स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 22 June 2022 01:58:47 PM
नई दिल्ली। भारत की आजादी के 75 वर्ष हो रहे हैं और इसको उत्साहपूर्वक मनाने के क्रम में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत देशभर में विभिन्न माध्यमों से कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इस सिलसिले में संगीत नाटक अकादमी में विश्व संगीत दिवस पर देशभर के संगीत के दुर्लभ वाद्ययंत्रों के विषय पर एक अनोखा उत्सव 'ज्योतिर्गमय' का आयोजन किया गया है, जिसमें नुक्कड़ फनकारों, हुनरमंदों और मंदिरों से जुड़े कलाकारों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया है और संगीत कला संस्कृति का अद्भुत प्रदर्शन कर रहे हैं। संस्कृति, पर्यटन और उत्तर पूर्व क्षेत्र विकास मंत्री जी किशन रेड्डी ने संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल केसाथ दुर्लभ वाद्ययंत्रों के उत्सव का रंगारंग उद्घाटन किया। जी किशन रेड्डी ने इस अवसर पर कहाकि संगीत सार्वभौमिक भाषा है और भारतीय संगीत देश की विविध संस्कृति की तरह ही विविधतापूर्ण है। उन्होंने कहाकि भारतीय सांस्कृतिक संगीत जीवन के हर पक्ष में सम्मिलित है।
संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहाकि लोक संगीत और उसके वाद्ययंत्रों को संरक्षित करना इस उत्सव की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। संस्कृति मंत्री ने कहाकि लोग अनसुने कलाकारों की आवाज़ बनें, क्योंकि इन कलाकारों को शायद ही कोई जानता होगा। उन्होंने कहाकि भारत की मृतप्राय मंच कला को बचाने केलिए संगीत नाटक अकादमी का यह प्रयास बहुत अनोखा है, यह पहल विश्व संगीत दिवस केबाद भी जारी रखी जाएगी। जी किशन रेड्डी ने कहाकि संगीत की धारा भारत की हर सड़क और नुक्कड़ पर बहती है, राहगीरों को कहीं भी बांसुरी और ढपली बजाते कलाकार मिल जाएंगे, जो खुले आसमान के नीचे अपनी कला का प्रदर्शन करते रहते हैं, चाहे धूप हो या वर्षा। उन्होंने कहाकि राह चलते लोगों को वे जीवन की आपाधापी से पलभर का छुटकारा दिला देते हैं, लेकिन उन्हें कभी कोई धन्यवाद नहीं कहता। उन्होंने कहाकि हमारे यहां दुर्लभ वाद्ययंत्रों का भी खजाना है, जो धीरे-धीरे लुप्त होता जा रहा है, क्योंकि उनकी लोकप्रियता कम हो रही है और उन्हें सीखने-सिखाने वाला कोई नहीं है।
संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुन राममेघवाल ने कहाकि भारत के 2047 में आजादी के 100 वर्ष पूरे करने के मद्देनज़र हमें आत्ममंथन करना चाहिए कि हम संगीत और अन्य क्षेत्रों में क्या हासिल करना चाहते हैं। उन्होंने कहाकि योग की तरह ही भारत को संगीत में भी विश्व का नेतृत्व करना चाहिए। उन्होंने कहाकि इस उत्सव में लोगों को इस बात केलिए संवेदनशील बनाया जा रहा हैकि वे कला की रक्षा करने और दुर्लभ वाद्य यंत्रों के कौशल को संरक्षित करने केप्रति सजग हों। संगीत की प्रमुख संस्थाओं, सांस्कृतिक केंद्रों, संगीत नाटक अकादमी के पुरस्कार विजेताओं और प्रसिद्ध संगीतज्ञों से भी आग्रह किया गया था कि वे ऐसी दुर्लभ प्रतिभाओं को चिन्हित करें। सभी प्रविष्टियों और भेजे गए अनुमोदनों की समीक्षा करने केबाद 21 से 25 जून तक पांच दिवसीय उत्सव केलिए कुल 75 कलाकारों का चयन किया गया था। देशभर के दुर्लभ संगीत वाद्ययंत्रों की प्रतिभा को प्रदर्शित करने केलिए उत्सव में सड़क पर प्रदर्शन करने वाले और अन्य अनसुने कलाकार शामिल हुए।
संगीत के दुर्लभ वाद्ययंत्रों के उत्सव 'ज्योतिर्गमय' में दुर्लभ संगीत वाद्ययंत्र बजाने के कौशल के साथ-साथ अनसुने कलाकारों को आवाज़ देने के कौशल की रक्षा करने की आवश्यकता के बारे में लोगों को संवेदनशील बनाने की भी परिकल्पना की गई है। प्रतिभागियों से आग्रह किया गया हैकि वे अपने पूरे विवरण केसाथ अपने प्रदर्शन की एक छोटी क्लिप भी भेजें। दुर्लभ वाद्ययंत्रों की पांच दिवसीय कार्यशाला शिक्षा और बातचीत पर आधारित है, देश के कोने-कोने से आने वाले कलाकार इस उत्सव में हिस्सा ले रहे हैं। संगीत अकादमी ने नई दिल्ली के रबिंद्र भवन में वाद्ययंत्रों, मुखौटों और कठपुतलियों की एक पूरी वीथिका स्थापित की है। दस्तकारों द्वारा वाद्य यंत्रों को बनाने की प्रक्रिया को प्रत्यक्ष रूपसे दिखाया जा रहा है, यह पूरे उत्सव में चलेगा और सभी केलिए प्रवेश नि:शुल्क है।