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Friday 8 December 2017 01:11:50 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर राष्ट्र को समर्पित करते हुए विश्वास जताया है कि डॉ अंबेडकर की दृष्टि और शिक्षा के प्रसार में यह केंद्र एक बड़े प्रेरणा स्थल की भूमिका निभाएगा। उन्होंने इस संस्थान की आधारशिला अप्रैल 2015 में रखी थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सेंटर सामाजिक और आर्थिक विषयों पर रीसर्च का एक अहम केंद्र बनेगा। उन्होंने इस बात पर गौर करते हुए कि डॉ अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर फॉर सोसियो-इकनॉमिक ट्रांसफॉर्मेशन भी इस परियोजना का हिस्सा है, कहा कि यह सामाजिक एवं आर्थिक मुद्दों पर अनुसंधान के लिए यह एक महत्वपूर्ण केंद्र होगा, यह समावेशी विकास एवं संबंधित सामाजिक और आर्थिक मामलों के लिए एक थिंकटैंक यानी विचारक के रूपमें काम करेगा। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी के लिए यह केंद्र एक वरदान की तरह आया है, जहां पर आकर वह बाबासाहब के विजन को देख सकती है और समझ सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विचारकों एवं दूरदर्शी नेताओं ने समय-समय पर हमारे देश की दिशा निर्धारित की है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रनिर्माण में बाबासाहब के योगदान के लिए देश उनका ऋणी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार चाहती है कि अधिक से अधिक लोगों और विशेष तौरपर युवाओं को उनकी दृष्टि और विचारों से अवगत कराया जाए, यही कारण है कि डॉ भीमराव अंबेडकर के जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण जगहों को तीर्थस्थल के रूप में विकसित किया गया है। प्रधानमंत्री ने इस संदर्भ में दिल्ली में अलीपुर, मध्य प्रदेश में महू, मुंबई में इंदु मिल, नागपुर में दीक्षा भूमि और लंदन में उनके मकान का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह 'पंचतीर्थ' आज की पीढ़ी का डॉ भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि देने का तरीका है। उन्होंने कहा कि डिजिटल लेनदेन के लिए भीम ऐप केंद्र सरकार की डॉ भीमराव अंबेडकर की आर्थिक दृष्टि को श्रद्धांजलि है। दिसंबर 1946 में संविधान सभा में डॉ अंबेडकर के संबोधन का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि तमाम संघर्षों के बावजूद राष्ट्र को उसकी समस्याओं से उबारने के लिए बाबासाहब के पास एक प्रेरणादायक दृष्टिकोण था। उन्होंने कहा कि हम अभी भी उनके दृष्टिकोण को पूरा नहीं कर पाए हैं।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज की पीढ़ी में सामाजिक बुराइयों को खत्म करने की क्षमता और ताकत मौजूद है। प्रधानमंत्री ने डॉ भीमराव अंबेडकर के शब्दों को याद करते हुए कहा कि हमें अपने राजनीतिक लोकतंत्र के साथ-साथ एक सामाजिक लोकतंत्र का भी निर्माण करना चाहिए और इन तीन से साढ़े तीन वर्ष के दौरान केंद्र सरकार ने सामाजिक लोकतंत्र की उस दृष्टि को पूरा करने के लिए काम किया है। इस संदर्भ में उन्होंने जनधन योजना, उज्ज्वला योजना, स्वच्छ भारत मिशन, बीमा योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना और हाल में शुरू की गई सौभाग्य योजना जैसे सरकारी कार्यक्रमों का उल्लेख किया। नरेंद्र मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार योजनाओं और परियोजनाओं को उनके निर्धारित समय के भीतर पूरा करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है और डॉ अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर इसका एक उदाहरण है। उन्होंने लोककल्याणकारी कार्यक्रमों को लागू करने में केंद्र सरकार की गति एवं उसकी प्रतिबद्धता दिखाने के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड, मिशन इंद्रधनुष सहित कई योजनाओं का उल्लेख किया और ग्रामीण विद्युतीकरण लक्ष्य की ओर हुई प्रगति के बारे में विस्तार से बताया। प्रधानमंत्री ने स्वरोज़गार सृजन के लिए स्टैंडअप इंडिया योजना का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ‘नए भारत’ का आह्वान उस भारत से है, जिसका डॉ भीमराव अंबेडकर ने स्वप्न संजोया था, जहां प्रत्येक को समान अवसर तथा अधिकार प्राप्त हो, जातीय दबाव से मुक्त हो तथा प्रौद्योगिकी के बल पर प्रगति हो। उन्होंने प्रत्येक से आग्रह किया कि वह बाबासाहब के विजन को पूरा करने की ओर प्रवृत्त हों तथा आशा की कि 2022 तक वे इसे पूरा करने में सक्षम होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबासाहब डॉ भीमराव अंबेडकर के सपनों को पूरा करने के लिए सभी से काम करने का आह्वान किया और उम्मीद जताई कि हम उसे 2022 तक पूरा कर लेंगे। नरेंद्र मोदी ने कहा कि संविधान सभा की पहली बैठक के कुछ दिन बाद ही 17 दिसंबर 1946 को डॉ भीमराव अंबेडकर ने सभा की बैठक में कहा था कि इस देश का सामाजिक, राजकीय और आर्थिक विकास आज नहीं तो कल होगा ही, सही समय और परिस्थिति आने पर यह विशाल देश एक हुए बगैर नहीं रहेगा, दुनिया की कोई भी ताकत उसकी एकता के आड़े नहीं आ सकती तथा इस देश में इतने पंथ और जातियां होने के बावजूद कोई न कोई तरीके से हम सभी एक हो जाएंगे, इस बारे में मेरे मन में ज़रा भी शंका नहीं है, हम अपने आचरण से ये बता देंगे कि देश के सभी घटकों को अपने साथ लेकर एकता के मार्ग पर आगे बढ़ने की हमारे पास जो शक्ति है, उसी प्रकार की बुद्धिमत्ता भी है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज की नई पीढ़ी अच्छी तरह समझती है कि देश को जाति के नाम पर कौन बांटने की कोशिश कर रहा है, वो अच्छी तरह समझती है कि देश जाति के नाम पर अलग-अलग होकर उस रफ्तार से आगे नहीं बढ़ पाएगा, जिस रफ्तार से भारत को आगे बढ़ना चाहिए, इसलिए जब मैं ‘न्यू इंडिया’ को जातियों के बंधन से मुक्त करने की बात करता हूं तो उसके पीछे युवाओं पर मेरा अटूट भरोसा होता है। उन्होंने कहा कि आज की युवाशक्ति बाबासाहब के सपनों को पूरा करने की ऊर्जा रखती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 1950 में जब देश गणतंत्र बना, तब बाबासाहब ने कहा था और मैं उन्हीं के शब्द दोहरा रहा हूं कि हमें सिर्फ राजनीतिक लोकतंत्र से ही संतुष्ट नहीं हो जाना चाहिए, हमें अपने राजनीतिक लोकतंत्र को सामाजिक लोकतंत्र भी बनाना है और राजनीतिक लोकतंत्र तब तक नहीं टिक सकता, जब तक कि उसका आधार सामाजिक लोकतंत्र ना हो। डॉ अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र का निर्माण 195 करोड़ की अनुमानित लागत से हुआ है। जनवरी 2018 को पूरी की जाने के लिए निश्चित ये परियोजना निर्धारित समय से काफी पहले ही पूरी कर ली गई है। डॉ अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र 3.25 एकड़ में बना है, जिसमें कुल निर्मित क्षेत्र 117830.59 वर्ग फीट है, इसे उत्कृष्टता केंद्र के रूपमें विकसित करने के लिए इसमें विशाल पुस्तकालय, तीन अत्याधुनिक सभागार, बैठने और प्रदर्शनी की व्यवस्था के साथ तीन सम्मेलन कक्ष निर्मित किए गए हैं। इसकी वास्तुकला आधुनिक तथा पारंपरिक दोनों का मिश्रण है। इसका सांची स्तूप तोरण जैसा प्रवेश द्वार डॉ अंबेडकर के बौद्ध धर्म के प्रति लगाव का प्रतीक है। चैत्या मेहराब आंतरिक सज्जा में लाल बलुआ पत्थर का प्रयोग किया गया है। बुद्ध का ध्यान मुद्रा में आठ फुट ऊंचा पत्थर का स्तूप खुले मैदान में स्थापित किया गया है। खड़ी मुद्रा में डॉ अंबेडकर का स्तूप चैत्या मेहराब के सामने तथा उनके बैठे हुए मुद्रा में स्तूप परकोष्ठ के अंदर लगाया गया है। कांस्य निर्मित तथा इमारत के पश्चिमी कोने में स्थित दर्शनार्थ सर्व सुलभ 25 मीटर ऊंचे अशोक स्तंभ वाली यह इमारत अद्वितीय है।
डॉ अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र भवन का केंद्रीय गुंबद पारदर्शी सामग्री से निर्मित है तथा राष्ट्र ध्वज के प्रतीक 24 स्पोक्स बने हैं। इसके पारदर्शिक स्वरूप के कारण दिन में प्राकृतिक प्रकाश आता है, जिससे बिजली के खर्च में कमी आती है। इसका र्इ-पुस्तकालय अंतर्राष्ट्रीय पुस्तकालयों से जुड़ा होगा। विद्ववानों, अनुसंधानकर्ताओं तथा विद्यार्थियों के लिए लगभग 2 लाख पुस्तकें तथा राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय पुस्तकालयों की 70 हजार पत्रिकाएं सुलभ रहेंगी। दृष्टिबाधित लोगों के लिए पुस्तकालय में ब्रेल खंड भी उपलब्ध है। कार्यक्रम में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत, राज्यमंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, रामदास अठावले, विजय सांपला, संसदीय कार्य एवं सांख्यिकी तथा कार्यक्रम कार्यांवयन राज्यमंत्री विजय गोयल, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की सचिव जी लता कृष्णा राव और गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।