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Saturday 6 April 2024 11:51:29 AM
नई दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग ने चुनावों में कम मतदान पर चिंता प्रकट की है और मतदाताओं को मतदान में सक्रिय रूपसे शामिल करने और उनकी मतदान में भागीदारी में आनेवाली बाधाओं को दूर करके एक जीवंत लोकतंत्र को बढ़ावा देने केलिए प्रतिबद्धता जताते हुए निर्भय होकर आवश्यक रूपसे मतदान करने की अपील की है। चुनाव आयोग 'मतदान में कम सहभागिता पर सम्मेलन' में प्रमुख शहरों के निगम आयुक्तों और बिहार एवं उत्तर प्रदेश के चुनिंदा जिला चुनाव अधिकारियों के साथ कम मतदान वाले चिन्हित शहरी और ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं के ज्यादा से ज्यादा मतदान से जुड़ने और उनकी भागीदारी बढ़ाने की दिशा में विचार-विमर्श कर रहा था। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार, चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू ने निर्वाचन सदन नई दिल्ली में सम्मेलन में कहाकि चुनाव आयोग पिछले आम चुनाव में मतदाताओं की कम भागीदारी वाले संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता संख्या बढ़ाने के प्रयासों में तेजी ला रहा है। इस अवसर पर मतदाताओं की उदासीनता पर एक पुस्तिका का भी विमोचन किया गया।
लोकसभा-2019 के चुनाव में 11 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेश अर्थात बिहार, उत्तर प्रदेश, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, तेलंगाना, गुजरात, पंजाब, राजस्थान, जम्मू कश्मीर एवं झारखंड में मतदान प्रतिशत, राष्ट्रीय औसत 67.40 प्रतिशत से कम था। वर्ष 2019 में राष्ट्रीय औसत से कम मतदान वाले 11 राज्यों के कुल 50 ग्रामीण संसदीय क्षेत्रों में से 40 संसदीय क्षेत्र उत्तर प्रदेश (22 संसदीय क्षेत्र) और बिहार (18 संसदीय क्षेत्र) से थे। यूपी में 51-फूलपुर संसदीय क्षेत्र में सबसे कम 48.7 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि बिहार में 29-नालंदा संसदीय क्षेत्र में सबसे कम 48.79 प्रतिशत मतदान हुआ। निगम आयुक्तों और डीईओ को संबोधित करते हुए सीईसी राजीव कुमार ने कहाकि कम मतदान प्रतिशत वाले कुल 266 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों (215 ग्रामीण और 51 शहरी) की पहचान की गई है और सभी संबंधित निगम आयुक्तों, डीईओ और राज्य सीईओ को लक्षित तरीके से मतदाताओं तक पहुंचने के तरीकों का पता लगाने केलिए बुलाया गया है।
सीईसी राजीव कुमार ने मतदान केंद्रों पर कतार प्रबंधन, भीड़भाड़ वाले इलाकों में शेल्टर पार्किंग जैसी सुविधा प्रदान करने, लक्षित पहुंच एवं जानकारी और लोगों को मतदान केंद्रों पर आने केलिए मनाने केलिए आरडब्ल्यूए, स्थानीय आइकन और युवा प्रभावशाली लोगों जैसे महत्वपूर्ण हितधारकों की भागीदारी की त्रिआयामी रणनीति पर जोर दिया। सीईसी ने उन्हें बढ़ी हुई भागीदारी और व्यवहार परिवर्तन केलिए बूथवार कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया और सभी एमसी और डीईओ को शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों केलिए अलग-अलग रणनीति तैयार करने और लक्षित दर्शकों केलिए तदनुसार कार्य योजना बनाने को कहा। उन्होंने कहाकि सभी केलिए एकही तरह की रणनीति वाले दृष्टिकोण से परिणाम नहीं मिलेंगे। सीईसी ने अधिकारियों से इस तरह से कार्य करने काभी आग्रह किया, जिससे मतदाताओं में लोकतांत्रिक उत्सव में भाग लेने का गौरव पैदा हो। उन्होंने एक ऐसे आंदोलन का आह्वान किया, जिसमें लोग मतदान करने केलिए स्वयं प्रेरित हों। ईसीआई और प्रमुख हितधारकों केबीच सहयोगात्मक प्रयास वाला यह सम्मेलन, मतदाताओं की उदासीनता दूर करने, लॉजिस्टिक संचालन को सुव्यवस्थित करने और मतदाताओं की सहभागिता बढ़ाने केलिए एक व्यापक कार्ययोजना तैयार करने पर केंद्रित था। कम मतदान पर सम्मेलन में चर्चाएं मतदान केंद्रों पर कतार प्रबंधन को अनुकूलित करने, ऊंची इमारतों में मतदान की सुविधा प्रदान करने और प्रभावशाली व्यवस्थित मतदाता शिक्षा व चुनावी भागीदारी कार्यक्रम का लाभ उठाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित थीं।
ईसीआई ने साझेदारी और समावेशिता पर जोर देते हुए निगम आयुक्तों और डीईओ से इस पहल में सक्रिय रूपसे योगदान देने का आग्रह किया। मतदाताओं की सहभागिता में वृद्धि केलिए शहरी विशिष्ट बाधाओं की पहचान की गई और लक्षित शहर विशिष्ट कार्यों की योजना बनाई गई और अधिकारियों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों की विशिष्ट आवश्यकताओं एवं जनसांख्यिकी के अनुरूप क्षेत्र विशिष्ट पहुंच कार्यक्रम विकसित करने केलिए प्रोत्साहित किया गया। ईसीआई ने एसवीईईपी के तहत नवीन मतदाता जागरूकता अभियानों की एक श्रृंखला की रूपरेखा तैयार की, जिसमें शामिल हैं-आवश्यक चुनाव संदेशों से सुसज्जित सार्वजनिक परिवहन और स्वच्छता वाहन चलाना, व्यापक प्रसार के लिए उपयोगिता बिलों में मतदाता जागरूकता संदेशों को शामिल करना, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन और मतदाता जागरुकता मंचों केसाथ सहयोग करना, पार्क बाज़ार और मॉल जैसे लोकप्रिय सार्वजनिक स्थानों पर जानकारी से भरे सत्रों की मेजबानी करना, मतदाताओं में रुचि जगाने केलिए मैराथन वॉकाथन और साइक्लोथॉन जैसे आकर्षक कार्यक्रम आयोजित करना, मतदाता शिक्षा सामग्री का प्रसार करने केलिए होर्डिंग्स, डिजिटल स्पेस, कियोस्क और कॉमन सर्विस सेंटर सहित विभिन्न प्लेटफार्मों का उपयोग करना, व्यापक मतदाता पहुंच और जुड़ाव केलिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की शक्ति का लाभ उठाना।
सम्मेलन में दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, पुणे, ठाणे, नागपुर, पटना साहिब, लखनऊ और कानपुर के नगर आयुक्तों के साथ बिहार और उत्तर प्रदेश के चुनिंदा जिला चुनाव अधिकारी शामिल हुए। सीईओ बिहार, सीईओ उत्तर प्रदेश, सीईओ महाराष्ट्र और सीईओ दिल्ली ने भी सम्मेलन में भाग लिया, जिसमें 7 राज्यों कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और पंजाब के सीईओ वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए। लगभग 297 मिलियन पात्र मतदाताओं ने 2019 में लोकसभा के चुनावों में मतदान नहीं किया था, जो समस्या के पैमाने को रेखांकित करता है, जिसके लिए सक्रिय उपायों की आवश्यकता है। इसके अलावा विभिन्न राज्यों में हाल के चुनाव ने चुनावी प्रक्रिया केप्रति शहरी उदासीनता के रुझान को दर्शाता है, जिसके लिए लक्षित उपायों और सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता है। लोकसभा 2019 के चुनाव में सबसे कम मतदान वाले 50 संसदीय क्षेत्रों में से 17 महानगरों या प्रमुख शहरों में पाए गए, जो शहरी उदासीनता की दुर्भाग्यपूर्ण प्रवृत्ति को दर्शाते हैं। पिछले कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी यही प्रवृत्ति देखी गई है।
ईसीआई ने इन चुनौतियों के जवाब में मतदाता भागीदारी को फिरसे मजबूत करने के उद्देश्य से कई पहलें की हैं, इनमें हैं-मतदान केंद्रों पर लक्षित हस्तक्षेप केलिए टर्नआउट अमल योजना तैयार करना। विविध जनसांख्यिकीय समूहों के मतदान केंद्रों केलिए जिला विशिष्ट थीम तैयार करना। मतदाता की पहुंच और जागरूकता प्रयासों का विस्तार करने केलिए प्रमुख हितधारकों केसाथ सहयोग करना। रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से शिक्षा प्रणाली में चुनावी साक्षरता को औपचारिक बनाना। युवा मतदाताओं से जुड़ने और उन्हें प्रेरित करने के लिए राष्ट्रीय प्रतिष्ठित व्यक्तियों को शामिल करना। एकीकृत मल्टीमीडिया अभियान और #MeraVoteDeshkeLiye जैसी लक्षित पहल शुरू करना। मतदान केंद्रों पर नवीनतम मतदाता सूची और सरलता से पहुंचने योग्य बुनियादी ढांचा सुनिश्चित करना, नागरिकों की भागीदारी बढ़ाने और पारदर्शिता के लिए आईटी एप्लिकेशन्स के उपयोग को बढ़ावा देना और चुनावों के निर्बाध संचालन केलिए चुनाव अधिकारियों को निरंतर प्रशिक्षण प्रदान करना।