोटे पहलू से जोड़ा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि इसी तरह हमने स्कूलों की विभिन्न पीढ़ियों को देखा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि यह शिक्षा प्रणाली को स्मार्ट सुविधाओं, स्मार्ट कक्षाओं और स्मार्ट शिक्षण से आगे ले जाएगी और इसे अगले स्तरपर पहुंचाएगी। नरेंद्र मोदी ने कहाकि हमारे युवा छात्र अब स्कूलों में वर्चुअल वास्तविकता और इंटरनेट ऑफ थिंग्स की ताकत का अनुभव कर सकेंगे। प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त कीकि मिशन स्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस के माध्यम से गुजरात ने पूरे देशमें पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम उठाया है। प्रधानमंत्री ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि केलिए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की टीम को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने पिछले दो दशक में शिक्षा के क्षेत्रमें गुजरात में हुए बदलावों पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने गुजरात में शिक्षाक्षेत्र की बदहाल स्थिति को याद किया और बतायाकि 100 में से 20 बच्चे कभी स्कूल नहीं गए, जो छात्र स्कूल गए वह 8वीं कक्षा केबाद पढ़ाई छोड़ देते थे। उन्होंने बतायाकि जिन बालिकाओं को स्कूल जानेसे रोक दिया गया, उनकी हालत बाकियों से भी बदतर है।
जनजातीय क्षेत्रों में शैक्षिक केंद्रों की कमी पर प्रधानमंत्री ने कहाकि विज्ञान शिक्षा केलिए कोई योजना नहीं थी। उन्होंने रेखांकित कियाकि दो दशक में गुजरात के लोगों ने अपने राज्य में शिक्षा प्रणाली में बदलाव दिखाया है, गुजरात में 1.25 लाख से अधिक नए क्लासरूम बनाए गए और 2 लाख से अधिक शिक्षकों की भर्ती की गई। उन्होंने कहाकि उन्हें आजभी वह दिन याद है, जब शाला प्रवेशोत्सव और कन्या केलवानी महोत्सव जैसे कार्यक्रम शुरू किएगए थे, कोशिश यह थीकि जब बेटा और बेटी पहलीबार स्कूल जाएंगे तो इसे एक त्योहार की तरह मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री ने शिक्षा की गुणवत्ता पर केंद्रित त्योहार 'गुणोत्सव' को भी याद किया, इस योग्यता में छात्रों के कौशल व क्षमताओं का मूल्यांकन किया गया और उचित समाधान सुझाए गए। उन्होंने कहाकि गुजरात में विद्या समीक्षा केंद्र में गुणोत्सव का अधिक उन्नत प्रौद्योगिकी आधारित संस्करण काम कर रहा है, गुजरात हमेशा से शिक्षा के क्षेत्रमें कुछ अनोखे और बड़े प्रयोगों का हिस्सा रहा है और हमने शिक्षक शिक्षा संस्थान की स्थापना की, जो गुजरात में पहला शिक्षक प्रशिक्षण विश्वविद्यालय है। प्रधानमंत्री ने उस समय को याद किया, जब वह राज्य के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने बतायाकि उन्होंने एक गांव से दूसरे गांव की यात्रा की और सभी लोगों से अपनी बेटियों को स्कूल भेजने का अनुरोध किया, नतीजा यह हुआ हैकि आज गुजरात में सभी बेटे-बेटियां स्कूल और उसके बाद कॉलेज जा रहे हैं। उन्होंने उन माता-पिता की सराहना की, जिन्होंने अपने बच्चों को स्कूल भेजने के उनके अनुरोध पर ध्यान दिया।
प्रधानमंत्री ने बतायाकि एक दशक पहले भी गुजरात के 15,000 स्कूलों में टीवी, 20 हजार से अधिक स्कूलों में कंप्यूटर की सहायता से अध्ययन की व्यवस्था हो चुकी थी और इस तरह की अनेक प्रणालियां कई वर्षों से गुजरात के स्कूलों का अभिन्न अंग बन गई हैं। शिक्षा क्षेत्रमें प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि आज गुजरात में 1 करोड़ से अधिक छात्र और 4 लाख से अधिक शिक्षक ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराते हैं। उन्होंने कहाकि गुजरात में 20 हजार स्कूल शिक्षा के 5जी युग में प्रवेश करने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि इन सभी उपायों से 5जी के आनेसे काफी फायदा होगा, चूंकि यह सुदूरवर्ती क्षेत्रों सहित सभी केलिए सर्वोत्तम सामग्री, शिक्षाशास्त्र और शिक्षक उपलब्ध कराने में मदद करेगा। उन्होंने कहाकि शैक्षिक विकल्पों की विविधता और लचीलापन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जमीनी स्तर तक पहुंचाएगा। प्रधानमंत्री ने आगामी 14.5 हजार पीएमश्री स्कूलों की चर्चा की, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यांवयन केलिए मॉडल स्कूल होंगे, इस योजना पर 27 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। प्रधानमंत्री ने बतायाकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति देशको गुलामी की मानसिकता से मुक्त करने और प्रतिभा एवं नवाचार को बढ़ावा देने का एक प्रयास है। प्रधानमंत्री ने अफसोस व्यक्त कियाकि अंग्रेजी भाषा को ज्ञान के उपाय के रूपमें लिया गया, जबकि भाषा केवल संपर्क का माध्यम है, लेकिन इतने दशकों से भाषा एक ऐसी बाधा बन गई थीकि देशको गांवों और ग़रीब परिवारों में प्रतिभा पूल का लाभ नहीं मिल सका।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि अब इस स्थिति को बदला जा रहा है, अब छात्रों को भारतीय भाषाओं में भी विज्ञान, प्रौद्योगिकी और चिकित्सा का अध्ययन करने का विकल्प मिलने लगा है, गुजराती समेत कई भारतीय भाषाओं में पाठ्यक्रम बनाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की 'किसी को पीछे नहीं छोड़ना' की भावना को भी दोहराया, क्योंकि यह एक विकसित भारत के लिए 'सबका प्रयास' का समय है। विज्ञान और ज्ञान के क्षेत्रमें भारत के पूर्वजों के योगदान को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने टिप्पणी कीकि शिक्षा पुरातनकाल सेही भारत के विकास की धुरी रही है, भारत कुदरती तौर पर ज्ञान का समर्थक रहा है और सैकड़ों वर्ष पहले हमारे पूर्वजों ने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों का निर्माण किया और सबसे बड़े पुस्तकालयों की स्थापना की। प्रधानमंत्री ने उस काल पर खेद व्यक्त किया, जब भारत पर आक्रमण किया गया था और भारत की इस संपदा को नष्ट करने का अभियान चलाया गया था। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमने शिक्षा पर अपने मजबूत आग्रह को नहीं छोड़ा है, यही कारण हैकि आजभी ज्ञान और विज्ञान की दुनिया में नवाचार में भारत की एक अलग पहचान है। उन्होंने कहाकि आजादी का अमृतकाल अपनी प्राचीन प्रतिष्ठा वापस पाने का अवसर है।
प्रधानमंत्री ने दुनियामें एक महान ज्ञान अर्थव्यवस्था बनने केलिए भारत की अपार क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि 21वीं सदी में मुझे यह दावा करने में कोई संकोच नहीं हैकि विज्ञान से संबंधित अधिकांश नवाचार, प्रौद्योगिकी से संबंधित अधिकांश नवाचार भारत में होंगे। प्रधानमंत्री ने बतायाकि गुजरात केलिए एक बड़ा अवसर खुलने वाला है, अभी तक गुजरात को व्यापार और कारोबार केलिए जाना जाता है, यह विनिर्माण केलिए है, लेकिन 21वीं सदी में गुजरात देशके ज्ञानकेंद्र, नवोन्मेष केंद्र के रूपमें विकसित हो रहा है, मुझे विश्वास हैकि उत्कृष्ट मिशन स्कूल इस भावना को बढाएंगे। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और गुजरात सरकार के मंत्री जीतूभाई वघानी, कुबेरभाई डिंडोर और किरीटसिंह वाघेला भी उपस्थित थे।