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Saturday 30 April 2016 04:49:56 AM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कल दिव्यांग, निराश्रित एवं मलिन बस्तियों के बच्चों के एक दल को राजभवन घुमाया। इन बच्चों के लिए राजभवन भ्रमण न केवल शिक्षाप्रद रहा, अपितु रोमांचित भी रहा। गौरतलब है कि राज्यपाल का इस प्रकार के बच्चों और सामाजिक और कुष्टरोग जैसी शारीरिक व्याधियों से घिरे लोगों के प्रति गहरा अनुराग है और वे इनके कल्याण के लिए सदैव कुछ न कुछ करते रहते हैं। राजभवन में कल राज्यपाल राम नाईक के इन बच्चों के प्रति जो भाव प्रदर्शित हुए वह इन बच्चों के लिए एक यादगार स्नेह शिक्षाप्रद और आगे के जीवन के लिए उत्साहित सिद्ध हुए। राज्यपाल ने इन्हें हर प्रकार का वातावरण दिया। वे एक आदर्श शिक्षक, आदर्श अभिभावक और नागरिक के रूप में उनके सामने थे। बच्चे भी उनसे मिलकर उनके साथ रहकर बेहद खुश और अभिभूत हुए। राज्यपाल ने बच्चों से कहा कि वे राजभवन भ्रमण के अपने अनुभव भी उन्हें लिखकर भेंजे।
उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष जूही सिंह के नेतृत्व में दिव्यांग, निराश्रित एवं मलिन बस्ती के बच्चों के इस दल ने राजभवन में राज्यपाल राम नाईक से भेंट कर उन्हें एव्री लास्ट चाइल्ड के नाम से 11 सूत्रीय बाल घोषणा पत्र-2016 सौंपा था, जिसके बाद राज्यपाल इन बच्चों से मुखातिब हुए। राज्यपाल ने बच्चों में दिलचस्पी ली तो ये बच्चे भी राज्यपाल से घुलमिल गए। राज्यपाल ने बच्चों को आश्वासन दिया कि वे मुख्यमंत्री से उनकी मांगों और समस्याओं पर गंभीरता से विचार करने का अनुरोध करेंगे। ये सभी बच्चे लखनऊ की लवकुश नगर बस्ती, प्रतापनगर बस्ती, शिक्षालय गोमती नगर, मानस विहार, कैलाशकुंज तकरोही, राज्य संरक्षण गृह से थे, जो आधारशिला, उम्मीद, चाईल्ड लाइन, घरौंदा, दृष्टि सामाजिक संस्थान, सेव द चिल्ड्रेन आदि संस्थाओं से जुडे़ हैं। ये बच्चे पूरे प्रदेश का दौरा करके अपने जैसे बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रेरित करेंगे। इस अवसर पर फेमिना मिस इंडिया-2015 वर्तिका सिंह भी ब्रांड अंबेसडर के रूप में उपस्थित थीं।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि बच्चे अच्छे संस्कार और अनुशासन बचपन में सीखते हैं, वे स्वयं अच्छे गुणों का समावेश करें, बच्चों का समाज में बहुत महत्व है, निराश्रित एवं निर्बल वर्ग के बच्चों को केवल खाना, कपड़ा से ही नहीं शिक्षा से भी आगे बढ़ाएं, शिक्षा ग्रहण करना बच्चों का मौलिक अधिकार है। राम नाईक ने बच्चों से कहा कि वे पढ़ाई को प्राथमिकता दें तथा नियमित रूप से स्कूल जाएं। उन्होंने कहा कि सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह ये सुनिश्चित करे कि बच्चों को उचित शिक्षा एवं शिक्षा ग्रहण करने का उचित वातावरण मिले, ऐसे बच्चों को उचित संरक्षण की जरूरत होती है। उन्होंने बच्चों से कहा कि वे मेहनत से शिक्षा ग्रहण करें, ईमानदारी से काम करने वाले ही आगे बढ़ते हैं। मलिन बस्ती के बच्चों का उत्साह बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि वे अपने जैसे बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करें तथा समाज के उपेक्षित बच्चों को भी आगे बढ़ाने का प्रयास करें, क्योंकि वही समाज और देश आगे बढ़ता है, जहां के नागरिक शिक्षित होते हैं।
राम नाईक ने यह भी कहा कि बच्चे अपने माता-पिता और घर का ध्यान रखें, वो बुरी संगत से दूर रहकर दूसरे बच्चों को भी छोटी-छोटी बातों से जागरुक करें, समझाएं, ताकि उनमें भी अच्छे गुणों का समावेश हो। राज्यपाल ने उत्तर प्रदेश, राजभवन और राज्यपाल के कार्य एवं दायित्व के बारे में बच्चों को बताते हुए कहा कि वे स्वयं भी एक छोटे से गांव से आए हैं और अपनी पढ़ाई ट्यूशन पढ़ाकर और अखबार बेचकर पूरी की है। उन्होंने कहा कि शिक्षा ग्रहण करने के लिए तकलीफ उठाने में संकोच न करें। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष जूही सिंह ने संस्था के बारे में बताया तथा सरकार की ऐसे बच्चों के लिए चलाई जा रही योजनाओं के बारे में जानकारी दीं। वर्तिका सिंह ने इस अवसर पर कहा कि समाज के उपेक्षित बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उपेक्षित बच्चों के लिए काम करना उनके लिए संतुष्टि और सम्मान की बात है, ऐसे बच्चों का भविष्य बनाकर समाज का ऋण वापस किया जा सकता है।