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Friday 3 March 2023 05:30:05 PM
नई दिल्ली। भारत और ऑस्ट्रेलिया ने योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता हेतु एक ढांचागत तंत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जो दोनों देशों केबीच छात्रों और पेशेवरों की आवाजाही को आसान बनाने में मदद करेगा यानी शिक्षा एवं रोज़गार के उद्देश्य से युवाओं का दोतरफा आवागमन सुगम हो जाएगा। शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान और ऑस्ट्रेलियाई शिक्षामंत्री जेसन क्लेयर केबीच नई दिल्ली में द्विपक्षीय बैठक केबाद इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता 21 मार्च 2022 को दूसरे भारत-ऑस्ट्रेलिया वर्चुअल शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की दर्शायी गई प्रतिबद्धता का हिस्सा है, जिसके तहत दोनों राजनेताओं ने योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता केलिए एक संयुक्त कार्यबल स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की थी। इसीके अनुरूप एक कार्यबल का गठन किया गया है, जिसमें शिक्षा एवं कौशल मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी तथा दोनों पक्षों की नियामक संस्थाएं शामिल हुईं।
भारत और ऑस्ट्रेलिया की शिक्षा एवं कौशल संबंधी योग्यताओं को कवर करता संयुक्त कार्यबल ने एक व्यापक तंत्र का सुझाव दिया है, जो दोनों देशों की शिक्षा एवं कौशल संबंधी योग्यताओं के विभिन्न स्तरों की पारस्परिक रूपसे पहचान करेगा। मीडिया को संबोधित करते हुए शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहाकि ऑस्ट्रेलिया और भारत ज्ञान के स्तंभ को द्विपक्षीय संबंधों का एक प्रमुख पहलू बनाने के मुद्दे पर एकमत हैं। उन्होंने बतायाकि दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने केलिए साझेदारी की नई रूपरेखा तैयार करने पर सहमत हुए हैं। उन्होंने इसबात पर प्रसन्नता व्यक्त कीकि भारत के सुझावों के अनुरूप कौशल विकास के क्षेत्रमें सहयोग कोभी शामिल करने केलिए ऑस्ट्रेलिया भारत शिक्षा परिषद के दायरे को विस्तृत किया गया है। उन्होंने इस अवसर पर सितंबर में होने वाली 7वीं ऑस्ट्रेलिया भारत शिक्षा एवं कौशल परिषद की बैठक और इस साल जून में जी20 शिक्षामंत्रियों की बैठक केलिए ऑस्ट्रेलियाई शिक्षामंत्री को आमंत्रित किया। उन्होंने कहाकि योग्यता की पारस्परिक मान्यता हेतु जी-टू-जी तंत्र पर हस्ताक्षर, आईईआईएफ महत्वपूर्ण कौशल परियोजना की घोषणा और 11 संस्थागत समझौता ज्ञापन भारत-ऑस्ट्रेलिया के शैक्षिक संबंधों का एक ऐतिहासिक क्षण है।
शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहाकि यह समझौता भारत-ऑस्ट्रेलिया द्विपक्षीय संबंधों की साझा आकांक्षाओं को साकार करने केलिए शिक्षा को सबसे बड़ा सक्षम बनाने का मार्ग प्रशस्त करेंगे। दोनों शिक्षामंत्रियों ने ऐतिहासिक द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक गहरा करने, जीवंत साझेदारी को मज़बूत करने तथा शिक्षा, कौशल विकास, गहन तकनीकी अनुसंधान एवं पारस्परिक हित के विभिन्न क्षेत्रों में जुड़ाव बढ़ाने केबारे में सार्थक बातचीत की। ऑस्ट्रेलियाई शिक्षामंत्री जेसन क्लेयर ने कहाकि ऑस्ट्रेलिया दोनों देशों केबीच शिक्षा केसाथ-साथ कौशल के क्षेत्रमें साझेदारी को व्यापक बनाने केलिए बहुत तत्पर है। उन्होंने कहाकि इस समझौते से छात्रों को एक-दूसरे के देश में अध्ययन करने में आसानी होगी और शिक्षा तथा कौशल संबंधी योग्यता के विभिन्न स्तरों को मान्यता भी मिलेगी। भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सराहना करते हुए उन्होंने कहाकि अपने दायरे के संदर्भ में यह विस्मयकारी है और नौकरियों, व्यवसायों, आर्थिक उत्पादकता तथा सभी क्षेत्रोंमें अवसर पैदा करने के माध्यम से यह भारत को परिवर्तित कर देगा। उन्होंने कहाकि भारत ने 2035 तक अपने 50 प्रतिशत युवाओं को उच्चशिक्षा या कौशल शिक्षा प्रदान करने का लक्ष्य रखा है और ऑस्ट्रेलिया को इस कार्यक्रम में भारत केसाथ भागीदारी करने का सौभाग्य प्राप्त होगा।
ऑस्ट्रेलियाई शिक्षामंत्री जेसन क्लेयर ने कहाकि ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय अपने भारतीय समकक्षों केसाथ दोहरी डिग्री या संस्थानों की प्रतिरूप व्यवस्था के माध्यम से काम करने केलिए उत्साहित हैं, जिनके लिए हालही में एनईपी2020 केतहत सुविधा प्रदान कीगई है। उन्होंने कहाकि ऑस्ट्रेलिया शिक्षा क्षेत्रमें साझेदारी को बढ़ावा देकर दोनों देशों केबीच संबंधों की प्रगाढ़ता और गंभीरता को आगे ले जाना चाहता है। मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहाकि ऑस्ट्रेलियाई सरकार भारत केलिए महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्रमें कौशल कार्यक्रम के संचालन केलिए 1.89 मिलियन डॉलर का योगदान देगी। उन्होंने बतायाकि ऑस्ट्रेलिया भारतीय छात्रों केलिए शिक्षा वीजा के लंबित मामलों को कम करने केलिए सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर काम कर रहा है। उन्होंने स्वागत एवं आतिथ्य केलिए धर्मेंद्र प्रधान का आभार व्यक्त किया और कहाकि वे वर्ष के अंत में उनके साथ होनेवाली बैठक की प्रतीक्षा कर रहे हैं। गौरतलब हैकि हाल के वर्षों में ऑस्ट्रेलिया उच्च शिक्षा केलिए और व्यावसायिक कौशल हासिल करने केलिए भारतीय छात्रों केबीच सबसे पसंदीदा स्थलों मेसे एक बन गया है। भारत में शॉर्ट और लॉन्ग टर्म पढ़ाई, इंटर्नशिप और शोध केलिए आने हेतु ज्यादा ऑस्ट्रेलियाई छात्रों को सुविधा प्रदान करने केलिए बातचीत चल रही है।
उच्च शिक्षा, कौशल विकास और प्रशिक्षण आदि में भारत-ऑस्ट्रेलिया केबीच संस्थागत सहयोग की बेशुमार संभावनाएं हैं। भारत सरकार ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में खासकर दोहरी डिग्री कार्यक्रमों की सुविधा देकर विदेशी संस्थानों केसाथ साझेदारी करने केलिए कई पहलें शुरू की हैं। कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण मेभी ऑस्ट्रेलिया एक महत्वपूर्ण भागीदार है और दोनों देश क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण पर एकसाथ काम कर रहे हैं। वे दोनों देशों में बदलती जरूरतों और जनसांख्यिकी के अनुसार नए जमाने के पाठ्यक्रमों पर विशेष ध्यान देते हुए करीबी कौशल सहयोग केलिए प्रमुख क्षेत्रों में अवसरों की भी पहचान कर रहे हैं। एनईपी 2020 केबाद भारत शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देने केलिए नई पहलें लाया है, जिसमें दोहरी/ प्रतिरूप डिग्री केलिए नियमन और भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के परिसरों की स्थापना केलिए एक मसौदा विनियमन शामिल है। इसके अलावा गुजरात में गिफ्ट सिटी को घरेलू नियमों से मुक्त विदेशी विश्वविद्यालयों केलिए खोल दिया गया है, ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय गिफ्ट सिटी में सक्रिय रूपसे परिसरों की स्थापना कर रहे हैं।
भारत-ऑस्ट्रेलिया के विश्वविद्यालय क्षेत्रों केबीच कई संस्थागत स्तर के समझौता ज्ञापनों काभी आदान-प्रदान किया गया है, जो कई प्रमुख क्षेत्रों में दोनों देशों केबीच अनुसंधान और अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देंगे। भारत-ऑस्ट्रेलिया दोनों के उच्च शिक्षा क्षेत्र एक-दूसरे केसाथ साझेदारी करने केलिए उत्साहित हैं, जोकि ऑस्ट्रेलिया के बड़े प्रतिनिधिमंडल से जाहिर हुआ है। ये संस्थान भारत-ऑस्ट्रेलिया केबीच व्यापक क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग कर रहे हैं, जिनमें बायो इनोवेशन से लेकर कानून और उद्योग समाधान तकके क्षेत्र शामिल हैं। उल्लेखनीय हैकि ऑस्ट्रेलियाई शिक्षामंत्री जेसन क्लेयर की शिक्षा मंत्री बनने केबाद पहली विदेश यात्रा है और वह प्रमुख ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के एक बड़े प्रतिनिधिमंडल, पांच शिखर समूहों और एक नियामक केसाथ आए थे। शिक्षा के क्षेत्रमें भारत-ऑस्ट्रेलिया पहले सेही बहुत मजबूत सम्बंध साझा करते हैं। शिक्षा भारत का एक बहुत महत्वपूर्ण स्तंभ भी है-ऑस्ट्रेलिया व्यापक रणनीतिक साझेदारी, इन संबंधों को आगे ले जाने केलिए ऑस्ट्रेलियाई शिक्षामंत्री जेसन क्लेयर की यात्रा की महत्वपूर्ण भूमिका है। शिक्षामंत्री जेसन क्लेयर और प्रतिनिधिमंडल ने फिक्की के कार्यक्रम में प्रमुख शिक्षा व्यवसाय और उद्योग के प्रतिनिधियों से भी बातचीत की।
भारत की यात्रा पर आए ऑस्ट्रेलिया के कुलपतियों ने भारत में उच्च शिक्षा के बदलते स्वरूप: भविष्य की दिशा और अवसर विषय पर एक चर्चा में भाग लिया। उन्होंने भारत की नई शिक्षा नीति-2020 केतहत शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण की पहल पर चर्चा करने केलिए यूजीसी में एक विचार-विमर्श में भी भाग लिया। शिक्षामंत्री जेसन क्लेयर और उनकी टीम ने वेंकटेश्वर कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय और केंद्रीय विद्यालय दिल्ली कैंट का भी दौरा किया। पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट कप्तान एडम गिलक्रिस्ट भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। शिक्षामंत्री जेसन क्लेयर और उनकी टीम ने दोनों संस्थानों में छात्रों केसाथ बातचीत की, कॉलेज में एक दोस्ताना क्रिकेट मैच खेला, केंद्रीय विद्यालय में अटल टिंकरिंग लैब में स्कूली छात्रों के नवाचारों और प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद लिया। दोनों शिक्षामंत्रियों ने इंडिया गेट का दौरा किया, कर्तव्य पथ पर सैर की और नॉर्थ ब्लॉक के बाहर ऑस्ट्रेलियाई डोमिनियन कॉलम देखा, जो ऑस्ट्रेलिया ने भारत को उपहार में दिया था, इसमें एक वैटल फूल है और इसमें ऑस्ट्रेलिया से भारत एमसीएमएक्सएक्सएक्स खुदा हुआ है, यह ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन शासन द्वारा मित्रता और एकता के प्रतीक के रूपमें प्रस्तुत किएगए चार स्तंभों मेसे एक है।