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Tuesday 27 September 2016 05:21:45 AM
लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और सरकार के वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव के संबंधों में गतिरोध के बाद मंत्रिमंडल में जो चेहरे फिर से शामिल किए गए हैं, उनसे स्थिति को फिर से सामान्य बनाने की कोशिश दिखाई दी, किंतु इससे समाधान हो गया है यह बात किसी के भी गले नहीं उतर रही है। विधानसभा के चुनाव सर पर हैं और यदुवंश का विवाद काफी नुकसान कर चुका है। राजभवन में शपथ ग्रहण में सभी के चेहरे खुद-ब-खुद बोल रहे थे कि किसकी क्या स्थिति है और कौन किस खेमे में है। मुलायम सिंह यादव ने राजकिशोर सिंह को छोड़कर बाकी कुछ नए पुरानों को भी फिर से उपकृत किया है, ब्राह्मणों को रिझाया है और देखना होगा कि समाजवादी पार्टी इस रणनीति का कितना लाभ उठा पाएगी।
समाजवादी पार्टी के साथ आज जो हो रहा है, उसकी उम्मीद बहुत पहले से थी। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की कार्यप्रणाली सफल सिद्ध नहीं हो सकी, जबकि वह ही समाजवादी पार्टी के चुनाव प्रचार के मुख्य चेहरा होंगे। इसमें इस तथ्य को अनदेखा नहीं किया जा सकता कि समाजवादी पार्टी के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष और सरकार में वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव की संगठनात्मक रणनीतियां नेताजी की रणनीतियों पर भी भारी रही हैं, वे न केवल समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं के करीब हैं, अपितु गठबंधन में भी उन्हें राजनीतिक कौशल प्राप्त है। यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी से मुसलमानों को जोड़े रखने की जो पहल की थी, वह एक सफल रणनीति थी, जिसे छिन्न-भिन्न कर दिया गया और उससे मुसलमानों में निराशाजनक संदेश गया है।
यह मानना होगा कि सपा के बड़बोले, सपा नेतृत्व और सरकार के सामने हमेशा असहज स्थितियां पैदा करने वाले मुस्लिम चेहरे आज़म खां मुसलमानों में कभी भी लोकप्रिय नहीं रहे और न ही वे सपा की नईया पार लगवा सकते हैं, जबकि कौमी एकता दल के नेता अफजाल अंसारी और उनके बाहुबलि भाई मुख्तार अंसारी मुसलमानों में जरूर निर्णायक असर रखते हैं। शिवपाल सिंह यादव ने इसे भांपकर ही उन्हें साथ लेने की पहल की थी और यदि उसे अंजाम दे दिया गया होता तो समाजवादी पार्टी मुसलमानों का बसपा की ओर या किसी अन्य की ओर झुकाव रोकने में सफल कहलाती। आप माने या ना मानें समाजवादी पार्टी के साथ खड़ा हुआ मुसलमान सपा परिवार के विवाद के कारण इस समय भ्रमित है और उत्तर प्रदेश में भाजपा को हराने के लिए वह बसपा की तरफ भी देख रहा है, जिससे राज्य में विधानसभा चुनाव की स्थिति कुछ भी हो सकती है।
राज्यपाल राम नाईक ने राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में राज्य सरकार के 4 नए मंत्रियों को शपथ दिलाई। शपथ लेने वालों में जियाउद्दीन रिज़वी, गायत्री प्रसाद प्रजापति, मनोज कुमार पांडेय और शिवाकांत ओझा हैं। राम नाईक ने मुख्यमंत्री की मंत्रणा से 3 स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री रियाज अहमद, यासर शाह और रविदास मेहरोत्रा सहित 3 और राज्यमंत्रियों अभिषेक मिश्रा, नरेंद्र वर्मा और शंखलाल मांझी को भी मंत्री पद की शपथ दिलाई। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की संस्तुति पर खाद्य एवं रसद राज्यमंत्री लक्ष्मीकांत निषाद 'पप्पू' को मंत्रिमंडल से पदमुक्त कर दिया है। शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव, मंत्री शिवपाल सिंह यादव, मंत्रिमंडल के कुछ सदस्य उपस्थित थे, मगर सरकार के वरिष्ठ मंत्री आज़म खां पहले की तरह बहाने गढ़ते हुए इस विस्तार के मौके पर भी नहीं आए। कार्यक्रम का संचालन नए मुख्य सचिव राहुल भटनागर ने किया।