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Friday 3 June 2016 04:03:18 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘भारत कौशल’ को भारत को बेरोज़गारी से मुक्त करने का मिशन बनाया है। इसमें कौशल विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए इसे देश की ज्वलंत निगरानियों में रखा गया है। केंद्र सरकार के सभी मंत्रालय इस पर प्राथमिकता से सक्रिय किए गए हैं। यदि भारत कौशल कार्यक्रम सफल हुआ तो यह भारतीय युवाओं के लिए यह वह स्वर्णिम सपना होगा, जो हर युवा अपने पढ़ाई के समय देखता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन की संचालन समिति की कल पहली बैठक थी, जिसमें प्रधानमंत्री ने भविष्य की आवश्यकता को देखते हुए हर क्षेत्र में कौशल विकास के महत्व पर बल दिया। उन्होंने जोर दिया कि स्कूल जाने वाले बच्चे और उनके माता-पिता यह जान सकें कि रोज़गार के लिए भविष्य की आवश्यकताएं क्या हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कौशल विकास की क्या आवश्यकताएं हैं, उनको पूरा करने के लिए भारत की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि कौशल विकास से जुड़े सभी सुरक्षा मानकों पर ध्यान रखा जाए, क्योंकि यह कौशल विकास का अभिन्न अंग है।
संचालन परिषद की बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, अरूणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री, कौशल विकास व उद्यमिता मंत्रालय में स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री राजीव प्रताप रूड़ी, मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद, सूक्ष्म एवं लघु एवं मझौले उद्यम मंत्री कलराज मिश्र शामिल हुए। इनके अलावा बैठक में वरिष्ठ नौकरशाह, टाटा ग्रुप के अध्यक्ष सायरस पी मिस्री, फिल्पकार्ट के संस्थापक और सीईओ सचिन बंसल, टीम लीस सर्विसज के अध्यक्ष व संस्थापक मनीष सभरवाल भी मौजूद थे। बैठक में जो निर्णय लिए गए वे हैं-वर्ष 2016-17 में डेढ़ करोड़ लोगों को कौशल विकास का प्रशिक्षण देने का लक्ष्य। भारत के कौशल विकास के पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए सितंबर 2016 तक कौशल प्रमाणीकरण केंद्रीय बोर्ड की स्थापना करना। वर्तमान इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रयोग नहीं की गई मूलभूत संरचनाओं को कौशल विकास के लिए उपयोग करने का लक्ष्य। सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों में कुल मानव संसाधन का दस प्रतिशत अप्रेंटिसशिप के लिए आवश्यक करना। निजी क्षेत्र में भी ऐसा करने का प्रावधान किया जाएगा।
अन्य फैसलों के अनुसार इस वर्ष भारत के उत्साही युवाओं के नि:शुल्क कौशल विकास प्रशिक्षण के लिए 500 प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र खोले जाएंगे। देश से बाहर जाकर रोज़गार करने वालों के लिए 50 प्रवासी कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र खोलने की योजना। देशभर में फैले आईटीआई, सीटीआई, पीएमकेवीवाई प्रशिक्षण केंद्र, टूलरुम पर 500 रोज़गार उत्सवों का आयोजन। वर्ष 2016-17 में राष्ट्रीय कौशल प्रतियोगिता, जिसे ‘भारत कौशल’ का नाम दिया गया है, लांच की जाएगी। यह एक वार्षिक कार्यक्रम होगा। जिन उम्मीदवारों ने आईटीआई कोर्स को सफलतापूर्वक पूरा किया है, उनके लिए राष्ट्रीय स्तर का दीक्षांत समारोह आयोजित किया जाएगा। अगले एक वर्ष में आईटीआई की क्षमता 18.5 लाख से 25 लाख करने का लक्ष्य है, साथ ही पांच हजार नए आईटीआई का निर्माण होगा। विभिन्न कार्यक्रमों के तहत पारंपरिक कौशल विकास की पहचान करना, विकसित करना औपचारिक अप्रेंटिसशिप के माध्यम से उनका प्रचार करना इन फैसलों में शामिल है।
भारत की 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है। आज जिस तेजी से कौशल विकास पर काम शुरू हुआ है, उसके अनुसार काम करने वाली उम्र के कामगारों में साल 2025 तक विश्व में पांच में से एक भारतीय होगा। वर्ष 2014 में एनडीए की सरकार बनने के बाद भारत की जनसंख्या को देखते हुए पहली बार कौशल विकास को बढ़ाने के लिए सरकार ने कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय का गठन किया। इसी मंत्रालय के तहत कौशल भारत को विशेष महत्व मिला। एमएसडीई मंत्रालय का पारिस्थितिकी तंत्र अलग-अलग हिस्सों में काम करता है। इक्कीस केंद्रीय मंत्रालय और विभाग लगभग 50 से अधिक कौशल विकास के कार्यक्रम को लागू कर रहे हैं। योजनाओं में परस्पर विरोध, कमजोर निगरानी तंत्र, अलग-अलग आकलन और प्रमाणीकरण प्रणाली और सफलता की सुसंगत दृष्टि के अभाव ने इन प्रयासों के प्रभाव को सीमित कर दिया था। बीते दिनों में राष्ट्रीय कौशल विकास कोऑर्डिनेशन बोर्ड या प्रधानमंत्री कौशल विकास राष्ट्रीय परिषद-2008 के माध्यम से सभी को एक करने प्रयास किया गया, लेकिन निगरानी न रखना, ठीक से क्रियान्वयन न होने से ये अप्रभावी रहे।
एमएसडीई मंत्रालय ने कम समय में बेहतर काम किया है। छह महीने के भीतर कौशल विकास के कार्यक्रम को चला रहे अलग-अलग संगठनों को इस मंत्रालय के अधीन लाया गया है। आठ महीने के भीतर एमएसडीई ने कौशल विकास और उद्यमिता के लिए राष्ट्रीय नीति का निर्माण किया गया, जिसने भारत में कौशल विकास और उद्यमिता के पारिस्थिति तंत्र को मजबूत किया और साथ ही कौशल प्रशिक्षण के प्रयासों के लिए भारत के पहले राष्ट्रीय विकास मिशन की संरचना तय हुई। प्रधानमंत्री ने 15 जुलाई 2015 को इन दोनों नीतियों को लांच किया था। यह मिशन अखिल भारतीय स्तर पर कौशल विकास गतिविधियों को एकाग्र करने के लिए समन्वय स्थापित करने, लागू करने और नज़र रखने के लिए है। यह एक तीन स्तरीय संरचना के साथ केंद्र सरकार और राज्यों के तहत प्रमुख हितधारकों के साथ लाया है। इनमें नीति भूमिका, समन्वय भूमिका और एक कार्यकारी समिति से युक्त मिशन निदेशालय की संचालन समिति के लिए शासी परिषद निष्पादन शामिल है। मिशन संचालन शासी परिषद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में है, यह 'कुशल भारत' के बारे में उनकी दृष्टि द्वारा निर्देशित है।
‘कौशल भारत’ मिशन ने भारत के व्यावसायिक प्रशिक्षण के पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव करने को प्रेरित किया है। पिछले एक साल के दौरान 1.04 करोड़ से अधिक युवाओं को मिशन के तहत प्रशिक्षित किया गया है। यह आंकड़ा पिछले वर्ष दर्ज आंकड़ों की तुलना में 36.8% अधिक है। वर्तमान व्यवस्था में, 60% प्रशिक्षण एमएसडीई में जबकि 40% अन्य केंद्रीय मंत्रालयों के अंतर्गत चल रहे हैं। एमएसडीई की फ्लैगशिप योजना, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमसेवीवाई) है, जो प्रधानमंत्री ने 15 जुलाई 2015 को शुरू की थी। इसमें 20 लाख से अधिक लोगों को उनकी पसंद के प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षत किया गया, जिनमें 40 प्रतिशत महिला उम्मीदवार हैं। एनएसडीएम के चार मूल सिद्धांत हैं, स्पीड, स्केल, मानक और स्थिरता। पहले संचालन परिषद की बैठक में इन मूल सिद्धांतों में से प्रत्येक पर चर्चा की गई। उच्च मानकों को बनाए रखते हुए कौशल विकास प्रशिक्षण में तेजी लाने के लिए एक ठोस एजेंडे पर चर्चा करने की जरूरत है।